कोटा. जिले में गाय के गर्भ धारण किये बिना चिकित्सकों ने दूध उत्पादन का कारनामा कर दिखाया है. इंड्यूस्ड मिल्क इंडक्शन पद्धति से कोटा में 2 गायों से बिना प्रसव दूध का उत्पादन लिया गया है.
बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में उपनिदेशक डॉ. गणेश नारायण दाधीच और उनकी टीम इस कार्य में सफलता हासिल की है. दावा किया जा रहा है कि हाड़ौती में यह पहली बार हुआ है. सामान्य तौर पर गाय, बकरी या अन्य दुधारू पशु गर्भ धारण करने और प्रसव के बाद दूध देता है. अब कृत्रिम गर्भाधान से दुग्ध उत्पादन के कार्य ने गति पकड़ी है. इससे डेयरी उद्योग को लाभ मिला है.
डॉ. गणेश नारायण दाधीच और उनकी टीम ने 1 साल में इस पद्धति से 2 गायों में दूध का उत्पादन बिना प्रसव के शुरू करवाया है. उनका दावा है कि इस पद्धति से गाय पर भी किसी तरह का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है. दूध की क्वालिटी में भी किसी तरह का कोई अंतर नहीं आता, वह सामान्य दूध ही रहता है.
इंड्यूस्ड मिल्क इंडक्शन पद्धति क्या है
चिकित्सकों का कहना है कि इंड्यूस्ड मिल्क इंडक्शन यानि दुग्ध उत्पादन (INDUCED MILK INDUCTION) पद्धति में इंस्ट्राडायोल एवं प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के इंजेक्शन गाय को लगाए जाते हैं. गाय के अंडाशय की मसाज की जाती है. इसके साथ ही थनों को सहलाया जाता है, इससे 7 से 10 दिन में गाय के थनों के आकार में वृद्धि होने लगती है, गाय में दूध पैदा करने वाले हार्मोन उत्तेजित हो जाते हैं. 14 दिन बाद गाय दूध देना शुरु कर देती है. 21 दिन बाद इस दूध को पीने के काम में लिया जा सकता है. ऐसी गाय 40 दिन में उच्चतम दूध उत्पादन देने लग जाती है, साथ ही 12 से 15 लीटर एक समय में दिन के औसत तक दूध दे सकती है. इस दौरान गाय को उचित मात्रा में संतुलित पौष्टिक आहार देने की आवश्यकता होती है.
वैकल्पिक पद्धति मानकर किया जा सकता है उपयोग
डॉ. गणेश नारायण दाधीच का कहना है कि इस पद्धति से गाय 300 दिन तक दूध दे सकती है, हालांकि इस बीच में वह गर्भधारण भी कर सकती है. प्रेरित दुग्ध उत्पादन वाली गाय में दोबारा गर्भाधान भी करवाया जा सकता है. चिकित्सकों के मुताबिक सामान्य तौर पर गाय गर्भ धारण कर लेती है, लेकिन अगर किसी बीमारी के कारण गाय दूध नहीं दे रही है तो विकल्प के तौर पर प्रेरित दुग्ध उत्पादन पद्धति से उत्पादन लिया जा सकता है.
डॉ. दाधीच का कहना है कि इस प्रकार से उत्पादित व सामान्य दूध में कोई अंतर नहीं होता है. प्रेरित दूध उत्पादन का स्वाद और गुणवत्ता भी साधारण रूप में समान होती है. ऐसे दूध को पीने से आदमी के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ता. इस तरह पशुपालक डेयरी उद्योग में अपनी आय को सुरक्षित रख सकते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इस पद्धति से गायों को कोई नुकसान नहीं होता.
डॉ. दाधीच का कहना है कि ऐसी गाय जिनका औसत दूध उत्पादन ज्यादा है और ज्यादा समय तक दूध देती है. उनकी फैट का प्रतिशत काफी ज्यादा है. साथ ही दूध में सॉलिड मिनरल्स का प्रतिशत भी काफी ज्यादा होता है और जो गाय शांत स्वभाव की होती है, ऐसी गाय के सूखे रहने यानी गर्भ धारण नहीं कर पाने पर पर इस पद्धति का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे किसान या पशुपालक को आर्थिक संबल मिलता है.
11 महीने तक नहीं दिया दूध तो वैकल्पिक पद्धति से शुरू करवाया उत्पादन
कोटा में संदीप रूंगटा ने भी अपनी गाय का इसी तरह से दूध का उत्पादन लिया है. उनका कहना है कि गाय 11 महीने तक गर्भ धारण नहीं कर पाई थी. दूध उत्पादन नहीं हो पा रहा था, इस नए तरीके के बारे में चिकित्सकों ने उन्हें बताया और उन्होंने इसके जरिए दूध उत्पादन गाय से लेना शुरू कर दिया है.
इस तरह पद्धति से सभी लोग आश्चर्यचकित हैं
गायों की सार संभाल करने वाले रामअवतार पोटर का कहना है कि उनकी गाय रोज 15 लीटर दूध देती थी. दूध का अच्छा उत्पादन था, लेकिन गाय के दूध नहीं देने से चारे और अन्य खर्चे लगातार बढ़ रहे थे. इसीलिए डॉ गणेश नारायण दाधीच ने बिना गाय के गर्भ धारण करवाए बिना ही दूध उत्पादन शुरू करवाने की बात कही. हमें विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब गाय ने दूध उत्पादन शुरू कर दिया तो अब सभी लोग आश्चर्यचकित हैं.