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SPECIAL : कोरोना काल में रेलवे का माल ढुलाई से कमाई का रिकॉर्ड...31 फीसदी बढ़ा कोटा रेल मंडल का रेवेन्यू - Income from Railways in Kota

रेलवे के कोटा मंडल ने माल ढुलाई में कोरोना काल में कमाई का रिकॉर्ड बनाया है. रेलवे ने बीते वित्त वर्ष की तुलना में इस वित्त वर्ष में 31 प्रतिशत ज्यादा कमाई की है. यहां तक कि यह कमाई बढ़कर 901 करोड रुपए से भी ज्यादा पहुंच गई है.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
कोरोना काल में रेलवे का माल ढुलाई से आय का रिकॉर्ड
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Published : Apr 9, 2021, 6:08 PM IST

कोटा. कोविड-19 के काल में अधिकांश लोगों की आय कम रही है. कई कंपनियों को घाटा भी इस दौर में लगा है. कई दुकानदारों, शोरूम संचालकों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां और व्यवसाय धराशायी हो गए. लेकिन कोटा रेल मंडल ने इसी दौर में रिकॉर्ड कमाई की. रिपोर्ट देखिये...

कोरोना काल में रेलवे का माल ढुलाई से आय का रिकॉर्ड

रेलवे के कोटा मंडल ने माल ढुलाई में कोरोना काल में कमाई का रिकॉर्ड बनाया है. रेलवे ने बीते साल से 31 प्रतिशत ज्यादा कमाई की है. यह कमाई बढ़कर 901 करोड़ रुपए से भी ज्यादा पहुंच गई है. यह अब तक की कोटा मंडल की माल ढुलाई से हुई सबसे ज्यादा कमाई है. अपने आप में कोटा मंडल का एक रिकॉर्ड भी बना है.

लक्ष्य से एक चौथाई ज्यादा रेवेन्यू मिला

कोटा मंडल रेलवे को माल ढुलाई के लिए वर्ष 2020-21 के लिए 726 करोड का टारगेट मिला था. जबकि बीते साल वर्ष 2019-20 में उन्होंने 683 करोड की माल ढुलाई की थी. ऐसे में रेलवे नहीं इस बार पूरा रिकॉर्ड तोड़ते हुए 901.26 करोड़ रुपए की माल ढुलाई की है.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
कोटा रेल मंडल का रिकॉर्ड

यह रेवेन्यू लक्ष्य से एक चौथाई ज्यादा है. इसके अनुसार रोज करीब दो करोड़ 47 लाख रुपए का रेवेन्यू रेलवे में माल ढुलाई से प्राप्त किया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में जहां पर 68 लाख 30 हजार टन माल की ढुलाई रेलवे ने की थी. उसकी अपेक्षा में यह बढ़कर 2020-21 में 86 लाख 80 हजार टन हो गई है. यह बीते वित्तीय वर्ष की अपेक्षा में 15 लाख 50 हजार टन ज्यादा है.

यात्री ट्रेनें कम चली, इसका फायदा हुआ

कोरोना काल में यात्री ट्रेनें नहीं चल रही थीं. इससे रेलवे की आय पर जरूर असर पड़ा है. कुछ फायदा भी कोटा मंडल रेलवे को हुआ. क्योंकि पहले एक्सप्रेस ट्रेनों के रूट देने के लिए माल गाड़ियों को रोका जाता था. इस बार ट्रैक पर एक्सप्रेस ट्रेनें भी कम चली हैं. रेलवे ने कोरोना के चलते ट्रेनों का संचालन पहले तो बंद कर दिया था और उसके बाद धीरे-धीरे शुरू किया है. अभी भी लोकल ट्रेनें अधिकांश नहीं चल पाई हैं. इसका फायदा माल ढुलाई में मिला.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
कोरोना भी नहीं रोक पाया रेवेन्यू

पढ़ें- कोटा में तैयार हो रहा सोगरिया स्टेशन...बूंदी और सवाई माधोपुर जाने वाली ट्रेनें होगी बाईपास

जहां बीते साल 2558 माल गाड़ियों के जरिए ही ढुलाई हुई थी. यह इस बार बढ़कर 3340 पहुंच गई. जो बीते साल से 782 ज्यादा है. इसका मतलब हर दिन जहां पहले 7 माल गाड़ियों के जरिए ही माल ढुलाई हुआ करती थी, यह अब 9 से भी ज्यादा पहुंच गई है.

