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निजी स्कूलों को बंद करने पर तुली है गहलोत सरकार, RTE का पैसा भी रोका : प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

प्रदेश के बंद निजी स्कूलों को खुलवाने के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आंदोलनरत है. कोटा में सोमवार को प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने कलेक्टर के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है.

Private School Association protest, protest for schools open rte money in kota
प्रदर्शन करते निजी शिक्षक...
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Published : Dec 28, 2020, 5:55 PM IST

कोटा. प्रदेश के बंद निजी स्कूलों को खुलवाने के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आंदोलनरत है. कोटा में सोमवार को प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने कलेक्टर के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है. सैकड़ों शिक्षकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ नारेबाजी की.

बंद निजी स्कूलों को खुलवाने के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आंदोलनरत है...

उन्होंने कहा कि सरकार निजी स्कूलों को बंद करने पर तुली है. जबकि, सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने की भी जगह नहीं है. निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत मिलने वाली निजी स्कूलों की ग्रांट भी सरकार ने जारी नहीं की. शिक्षा मंत्री के बयान को लेकर भी विरोध जताया.

पढ़ें: जयपुर : शिक्षा मंत्री के बयान से प्रदेश में गर्माया माहौल, निजी शिक्षकों ने निकाली विशाल रैली

निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि उनके पास अब अपने टीचर को देने के लिए पैसा नहीं है. बिजली के बिल जमा करने के लिए पैसा नहीं है. क्योंकि, उन्हें कोई फीस नहीं मिल रही है. सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा देने का सिस्टम ही नहीं है. जबकि, निजी स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा भी कोविड-19 के दौर में बच्चों को दी है. सरकार स्कूल नहीं खोल रही. आरटीई के तहत मिलने वाले पैसे को भी रोक दिया है. यह भेदभाव सरकारी और निजी स्कूलों में है.

कोटा. प्रदेश के बंद निजी स्कूलों को खुलवाने के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आंदोलनरत है. कोटा में सोमवार को प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने कलेक्टर के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है. सैकड़ों शिक्षकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ नारेबाजी की.

बंद निजी स्कूलों को खुलवाने के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आंदोलनरत है...

उन्होंने कहा कि सरकार निजी स्कूलों को बंद करने पर तुली है. जबकि, सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने की भी जगह नहीं है. निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत मिलने वाली निजी स्कूलों की ग्रांट भी सरकार ने जारी नहीं की. शिक्षा मंत्री के बयान को लेकर भी विरोध जताया.

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निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि उनके पास अब अपने टीचर को देने के लिए पैसा नहीं है. बिजली के बिल जमा करने के लिए पैसा नहीं है. क्योंकि, उन्हें कोई फीस नहीं मिल रही है. सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा देने का सिस्टम ही नहीं है. जबकि, निजी स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा भी कोविड-19 के दौर में बच्चों को दी है. सरकार स्कूल नहीं खोल रही. आरटीई के तहत मिलने वाले पैसे को भी रोक दिया है. यह भेदभाव सरकारी और निजी स्कूलों में है.

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