कोटा. कोटा के जेके लोन अस्पताल में गायनी वार्ड में अपनी मां के साथ भर्ती नवजात की मौत के बाद उसके परिजन अस्पताल में धरने पर बैठ गए. जिनसे मिलने अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा और उपाधीक्षक डॉ. गोपी किशन पहुंचे. दोनों ने धरने पर बैठे परिजनों से बातचीत की. साथ ही अस्पताल अधीक्षक ने धरने पर बैठे परिजनों को लिखित में आश्वासन दिया है, कि लापरवाही से किसी भी बच्चे की मौत नहीं होगी.
लिखित में मांगा आश्वासन
भीलवाड़ा के चित्तौड़गढ़ निवासी रफीकन का पीहर कोटा सकतपुरा में है. उसकी जेके लोन अस्पताल में डिलीवरी हुई थी और 4 दिन के उसके नवजात की सोमवार को मौत हो गई. जिसके बाद परिजन अस्पताल के बाहर ही धरने पर बैठ गए थे. परिजनों से मिलने के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा और उपाधीक्षक डॉ. गोपी किशन पहुंचे. महिला ने अस्पताल अधीक्षक से चिकित्सकों और स्टाफ की शिकायत की. साथ ही नवजात बच्चे की मामी नौरीन ने कहा, कि उनकी लापरवाही के चलते ही हमारी नवजात बच्ची की मौत हुई है. साथ ही लिखित में आश्वासन मांगा, कि किसी भी बच्चे की मौत अस्पताल में नहीं होगी.
पढ़ेंः कोटा में बच्चों की मौत शर्मनाक, नेता अखबार में छपने के लिए जा रहे अस्पताल: हनुमान बेनीवाल
'स्टाफ की लापरवाही से नहीं हुई बच्चों की मौत'
ऐसे में अस्पताल अधीक्षक डॉ. दुलारा ने लिखित आश्वासन दिया है, कि चिकित्सकों और स्टाफ की लापरवाही से एक भी बच्चे की मौत नहीं होगी. उन्होंने कहा, कि मुझे अभी ज्वाइन किए हुए 8 दिन ही हुए हैं. मैं व्यवस्थाएं सुधारने में जुटा हुआ हूं और अच्छी व्यवस्थाएं देंगे, ताकि बच्चों के इलाज में किसी तरह की कोई लापरवाही या कोताही नहीं बरती जाए.आपको बता दें, कि जेके लोन अस्पताल में अबतक जनवरी महीने में 12 बच्चों की मौत हो चुकी है और दिसंबर का महीना भी मिला लिया जाए तो अस्पताल में उपचार के दौरान अबतक 112 बच्चों की मौत हुई है.