कोटा. राजस्थान और मध्य प्रदेश के बॉर्डर के नजदीक कोटा जिले के निमोला गांव में बिना लाइसेंस के ही मेडिकल स्टोर संचालित करने का मामला सामने आया है. बुधवार को औषधि नियंत्रण संगठन ने पहुंचकर कार्रवाई की. मेडिकल स्टोर से बड़ी संख्या में दवाइयां जब्त की गई हैं. इसके साथ ही उसके संचालक के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की गई है.
सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा ने बताया कि राजस्थान संपर्क पोर्टल पर परिवादी हनुमान गुर्जर ने शिकायत की थी कि पीपल्दा तहसील के निमोला गांव में मेडिकल स्टोर बिना लाइसेंस के ही संचालित हो रहा है. जिसके बाद एक पूरी टीम निमोला गांव भेजी गई. टीम में औषधि नियंत्रण अधिकारी रोहिताश नागर, नरेंद्र कुमार राठौड़, ओमप्रकाश चौधरी, उमेश मुखीजा और आसाराम मीणा शामिल थे. टीम ने दुकान मालिक रामावतार से लाइसेंस के बारे में पूछा तो उसने कोई जानकारी नहीं दी.
दुकान पर बड़ी मात्रा में एलोपैथिक दवाइयां रखी थीं जिनका खरीद और विक्रय से संबंधित दस्तावेज उसके पास नहीं थे. ऐसे में औषधियों का क्रय और विक्रय रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाने और औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत दुकान मालिक के खिलाफ कार्रवाई की गई है. साथ ही दुकान पर रखी हुई 50 तरह की दवाइयों को जब्त कर लिया है जिनकी कीमत करीब 60 हजार रुपए के आसपास है.
जब्त की गई दवाओं में एंटीबायोटिक, एंटी एलर्जी, दर्द निवारक, स्किन से जुड़ी बीमारियों की क्रीम, बच्चों की सिरप, इंजेक्शन, ड्रिप और बड़ी संख्या में स्टेरॉयड भी मिले है. साथ ही ऐसी दवाइयां भी बिना बिल के बेची जा रही थी, जो बिना डॉक्टर की इजाजत के नहीं बेची जा सकती थी.
स्थानीय ग्रामीण बिना चिकित्सक के परामर्श के ही इन दवाओं का उपयोग भी कर रहे थे. वर्तमान समय में डेंगू का प्रकोप इस इलाके में काफी फैला हुआ है. ऐसे में इनसे जुड़ी हुई दवाइयां भी बेची जा रही थी. बताया जा रहा है कि रामअवतार सुमन के पास डेढ़ साल पहले तक रिस्ट्रिक्टेड दवाइयों का लाइसेंस था. जिसमें वह 10 तरह की दवाइयां रख सकता था, लेकिन जब उसका निरीक्षण किया गया तो ज्यादा दवाई मिली थी. इसके चलते ही तत्कालीन एडीसी नरेंद्र कुमार रेगर ने यह लाइसेंस रद्द कर दिया था. इसके बाद भी रामअवतार सुमन इस दुकान को वैसे ही संचालित कर रहा था.