लगा था कि कोरोना सब कुछ बिगाड़ देगा

कोटा मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक अजय कुमार पाल का कहना है कि कोविड-19 के दौर में शुरुआत में तो लगा था कि टारगेट को पूरा करने में मुश्किल होगी. लग रहा था कि यह वित्तीय वर्ष पूरा ही कोविड की भेंट नहीं चढ़ जाए. क्योंकि वित्तीय वर्ष 2019 - 20 में मार्च के महीने में ही लॉकडाउन लग गया था और अप्रैल 2020 से ही हमारा नया वित्तीय वर्ष 2020-21 शुरू हुआ था. लेबर का भी अपने घरों की तरफ वापसी का मूवमेंट हो गया था.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
माल ढुलाई में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार 31 फीसदी ज्यादा कमाई

साथ ही अन्य भी कई समस्याएं सामने आ गई थीं, लेकिन हमारे पूरे रेलवे विभाग के लोगों ने सहयोग किया. इसके साथ ही रेलवे बोर्ड ने भी काफी छूट माल ढुलाई के किराए में कोरोना के दौर में दी. साथ ही हमने अच्छी लोडिंग पिछले साल की तुलना में की है और यह सकारात्मक रही है. हमारी कमाई भी काफी ज्यादा हुई है.

नवंबर में गुर्जर आंदोलन ने किया परेशान

माल ढुलाई पर ज्यादातर असर रेलवे ट्रैक के प्रभावित होने या फिर ब्लॉक लेने के चलते ही होता है. इस साल भी गुर्जर आंदोलन के चलते करीब 12 से 13 दिन तक माल ढुलाई काफी प्रभावित हुई. यहां तक कि माल ढुलाई दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर लगभग बंद जैसी हो गई थी. क्योंकि 1 से 12 नवंबर तक गुर्जर आंदोलन के चलते रेलवे ट्रैक जाम रहा था.

पढ़ें- कोटा-चित्तौड़गढ़ रेलखंड के विद्युतीकरण पूरा होने का वीडियो साझा कर रेल मंत्री ने किया ट्वीट...पश्चिम-मध्य रेलवे देश का पहला पूर्णतया विद्युतीकरण जोन

हमारी यात्री गाड़ियों को भी बाईपास करके दूसरे रूटों से निकाला गया था. लेकिन माल ढुलाई प्रभावित हुई. हालांकि जैसे ही रूट ओपन हुआ हमने पूरी क्षमता के साथ काम करके उस बैकअप को भी पूरा किया था.

सबसे ज्यादा माल ढुलाई फर्टिलाइजर की कोटा से

कोटा मंडल में माल ढुलाई की बात की जाए तो जहां पर सर्वाधिक माल ढुलाई 44 फीसदी फ़र्टिलाइज़र की होती है. इसमें सर्वाधिक योगदान कोटा के सिमलिया थाना इलाके के गड़ेपान में स्थित चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड का है. यहां से बड़ी मात्रा में यूरिया और डीएपी सप्लाई हुआ है. इसके बाद सीमेंट 28 फीसदी यहां से भेजा गया है. वहीं 15 फ़ीसदी फूड ग्रेन का भी हिस्सा इसमें है. इसके बाद बचे हुए में 13 फीसदी में खलचुरी, कंटेनर, लाइन स्टोन, साबुन और खाने का तेल भी यहां से भेजा गया है.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
लक्ष्य से एक चौथाई ज्यादा रेवेन्यू

हालांकि बीते वर्ष में जहां पर 50 फ़ीसदी हिस्सा फर्टिलाइजर का था उसके बाद 34 फीसदी सीमेंट का था. जबकि फूडग्रेन महज 7 फीसदी था. बचे हुए 9 फीसदी में खलचुरी, कंटेनर, लाइन स्टोन, साबुन और खाने का तेल भी यहां से भेजा गया है.

