कोटा. शिक्षा की काशी कोटा शहर (kota city) देशभर में बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश (Medical and Engineering Admission) दिलाने के लिए विख्यात है. साथ ही यहां के कोचिंग संस्थान देश भर से टैलेंट सर्च भी करते हैं. टैलेंटेड बच्चों को करोड़ों रुपए की स्कॉलरशिप भी दी जाती है.
टैलेंट सर्च में चयनित बच्चों को करोड़ों रुपए के इनाम बांटे जाते हैं. टैलेंट सर्च परीक्षाओं में टॉपर रहने वाले बच्चों को यह रकम नगद में मिलती है. इस तरह की परीक्षाएं कोटा के सभी कोचिंग संस्थान करवा रहे हैं, सब का कुल जोड़ देखा जाए तो 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की स्कॉलरशिप देने का ये कोचिंग संस्थान दावा करते हैंं. साथ ही नगद इनाम की राशि 4 करोड़ से ज्यादा बैठती है.
कोटा के कोचिंग संस्थान सात से आठ अलग-अलग परीक्षाएं आयोजित करते हैं. जिनमें देशभर के करीब 5000 से ज्यादा स्कूल पार्टिसिपेट करते हैं. वहां पढ़ने वाले करीब पांच लाख बच्चे हर साल इन परीक्षाओं में बैठते हैं. इसके अलावा इंडिविजुअल भी बच्चे इन एग्जाम्स को देते हैं. जिसके लिए वे अपना रजिस्ट्रेशन कराते हैं. ये बच्चे कक्षा 5 से लेकर 10वीं तक के होते हैं.
टॉपर को मिलता है 1 लाख रुपए का पुरस्कार
इस परीक्षा में पहली रैंक लाने वाले बच्चों को 1 लाख रुपए तक नगद पुरस्कार मिलता है. यह हर कक्षा के अनुसार टॉपर्स को दिया जाता है. इसके अलावा दूसरी से लेकर 10 वीं रैंक तक भी 50 हजार से ज्यादा का इनाम मिलता है. निचले रैंक तक भी ये पुरस्कार पहुंचते हैं. हर संस्थान अलग-अलग रैंक पर अलग-अलग राशि बच्चों को उपहार में देता है. ज्यादातर संस्थानों में पहली रैंक लाने वाले बच्चों को एक लाख नगद दिए जाते हैं. यहां तक कि 1750 तक रैंक लाने वाले बच्चों को भी इनाम में कुछ नगद राशि मिलती है. इसके साथ ही पहली रैंक लाने वाले बच्चों को 90 फीसदी तक स्कॉलरशिप दी जाती है. स्कूल टॉपर्स को भी स्कॉलरशिप दी जाती है.
अब तक 9 लाख से ज्यादा बच्चे दे चुके हैं परीक्षा
कोटा के एक निजी कोचिंग संस्थान की बात की जाए तो अब तक उनकी ओर से बीते सालों में आयोजित की गई टैलेंट सर्च परीक्षा में 9 लाख 12 हजार स्टूडेंट बैठ चुके हैं. इन बच्चों को करोड़ों रुपए की स्कॉलरशिप मिल चुकी है. इस बार भी उन्हें उम्मीद है कि करीब 2 लाख बच्चे उनके टैलेंट सर्च परीक्षा टैलेनटैक्स (TALENT SEARCH EXAMINATION TALENTEX) में बैठेंगे. जिसमें 200 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप पहले स्टेज में मिलेगी. इस स्टेज से पार कर दूसरे में जाने वाले विद्यार्थियों को सवा करोड़ रुपए के नगद उपहार दिए जाएंगे. इस परीक्षा में कक्षा 5 से लेकर दसवीं तक के विद्यार्थी शामिल हो सकते हैं.
