कोटा. जिले में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 231 हो गई है. वहीं मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में कोविड-19 के लिए डेडिकेटेड हॉस्पिटल सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में संचालित किया जा रहा है. जहां पर कोटा मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी ही मरीजों की देखरेख कर रही है.
अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कोरोना बीमारी को लेकर मिले अवसर का फायदा उठाने के लिए रिसर्च पर भी काम करना शुरू कर दिया है. ऐसे में कुछ टॉपिक पर कोटा मेडिकल कॉलेज में रिसर्च का काम शुरू होगा. इसके लिए मेडिकल कॉलेज की एथिकल कमेटी से अनुमति मांगी गई है.
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मेडिकल मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना के अनुसार कोरोना मरीजों को लेकर लाइफ में एक बार इस तरह का अवसर मिला है कि इतनी बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं. ऐसे में कुछ टॉपिक पर हमने रिसर्च करने का निर्णय मीटिंग के दौरान लिया है. इसमें मरीजों में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के बाद ECG में बदलाव, क्लिनिकल प्रोफाइल, साइकोसोशल एस्पेक्ट और रोल ऑफ पल्स ऑक्सीमीटर पर स्टडी की जाएगी.
आईसीएमआर से मांगी प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति
प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना के अनुसार इस बीमारी में एक से दो फीसदी मरीज गंभीर होते हैं. उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन भारत में यह संख्या कम है. ऐसे गंभीर रोगों के लिए भारत में प्लाज्मा थेरेपी ट्राई की गई है. विदेशों में भी इसका उपयोग किया गया है. जयपुर एसएमएस अस्पताल में भी इसको शुरू कर दिया गया है. हमने भी मीटिंग लेकर निर्णय लिया है कि कोटा में भी गंभीर रोगों पर ट्रायल बेसिस पर शुरू किया जाए. हमारे सहमति बनने के बाद आईसीएमआर से अनुमति ली जा रही है. इसमें एंटीबॉडीज टेस्ट की जाती है, उसके किट आईसीएमआर से मंगवाई जाएंगे.
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5 फैकल्टी मेंबर्स की बनाई टीम
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अनुसार पांच फैकल्टी मेंबर को प्लाज्मा थेरेपी की जिम्मेदारी सौंप दी है. जिसमें मेडिसिन और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के डॉक्टर शामिल है. इसके अलावा प्राइवेट ब्लड बैंक से भी जुड़े लोगों को इसमें जोड़ा गया है. अनुमति मिलने के बाद हम इसे शुरू करेंगे. उसके बाद हम अपने स्तर पर रिजल्ट देखेंगे और दूसरे सेंटर से भी कंपेयर करेंगे.