कोटा. शहर के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु चिकित्सालय जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार भी अब चिंतित होकर लगातार प्रयास कर रही है. उदयपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और शिशु रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. लाखन पोसवाल को 15 दिनों के लिए सरकार ने कोटा भेजा है. मंगलवार को वह कोटा भी पहुंच गए हैं और उन्होंने अस्पताल के हर एक विभाग का दौरा किया. साथ ही वार्ड, आईसीयू, एफबीएनसी व एसएनसीयू सहित सभी इकाइयों को देखा है. जहां पर गंभीर बच्चों का उपचार किया जाता है, साथ ही अस्पताल में मौजूद संसाधनों के बारे में भी जानकारी उन्होंने जुटाई है.
मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट में वरिष्ठ चिकित्सक मौजूद हैं और सुविधाएं भी हैं, फिर भी सरकार के निर्देश हैं कि मैं सरकार की मंशा के अनुरूप और कुछ बारीक चीजों का अध्ययन करके सुधार कर सकते हैं, उसके अध्ययन के लिए मैं आया हूं. बच्चों का चिकित्सक भी हूं और प्राचार्य का काम भी कर रहा हूं. मुझे प्रशासनिक अनुभव भी है और शिशु रोग का भी चिकित्सक भी हूं, इसीलिए सरकार ने जिम्मेदारी दी है. उन्होंने बताया कि वे 15 दिन तक रहेंगे, जो भी बारीकी से अध्ययन से सुधार की गुंजाइश होगी उसके संबंध में सरकार को सुझाव भेजेंगे.
एसएनसीयू को सुदृढ़ करने के लिए जयपुर से आई टीम...
जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग से ही डॉ. कृष्णकांत शर्मा और डॉ. धीरज शर्मा को कोटा भेजा गया है. यह कोटा मेडिकल कॉलेज के जेके लोन अस्पताल में एसएनसीयू को तैयार करेंगे. पहले इस टीम ने कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना के साथ लंबी बैठक की. इसके बाद में एसएनसीयू की विजिट की है. ये एक प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसमें गंभीर बीमारी से ग्रसित और कमजोर पैदा होने वाले नवजात की केयर किस तरह से कोटा मेडिकल कॉलेज के जेके लोन अस्पताल में सुदृढ़ हो सके.