टॉपर्स को भी सर्च करके लाते हैं ये एग्जाम
एक निजी कोचिंग संस्थान के पदाधिकारी शिव शक्ति सिंह राजावत का कहना है कि इस एग्जाम के पीछे उद्देश्य यही है कि जिन इलाकों में शिक्षा का अधिक प्रचार-प्रसार नहीं है वहां के टैलेंटेड बच्चे भी कोटा का एक्सपोजर ले सकें. बच्चे समझ पाएं कि कोटा में किस तरह से पढ़ाई करवाई जाती है. इस परीक्षा में इस बार जेईई एडवांस के टॉपर रहे मृदुल अग्रवाल की बात की जाए या हेत शाह या अयूब की. इसी परीक्षा के जरिए इन बच्चों के टैलेंट का पता चला था और जो बाद में ये बच्चे अच्छी रैंक भी लेकर आए. संस्थान के साथ बच्चा पढ़ना चाहता है तो 90 फीसदी तक की स्कॉलरशिप उसको दी जाती है. इस एक्जाम से देश के 4750 स्कूल से जुड़े हुए हैं, जो अपने लाखों बच्चों को इस परीक्षा में शामिल करवाते हैं.
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भी तैयार होगी रिपोर्ट
कोटा के कोचिंग संस्थान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से ही टैलेंट सर्च परीक्षा को आयोजित करते हैं. इनमें शामिल होने वाले विद्यार्थियों की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से भी रिपोर्ट तैयार करते हैं, जिसे बच्चों को उनकी रुचि के बारे में पता चल सके. कोटा के एक निजी कोचिंग संस्थान की 125 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप अपने टैलेंट सर्च एग्जाम के जरिए देता है. इसके साथ ही डेढ़ करोड़ रुपए का नगद इनाम भी दिया जाता है. इसके साथ ही 12 हजार प्राइस अलग बांटे जाते हैं. वहीं एक अन्य कोचिंग संस्थान भी रिफॉर्म 2022 नाम से एग्जाम करवा रहा है. जिसमें एक करोड़ रुपए का नगद उपहार और 100 करोड़ की स्कॉलरशिप दी जा रही है. कोटा के अन्य कोचिंग संस्थान भी इसी तरह से टैलेंट सर्च एग्जाम करवा रहे हैं.
हर सब्जेक्ट के पूछे जाते हैं प्रश्न
एक कोचिंग संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट शिव प्रकाश विजय का कहना है कि वे अपना टैलेंट सर्च एग्जाम एमटीएसई (talent search exam mtse) ऑफलाइन मोड पर आयोजित करते हैं. इसकी कोई फीस नहीं लेते हैं. देश के विभिन्न विद्यालय में पढ़ने वाले अच्छे बच्चों को आईडेंटिफाई करते हैं और उनको उनके गोल तक पहुंचाने में मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं. इन परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव टाइप पेपर पूछे जाते हैं. इसमें मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेंटल एबिलिटी और बायोलॉजी के प्रश्न होते हैं. इसके आधार पर बता दिया जाता है कि बच्चा कौन से सब्जेक्ट में स्ट्रांग है. उसकी खुद की एक रिपोर्ट बना कर देते हैं. इस परीक्षा को लगभग 3 लाख बच्चे पूरे साल देते हैं.
स्कूल की रिपोर्ट और बच्चों का भी रिपोर्ट कार्ड
शिव प्रकाश विजय का कहना है कि बच्चा अपने शहर में बैठकर के एनालाइज कर पाता है कि वह किस स्थिति में है. जबकि वे एग्जाम के जरिए ऑल इंडिया रैंक (All India Rank) बनाकर देते हैं. साथ ही बच्चों की स्कूल के अनुसार भी रिपोर्ट से बनाई जाती हैं.
स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर्स का भी एनालिसिस भी इससे बनाया जाता है. स्कूल की पूरी रिपोर्ट बनाई जाती है कि स्कूल में किस तरह से सुधार कर सकते हैं. स्कूल की जो अच्छी बातें होती हैं, वह भी इसमें दी जाती हैं और उनमें कुछ सुधार की गुंजाइश होती है, वह भी बताते हैं.