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स्वच्छता में फिसड्डी रहा कोटा, मिला 44वां स्थान - Kota got 44th position in Cleanliness

स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार कोटा देश में 44वां स्थान लेकर आया है. इस पूरी रैंकिंग को देखा जाए तो कोटा शहर के बाद केवल तीन ही शहर शामिल हैं. जिनमें चेन्नई, ईस्ट दिल्ली और सबसे अंतिम पटना है. इस हिसाब से कोटा शहर सबसे गंदे चार शहरों में शामिल है.

Kota got 44th position in Cleanliness, कोटा को मिला 44वां स्थान
कोटा को मिला 44वां स्थान
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Published : Aug 20, 2020, 7:32 PM IST

कोटा. देश के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में एक बार फिर मध्य प्रदेश के इंदौर ने पहला स्थान हासिल किया. इंदौर चौथी बार पहले स्थान पर रहा है, जबकि दूसरे स्थान पर गुजरात का सूरत और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र का नवी मुंबई है. वहीं, कोटा को 44वां रैक मिला है.

कोटा को मिला 44वां स्थान

इस पूरी रैंकिंग को देखा जाए तो कोटा शहर के बाद केवल तीन ही शहर शामिल है. जिनमें चेन्नई, ईस्ट दिल्ली और सबसे अंतिम पटना है. इस हिसाब से कोटा शहर सबसे गंदे चार शहरों में शामिल है और चौथा स्थान उसने इस बार बनाया है. कोटा को 2051 अंक मिले हैं. जबकि कोटा से आगे जयपुर 28 और जोधपुर 29वें नंबर पर रहा है.

पढ़ेंः स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 का परिणाम जारी, जयपुर को मिला 28वां स्थान

महज 34 फीसदी अंक मिले

स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम आए इंदौर को जहां पर 6000 में से 5647 अंक मिले हैं. वहीं कोटा को महज 2051 अंक मिले हैं, जो कि 35 फीसदी से भी कम है. जबकि प्रदेश के अन्य जिले जिनमें जयपुर 28वीं रैंक पर है और उसे 3660 अंक मिले हैं. वहीं जोधपुर को 3615 अंक मिले हैं.

ठीक से लागू नहीं है डोर टू डोर की व्यवस्था

सबसे बड़ी बात यह है कि कोटा में इस बार नगर निगम कोटा उत्तर और दक्षिण में विभाजित किया गया है. ऐसे में जो व्यवस्थाएं बीच में थी वह डगमगा गई थी. इसी के चलते कोटा की रैंकिंग गिरी है. साथ ही सफाई के संसाधनों की भी खरीद पूरी नहीं हो पाई है.

डोर टू डोर कचरा उठाने की व्यवस्था भी पूरे शहर में ठीक से लागू नहीं हुई. शहर के एक तिहाई हिस्से में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के टिपर नहीं जाते हैं. यह वे कॉलोनिया है, जो कि कृषि भूमि पर बनी हुई है. वहां लोग तो रहते हैं, लेकिन सफाई व्यवस्था नगर निगम नहीं करवाता है. साथ ही कचरा प्वाइंटों पर सभी समय से कचरा नहीं उठता है.

पिछले साल 302 नंबर पर था 1791 अंक मिले थे

पिछले सालों में जहां एक साथ पूरे देश के शहरों की रैंकिंग निकाली जाती थी. ऐसे में इस बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसमें बदल करते हुए 10 लाख से ज्यादा आबादी के शहरों को अलग कर दिया है. वहीं 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों को अलग किया है और इनकी रैंकिंग भी अलग-अलग ही निकाली गई है.

पढ़ेंः स्वच्छता में डूंगरपुर ने लहराया परचम

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में कोटा 302 नंबर पर रहा था. इसके बाद केवल राजस्थान में एक ही जिला बारां 313 नंबर पर था. कोटा को 5000 में से 1791 अंक मिले थे. इसके अलावा कोटा 2018 में जहां 101 वें स्थान पर था. वहीं 2017 में कोटा को 341 वां स्थान मिला था.

कोटा. देश के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में एक बार फिर मध्य प्रदेश के इंदौर ने पहला स्थान हासिल किया. इंदौर चौथी बार पहले स्थान पर रहा है, जबकि दूसरे स्थान पर गुजरात का सूरत और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र का नवी मुंबई है. वहीं, कोटा को 44वां रैक मिला है.

कोटा को मिला 44वां स्थान

इस पूरी रैंकिंग को देखा जाए तो कोटा शहर के बाद केवल तीन ही शहर शामिल है. जिनमें चेन्नई, ईस्ट दिल्ली और सबसे अंतिम पटना है. इस हिसाब से कोटा शहर सबसे गंदे चार शहरों में शामिल है और चौथा स्थान उसने इस बार बनाया है. कोटा को 2051 अंक मिले हैं. जबकि कोटा से आगे जयपुर 28 और जोधपुर 29वें नंबर पर रहा है.

पढ़ेंः स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 का परिणाम जारी, जयपुर को मिला 28वां स्थान

महज 34 फीसदी अंक मिले

स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रथम आए इंदौर को जहां पर 6000 में से 5647 अंक मिले हैं. वहीं कोटा को महज 2051 अंक मिले हैं, जो कि 35 फीसदी से भी कम है. जबकि प्रदेश के अन्य जिले जिनमें जयपुर 28वीं रैंक पर है और उसे 3660 अंक मिले हैं. वहीं जोधपुर को 3615 अंक मिले हैं.

ठीक से लागू नहीं है डोर टू डोर की व्यवस्था

सबसे बड़ी बात यह है कि कोटा में इस बार नगर निगम कोटा उत्तर और दक्षिण में विभाजित किया गया है. ऐसे में जो व्यवस्थाएं बीच में थी वह डगमगा गई थी. इसी के चलते कोटा की रैंकिंग गिरी है. साथ ही सफाई के संसाधनों की भी खरीद पूरी नहीं हो पाई है.

डोर टू डोर कचरा उठाने की व्यवस्था भी पूरे शहर में ठीक से लागू नहीं हुई. शहर के एक तिहाई हिस्से में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के टिपर नहीं जाते हैं. यह वे कॉलोनिया है, जो कि कृषि भूमि पर बनी हुई है. वहां लोग तो रहते हैं, लेकिन सफाई व्यवस्था नगर निगम नहीं करवाता है. साथ ही कचरा प्वाइंटों पर सभी समय से कचरा नहीं उठता है.

पिछले साल 302 नंबर पर था 1791 अंक मिले थे

पिछले सालों में जहां एक साथ पूरे देश के शहरों की रैंकिंग निकाली जाती थी. ऐसे में इस बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसमें बदल करते हुए 10 लाख से ज्यादा आबादी के शहरों को अलग कर दिया है. वहीं 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों को अलग किया है और इनकी रैंकिंग भी अलग-अलग ही निकाली गई है.

पढ़ेंः स्वच्छता में डूंगरपुर ने लहराया परचम

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में कोटा 302 नंबर पर रहा था. इसके बाद केवल राजस्थान में एक ही जिला बारां 313 नंबर पर था. कोटा को 5000 में से 1791 अंक मिले थे. इसके अलावा कोटा 2018 में जहां 101 वें स्थान पर था. वहीं 2017 में कोटा को 341 वां स्थान मिला था.

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