कोटा. कोविड-19 के काल में अधिकांश लोगों की आय कम रही है. कई कंपनियों को घाटा भी इस दौर में लगा है. कई दुकानदारों, शोरूम संचालकों और बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां और व्यवसाय धराशायी हो गए. लेकिन कोटा रेल मंडल ने इसी दौर में रिकॉर्ड कमाई की. रिपोर्ट देखिये...

कोरोना काल में रेलवे का माल ढुलाई से आय का रिकॉर्ड

रेलवे के कोटा मंडल ने माल ढुलाई में कोरोना काल में कमाई का रिकॉर्ड बनाया है. रेलवे ने बीते साल से 31 प्रतिशत ज्यादा कमाई की है. यह कमाई बढ़कर 901 करोड़ रुपए से भी ज्यादा पहुंच गई है. यह अब तक की कोटा मंडल की माल ढुलाई से हुई सबसे ज्यादा कमाई है. अपने आप में कोटा मंडल का एक रिकॉर्ड भी बना है.

लक्ष्य से एक चौथाई ज्यादा रेवेन्यू मिला

कोटा मंडल रेलवे को माल ढुलाई के लिए वर्ष 2020-21 के लिए 726 करोड का टारगेट मिला था. जबकि बीते साल वर्ष 2019-20 में उन्होंने 683 करोड की माल ढुलाई की थी. ऐसे में रेलवे नहीं इस बार पूरा रिकॉर्ड तोड़ते हुए 901.26 करोड़ रुपए की माल ढुलाई की है.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
कोटा रेल मंडल का रिकॉर्ड

यह रेवेन्यू लक्ष्य से एक चौथाई ज्यादा है. इसके अनुसार रोज करीब दो करोड़ 47 लाख रुपए का रेवेन्यू रेलवे में माल ढुलाई से प्राप्त किया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में जहां पर 68 लाख 30 हजार टन माल की ढुलाई रेलवे ने की थी. उसकी अपेक्षा में यह बढ़कर 2020-21 में 86 लाख 80 हजार टन हो गई है. यह बीते वित्तीय वर्ष की अपेक्षा में 15 लाख 50 हजार टन ज्यादा है.

यात्री ट्रेनें कम चली, इसका फायदा हुआ

कोरोना काल में यात्री ट्रेनें नहीं चल रही थीं. इससे रेलवे की आय पर जरूर असर पड़ा है. कुछ फायदा भी कोटा मंडल रेलवे को हुआ. क्योंकि पहले एक्सप्रेस ट्रेनों के रूट देने के लिए माल गाड़ियों को रोका जाता था. इस बार ट्रैक पर एक्सप्रेस ट्रेनें भी कम चली हैं. रेलवे ने कोरोना के चलते ट्रेनों का संचालन पहले तो बंद कर दिया था और उसके बाद धीरे-धीरे शुरू किया है. अभी भी लोकल ट्रेनें अधिकांश नहीं चल पाई हैं. इसका फायदा माल ढुलाई में मिला.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
कोरोना भी नहीं रोक पाया रेवेन्यू

पढ़ें- कोटा में तैयार हो रहा सोगरिया स्टेशन...बूंदी और सवाई माधोपुर जाने वाली ट्रेनें होगी बाईपास

जहां बीते साल 2558 माल गाड़ियों के जरिए ही ढुलाई हुई थी. यह इस बार बढ़कर 3340 पहुंच गई. जो बीते साल से 782 ज्यादा है. इसका मतलब हर दिन जहां पहले 7 माल गाड़ियों के जरिए ही माल ढुलाई हुआ करती थी, यह अब 9 से भी ज्यादा पहुंच गई है.

