कोटा. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने NH-27 और 52 की क्रॉसिंग को खत्म करने के लिए 50 करोड़ से ज्यादा लागत का फ्लाईओवर बनाया. लेकिन आर्मी की आपत्ति के चलते ढाई साल बाद भी यह फ्लाईओवर शुरू नहीं हो पाया है.
फ्लाईओवर पूरा बनकर तैयार है, लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी आर्मी की आपत्तियों को दूर नहीं कर पा रहे हैं. इसके चलते इससे आवागमन शुरू नहीं हो पाया. हालात ऐसे हैं कि इस फ्लाईओवर के दोनों छोर पर बड़े-बड़े पत्थर और सीमेंट कंक्रीट से बने हुए स्ट्रक्चर रखे हुए हैं. ताकि यहां से कोई वाहन न गुजर सके. पैदल राहगीरों को रोकने के लिए कांटों की बाड़बंदी की हुई है. आर्मी के जवान यहां पर लगातार मॉनिटरिंग करते हैं, ताकि किसी भी तरह की गतिविधि को तुरंत रोका जा सके.
इस फ्लाईओवर के शुरू नहीं होने के चलते झालावाड़ से जयपुर जाने वाले वाहनों को कोटा की तरफ से मोड़ा जाता है. इसके अलावा जयपुर जाने वाले सभी वाहनों को चित्तौड़ से कोटा की तरफ आ रहे वाहनों को क्रॉस करना पड़ता है. इसके चलते दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है. क्योंकि चित्तौड़ से कोटा आने वाले एनएच-27 पर भी काफी ट्रैफिक रहता है.
बारां-झालावाड़ से जयपुर जाने वाले वाहनों के लिए बना था फ्लाईओवर
नेशनल हाईवे 27 पर हैंगिंग ब्रिज के बाद कोटा से चित्तौड़गढ़ जाने वाली लेन पर नांता इलाके में करीब 1200 मीटर लंबा फ्लाईओवर बनाया गया है. इसका उद्देश्य झालावाड़, बारां और कोटा की तरफ से जयपुर जाने वाले वाहनों को बिना हाईवे क्रॉस किए फ्लाईओवर के जरिए बाईपास करना था.
ताकि नीचे चल रहे हाईवे पर किसी भी तरह का व्यवधान नहीं हो. फ्लाईओवर बनकर खड़ा है. इसके बावजूद वाहनों को एनएच 27 को क्रॉस करके ही गुजरना पड़ रहा है. जबकि जिस तरह एनएच 27 व 52 पर अनंतपुरा में अलग हो रहे हैं, वहां भी फ्लाईओवर है, ताकि बारां, कोटा या चित्तौड़गढ़ की तरफ से आने वाले वाहन आसानी से बिना हाईवे क्रॉस किए निकल सकें.
एक तरफ फायरिंग रेंज दूसरी तरफ कैंप
जयपुर की तरफ से जो बाईपास एनएच 27 की तरफ आ रहा है, उसके बायीं तरफ आर्मी की नांता फायरिंग रेंज है. जैसे ही इस एनएच 27 को यह फ्लाईओवर क्रॉस करता है. उसके दायें एनएच 27 के समानांतर आर्मी का कैंप है. इसके चलते जब इस फ्लाईओवर पर कोई भी वाहन जाता है, तो दोनों तरफ का नजारा आसानी से नजर आ जाता है. इसी बात को लेकर आर्मी को आपत्ति है.
उनकी गुप्त गतिविधियों पर कोई भी व्यक्ति इस फ्लाईओवर के जरिए सेंध मार सकता है. इसी को लेकर आर्मी ने यहां पी-टू-जेड कैमरे स्थापित कर दिए हैं, ताकि कोई व्यक्ति इस फ्लाईओवर पर खड़ा नहीं हो सके. कोई भी व्यक्ति अगर इस फ्लाईओवर पर जाता है, कैमरों के जरिए वह आर्मी के रडार में आ जाता है और सैनिक तुरंत मौके पर पहुंच जाते हैं.
दो बार किये टेंडर, लेकिन नहीं आए संवेदक: एनएचएआई
एनएचएआई के अधिकारियों ने कैमरे पर तो इस संबंध में बात करने से इंकार कर दिया. हालांकि उन्होंने बताया कि आर्मी ने जो आपत्ति जताई थी, उनका कहना है कि इस पूरे रास्ते को साइड स्क्रीन लगाकर कवर कर दिया जाए. इसके साथ ही इस फ्लाईओवर पर ऐसी व्यवस्था की जाए कि कोई भी वाहन इस पर रुके नहीं. पैदल आवागमन भी लोगों का यहां पर नहीं हो.
एनएचएआई के कोटा पीडी जेपी गुप्ता का कहना है कि यह फ्लाईओवर मेरे जॉइनिंग के पहले बना था. आर्मी की जो आपत्तियां हैं उनके लिए दो बार हम टेंडर निकाल चुके हैं, लेकिन सिंगल टेंडर आने की वजह से वह अप्रूव नहीं हुआ है. इसके चलते काम नहीं हो पाया.