कोटा. शहर के नयापुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई. अतिक्रमण निरोधक दस्ता पुलिस उप अधीक्षक के साथ कलेक्ट्रेट के बाहर पहुंच गया. जहां से उन्होंने अभियान की शुरुआत की. पहले सभी को चेतावनी दी कि अतिक्रमण स्वयं हटा दें और जब लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया तो अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई. जिसके तहत फुटकर व्यापारियों और ठेले संचालकों को हटाया गया. वे अपना सामान समेटते नजर आए.
कार्रवाई शुरू होने के बाद अतिक्रमण निरोधक दस्ते को देखते ही सभी में खलबली मच गई. एकाएक हुई कार्रवाई से हड़कंप मच गया. हालांकि नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इसके पहले ही सभी को अतिक्रमण हटाने के संबंध में चेतावनी दी थी, लेकिन एक भी व्यक्ति ने बात नहीं मानी और अतिक्रमण बरकरार रखा. ऐसे में कार्रवाई करते हुए उसे हटाया गया है.
अतिक्रमियों पर लगाई पेनल्टी
साथ ही जिन लोगों का सामान जप्त किया गया है, उनके मौके पर ही 500 से पांच हजार की पेनल्टी लगाई है. अतिक्रमण की कार्रवाई के बाद शाम को जब बाजार बिल्कुल खुला-खुला नजर आने लगा है. लोगों को राहत भी इससे मिली है. क्योंकि अतिक्रमण के कारण सड़क पर उन्हें चलने तक के लिए जगह नहीं मिलती थी. अतिक्रमण के चलते रास्ता संकड़ा हो गया था. ट्रैफिक भी जाम होता था. एमबीएस अस्पताल के बाहर तो हालात काफी ज्यादा विकट थे.
दुकानों के आगे टिन शेड लगाकर किए हुए अतिक्रमण तोड़े
नगर निगम अतिक्रमण दस्ते ने एमबीएस अस्पताल और जेके लोन अस्पताल के बाहर के पूरे रास्ते पर व्यापारियों ने जो दुकानों के आगे टेंट लगाकर अपने सामान रखे हुए थे, ऐसे सभी टीनशेड को तोड़ दिया है. साथ ही उन्हें हिदायत भी दी है कि आगे से अगर वह 3 सीट का निर्माण करते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी अंजाम में लाई जाएगी. ऐसे में कई पक्के निर्माणों को भी ध्वस्त कर दिया गया है. साथ ही चिकित्सकों ने जो अपने बोर्ड सड़क के नजदीक गाढ़े हुए थे, इन सब को भी तोड़ते हुए अतिक्रमण निरोधक दस्ता जब तक कर ले गया है.
फुटपाथ को करवाया गया अतिक्रमण मुक्त
नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते ने जो आज कार्रवाई की है, उसके तहत नयापुरा इलाके में जो फुटपाथ सड़क के किनारे बने हुए हैं. उन्हें अतिक्रमण मुक्त करवाया गया है. ताकि पैदल राहगीर फुटपाथ का उपयोग कर सकें और उन्हें चलने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो. इसके पहले यहां पर फुटकर व्यापार करने वाले और थड़ी संचालकों ने अतिक्रमण किया हुआ था. इसके चलते लोगों को चलने में भी असुविधा होती थी.