लगा था कि कोरोना सब कुछ बिगाड़ देगा

कोटा मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक अजय कुमार पाल का कहना है कि कोविड-19 के दौर में शुरुआत में तो लगा था कि टारगेट को पूरा करने में मुश्किल होगी. लग रहा था कि यह वित्तीय वर्ष पूरा ही कोविड की भेंट नहीं चढ़ जाए. क्योंकि वित्तीय वर्ष 2019 - 20 में मार्च के महीने में ही लॉकडाउन लग गया था और अप्रैल 2020 से ही हमारा नया वित्तीय वर्ष 2020-21 शुरू हुआ था. लेबर का भी अपने घरों की तरफ वापसी का मूवमेंट हो गया था.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
माल ढुलाई में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार 31 फीसदी ज्यादा कमाई

साथ ही अन्य भी कई समस्याएं सामने आ गई थीं, लेकिन हमारे पूरे रेलवे विभाग के लोगों ने सहयोग किया. इसके साथ ही रेलवे बोर्ड ने भी काफी छूट माल ढुलाई के किराए में कोरोना के दौर में दी. साथ ही हमने अच्छी लोडिंग पिछले साल की तुलना में की है और यह सकारात्मक रही है. हमारी कमाई भी काफी ज्यादा हुई है.

नवंबर में गुर्जर आंदोलन ने किया परेशान

माल ढुलाई पर ज्यादातर असर रेलवे ट्रैक के प्रभावित होने या फिर ब्लॉक लेने के चलते ही होता है. इस साल भी गुर्जर आंदोलन के चलते करीब 12 से 13 दिन तक माल ढुलाई काफी प्रभावित हुई. यहां तक कि माल ढुलाई दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर लगभग बंद जैसी हो गई थी. क्योंकि 1 से 12 नवंबर तक गुर्जर आंदोलन के चलते रेलवे ट्रैक जाम रहा था.

पढ़ें- कोटा-चित्तौड़गढ़ रेलखंड के विद्युतीकरण पूरा होने का वीडियो साझा कर रेल मंत्री ने किया ट्वीट...पश्चिम-मध्य रेलवे देश का पहला पूर्णतया विद्युतीकरण जोन

हमारी यात्री गाड़ियों को भी बाईपास करके दूसरे रूटों से निकाला गया था. लेकिन माल ढुलाई प्रभावित हुई. हालांकि जैसे ही रूट ओपन हुआ हमने पूरी क्षमता के साथ काम करके उस बैकअप को भी पूरा किया था.

सबसे ज्यादा माल ढुलाई फर्टिलाइजर की कोटा से

कोटा मंडल में माल ढुलाई की बात की जाए तो जहां पर सर्वाधिक माल ढुलाई 44 फीसदी फ़र्टिलाइज़र की होती है. इसमें सर्वाधिक योगदान कोटा के सिमलिया थाना इलाके के गड़ेपान में स्थित चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड का है. यहां से बड़ी मात्रा में यूरिया और डीएपी सप्लाई हुआ है. इसके बाद सीमेंट 28 फीसदी यहां से भेजा गया है. वहीं 15 फ़ीसदी फूड ग्रेन का भी हिस्सा इसमें है. इसके बाद बचे हुए में 13 फीसदी में खलचुरी, कंटेनर, लाइन स्टोन, साबुन और खाने का तेल भी यहां से भेजा गया है.

Kota railway division earnings,  Kota Railway Division
लक्ष्य से एक चौथाई ज्यादा रेवेन्यू

हालांकि बीते वर्ष में जहां पर 50 फ़ीसदी हिस्सा फर्टिलाइजर का था उसके बाद 34 फीसदी सीमेंट का था. जबकि फूडग्रेन महज 7 फीसदी था. बचे हुए 9 फीसदी में खलचुरी, कंटेनर, लाइन स्टोन, साबुन और खाने का तेल भी यहां से भेजा गया है.

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