रामगंजमंडी/कोटा. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व अपने सुंदर वन क्षेत्र और पशुओं के लिए तो चर्चा में रहा ही है लेकिन अब यह टाइगर रिजर्व बाघ और बाघिन की अनोखी प्रेम कहानी के लिए भी जाना जाएगा. रणथंभौर से अपने प्यार की तलाश में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तक आए बाघ MT-3 और बाघिन MT-2 साथ जिए और साथ ही दुनिया को अलविदा कह गए. अलग-अलग बाड़े में बंद होने के बाद भी उनका प्रेम कम नहीं हो सका. जाल के बाहर से ही वे एक-दूसरे के साथ खुश नजर आते थे. दोनों के बीच ऐसा अटूट रिश्ता बन गया था कि एक-दूसरे से अलग होकर रहना उन्हें गवारा नहीं था. दस दिन पहले बाघ की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई. यह सदमा शायद बाघिन सह न सकी और बीते 3 अगस्त को उसने भी दम तोड़ दिया.
बाघिन ने कुछ माह पहले ही दो शावकों को जन्म दिया था. रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने से सभी खुश थे, लेकिन दस दिन में दो बाघों की मौत ने वन विभाग के साथ वन्यजीव प्रेमियों में भी दुःख व्याप्त है. इससे मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं. दो बाघों की मौत से पर्यटन विकास की संभावनाओं को भी झटका लगा है.
फिल्म की लव स्टोरी से कम नहीं थी बाघ-बाघिल की कहानी
उल्लेखनीय है कि बाघ MT-3 और बाघिन MT-2 के बीच गजब की कमेस्ट्री थी. बाघ और बाघिन की यह कहानी सिनेमा की किसी लव स्टोरी से कम नहीं थी. बताया जा रहा है कि MT-3 बाघ अपनी प्रेमिका MT-2 की तलाश में सभी बंधन पार कर तकरीबन 200 किलोमीटर का सफर तय कर रणथंभौर से मुकुंदरा तक पहुंच गया था. इसके बाद वह यहीं का होकर रह गया, लेकिन वन विभाग ने उनको मिलने नहीं दिया.
बीते 23 जुलाई को बाघ ने बाघिन के पिंजरे के बाहर ही दम तोड़ दिया था. इसके बाद से बाघिन भी गुमसुम रहती थी. 3 अगस्त को बाघिन ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. बाघ और बाघिन के बीज प्यार का ऐसा अटूट बंधन था कि जालियों के बाहर से भी दोनों एक-दूसरे से मिलकर बेहद खुश नजर आते थे. जानकारी के अनुसार MT 3 बाघ 15 दिनों में एक बार MT 2 बाघिन से मिलने आया करता था. बाघिन के पिंजरे के बाहर से ही बाघ उससे मिलने के लिए संघर्ष किया करता था.
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वन विभाग की बड़ी लापरवाही
अब कभी भी इन दोनों की दहाड़ मुकुन्दरा में सुनाई नहीं देगी. क्योंकि यह दोनों मुकुन्दरा में अपनी अधूरी प्रेम कहानी को छोड़कर हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए. इन दोनों बाघों की मौत में कहीं न कहीं वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है. बाघ की हालात बिगड़ रही है इसे लेकर अफसरों को सचेत रहने की जरूरत थी लेकिन ध्यान नहीं दिया गया. यहां तक कि बाघ की मौत के बाद भी विभागीय अफसरों की नींद नहीं टूटी और बाघिन की भी जान चली गई.
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शावक भी हैं लापता
बाघिन MT 2 ने कुछ माह पहले ही दो शावकों को जन्म दिया था लेकिन मां की मौत के बाद से वे लापता हैं. दो दिन बाद भी वन विभाग के अफसर उन्हें ढूंढ़ नहीं पाए हैं. जबकि डॉक्टर की मानें तो बाघिन की मौत को 48 घंटे से अधिक हो चुका है, जिसका मतलब शावक 6 दिन से लापता हैं. शावकों का नहीं मिलना कहीं कोई गलत संकेत तो नहीं. अगर ऐसा हुआ तो मुकुन्दरा में अब शावकों की अठखेलियां भी नहीं दिखाई देगी.
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बाघ MT-2 और MT-3 की मौत में विभाग की लापरवाही सामने आ रही है. रणथम्भौर में जन्मा बाघ टी-98 करीब डेढ़ साल पहले एक दिन अचानक कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल्स के दर्रा एरिया में पहुंच गया. पहले इस टी-98 बाघ को रणथम्भौर से निकलकर सुल्तानपुर (कोटा) के जंगलों में घूमता देखा गया था. इसके बाद यह बाघ कालसिंध नदी होता हुआ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व दर्रा क्षेत्र में पहुंच गया.
बाघ करीब 150 किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचा था. जब वहां कैमरे में इसकी फोटो देखी गई तो सब हैरान रह गए. फोटो में उस बाघ की पहचान रणथम्भौर के टी-98 के रूप में की गई. बाद में विभाग ने टी-98 को एमटी-3 नाम दे दिया और इसे यहीं पर रहने दिया गया. वहीं MT-2 बाघिन को 18 दिसंबर 2018 को रणथंभौर से मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया था. बाघिन ने 3 अगस्त 2020 को मुकुन्दरा में अपनी अंतिम सांस ली.
लापरवाही पर कई अफसर एपीओ
मामले में कई अधिकारियों की लापरवाही सामने आने पर उन्हें एपीओ किया गया. इस दौरान केंद्र से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सहायक महानिरीक्षक डॉ. वैभव माथुर के दल ने भी मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व का बाघों की मौत पर निरक्षण भी किया. बाघ MT-2 और MT-3 की मौत मामले में विभाग की लापरवाही तो सामने आ रही है. एमटी-3 बाघ दुनियाभर के बाघ प्रेमियों को आकर्षित करने वाला था.