जयपुर: भजन लाल सरकार द्वारा जिलों और संभागों के पुनर्निर्धारण के फैसले को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है. कांग्रेस इस निर्णय का विरोध कर रही है, जबकि सरकार इसे जनमानस की इच्छाओं के अनुरूप बता रही है. अब इस फैसले के समर्थन में राज्य के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों ने अपना पक्ष रखा है. इन अधिकारियों ने इसे प्रशासनिक दृष्टि से उचित और व्यावहारिक निर्णय करार दिया है.
पूर्व आईएएस अधिकारी सत्य प्रकाश बसवाला ने कहा, "राज्य सरकार द्वारा नवगठित जिलों और संभागों के पुनर्निर्धारण का फैसला स्वागत योग्य है. इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम होंगे." वहीं, एस एस बिस्सा ने कहा कि 9 जिलों को समाप्त करने का निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से सही है, क्योंकि ये जिले तहसील स्तर के थे और इनकी क्षेत्रफल और जनसंख्या कम थी.
पूर्व आईएएस अधिकारी अंतर सिंह नेहरा ने इसे एक व्यावहारिक कदम बताया. उन्होंने कहा,"नए जिलों के गठन में काफी खर्च होता है. जैसे जयपुर ग्रामीण और जोधपुर ग्रामीण जैसे जिलों का कोई खास औचित्य नहीं था. इन जिलों का डीमार्केशन भी मुश्किल होता है, और एक एडीएम से भी काम चलाया जा सकता है." इसके अलावा जिले जिनमे एक-दो सब डिवीजन ही मुश्किल से हैं उनमें एक एडीएम बिठाकर भी काम चलाया जा सकता है. इसलिए यह जो फैसला किया है, यह एक बहुत ही व्यावहारिक फैसला है. इसी तरह बांसवाड़ा और पाली संभाग की तो जरूरत ही नहीं थी क्योंकि इनमें जिले ही बहुत कम थे.
आईएएस अधिकारी शिवाजी राम प्रतिहार ने कहा कि जनकल्याणकारी सरकार को लोकहित में नीतिगत फैसले लेने चाहिए, और केकड़ी जैसे जिलों के गठन में विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर ही निर्णय लिया गया होगा. पूर्व आईएएस डॉ. मोहन लाल यादव ने कहा कि प्रदेश में नए जिलों का सुव्यवस्थित विकास जरूरी है, और इसके लिए मानव संसाधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा. वहीं चन्द्र प्रकाश कटारिया ने भी कहा कि छोटे जिलों को समाप्त करने से अनावश्यक खर्च कम होगा और विकास के लिए बजट का उपयोग होगा.
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पूर्व मुख्य सचिव केरल सरकार, टीआर मीणा ने भी सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि नए जिले वैज्ञानिक और भौगोलिक दृष्टि से सही नहीं थे, और राज्य सरकार ने सर्वे और तर्कों के आधार पर इन्हें मर्ज करने का निर्णय लिया है. इस प्रकार के निर्णय बहुत सूझबूझ आधारित, आकार व जनसंख्या के अनुसार होने चाहिए.