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कोटा: कोरोना के चलते हॉस्टल और पीजी व्यवसाय ठप, सरकारी मदद की मांग को लेकर प्रदर्शन - विरोध प्रदर्शन

कोटा में हॉस्टल संघर्ष समिति ने बैंकों के ब्याज में रियायत की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया है. इन लोगों का कहना है कि कोरोना काल में कोटा शहर की कोचिंग इंडस्ट्रीज, हॉस्टल और पीजी व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो गया है, इसलिए सरकारी मदद मिलनी चाहिए.

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कोरोना के चलते हॉस्टल और पीजी व्यवसाय ठप
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Published : Aug 28, 2020, 4:26 PM IST

कोटा. वैश्विक महामारी कोरोना संकटकाल में कोटा शहर की कोचिंग इंडस्ट्रीज ठप पड़ जाने से कोटा शहर में हॉस्टल और पीजी व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो गया है. इसको लेकर कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया है. कोटा में हॉस्टल संचालक का कहना है कि बैंकों से लिया कर्ज चुकता नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो जाने और अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाने की वजह से हॉस्टल और पीजी संचालक बैंकों से लिया गया कर्ज को भुगतान करने में सरकार की मदद मांग रहे हैं.

कोरोना के चलते हॉस्टल और पीजी व्यवसाय ठप

कोटा में शुक्रवार को कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट पर लगातार बैंकों का दबाव बढ़ने से रियायत की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है. कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति ने केंद्र और राज्य सरकार से बैंकों के लोन भुगतान की मोरोटोरियम अवधि बढ़ाने और बैंकों के ब्याज माफ करने की मांग की है. प्रदर्शन के बाद हॉस्टल संघर्ष समिति ने केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्य वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन दिया है. कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि उनके पास इस वक्त कोई पैसा नहीं है, जिससे वह बैंकों का लोन और उनका ब्याज चुकता कर सकें. संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा है कि अगर सरकार उनकी मदद नहीं करती है तो वह सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं.

9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बकाया

कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल के मुताबिक कोटा शहर में लगभग 2500 से 3000 हॉस्टल और लगभग 25000 पीजी है. इन सबको देखे तो पिछले 10 सालों में हॉस्टलों में लगभग 12000 करोड़ का निवेश हुआ है. लगभग इतना ही निवेश पेइंगगेस्ट वाली बिल्डिंगों का भी है, जिसमें हॉस्टलों के ऊपर बैंकों का लगभग 9000 करोड़ से ज्यादा का कार्ज बकाया है. इस वैश्विक महामारी में अभी भारत सरकार द्वारा कोचिंग खोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है. कोटा के हॉस्टल व्यवसाय से सब्जी विक्रेता, राशन विक्रेता, ऑटो वाले, मोबाइल शॉप, मैस और अन्य व्यवसाय सीधे रूप से इस व्यवसाय से जुड़े होने के कारण बहुत बड़ा आर्थिक संकट कोटा शहर पर छाया हुआ है.

यह भी पढ़ें- कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल हुए पायलट, कहा- केंद्र सरकार को छोड़नी होगी अपनी जिद

सभी काम धंधे ठप पड़े हुए हैं. इस स्थिति में बैंकों के लोन चुकाने में व्यवसायी असमर्थ हैं. ऐसे में सरकार और कलेक्टर से मांग है कि कोटा के सभी बैंकिंग और एनबीएफसी के अधिकारियों और हॉस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त रूप से बैठक बुलाई जाए, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर खुद करें. जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उचित समाधान किया जाए, ताकि कोटा के हॉस्टल विभिन्न व्यवसाय के व्यापारियों जो कोटा कोचिंग इंडस्ट्रीज हॉस्टल व्यवसाय से सीधे जुड़े हुए हैं, उन्हें बैंकों के लोन भुगतान और बैंकों के ब्याज भुगतान से राहत मिले.

कोटा. वैश्विक महामारी कोरोना संकटकाल में कोटा शहर की कोचिंग इंडस्ट्रीज ठप पड़ जाने से कोटा शहर में हॉस्टल और पीजी व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो गया है. इसको लेकर कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया है. कोटा में हॉस्टल संचालक का कहना है कि बैंकों से लिया कर्ज चुकता नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो जाने और अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाने की वजह से हॉस्टल और पीजी संचालक बैंकों से लिया गया कर्ज को भुगतान करने में सरकार की मदद मांग रहे हैं.

कोरोना के चलते हॉस्टल और पीजी व्यवसाय ठप

कोटा में शुक्रवार को कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट पर लगातार बैंकों का दबाव बढ़ने से रियायत की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है. कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति ने केंद्र और राज्य सरकार से बैंकों के लोन भुगतान की मोरोटोरियम अवधि बढ़ाने और बैंकों के ब्याज माफ करने की मांग की है. प्रदर्शन के बाद हॉस्टल संघर्ष समिति ने केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्य वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन दिया है. कोटा हॉस्टल संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि उनके पास इस वक्त कोई पैसा नहीं है, जिससे वह बैंकों का लोन और उनका ब्याज चुकता कर सकें. संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा है कि अगर सरकार उनकी मदद नहीं करती है तो वह सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं.

9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बकाया

कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल के मुताबिक कोटा शहर में लगभग 2500 से 3000 हॉस्टल और लगभग 25000 पीजी है. इन सबको देखे तो पिछले 10 सालों में हॉस्टलों में लगभग 12000 करोड़ का निवेश हुआ है. लगभग इतना ही निवेश पेइंगगेस्ट वाली बिल्डिंगों का भी है, जिसमें हॉस्टलों के ऊपर बैंकों का लगभग 9000 करोड़ से ज्यादा का कार्ज बकाया है. इस वैश्विक महामारी में अभी भारत सरकार द्वारा कोचिंग खोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है. कोटा के हॉस्टल व्यवसाय से सब्जी विक्रेता, राशन विक्रेता, ऑटो वाले, मोबाइल शॉप, मैस और अन्य व्यवसाय सीधे रूप से इस व्यवसाय से जुड़े होने के कारण बहुत बड़ा आर्थिक संकट कोटा शहर पर छाया हुआ है.

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सभी काम धंधे ठप पड़े हुए हैं. इस स्थिति में बैंकों के लोन चुकाने में व्यवसायी असमर्थ हैं. ऐसे में सरकार और कलेक्टर से मांग है कि कोटा के सभी बैंकिंग और एनबीएफसी के अधिकारियों और हॉस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त रूप से बैठक बुलाई जाए, जिसकी अध्यक्षता कलेक्टर खुद करें. जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उचित समाधान किया जाए, ताकि कोटा के हॉस्टल विभिन्न व्यवसाय के व्यापारियों जो कोटा कोचिंग इंडस्ट्रीज हॉस्टल व्यवसाय से सीधे जुड़े हुए हैं, उन्हें बैंकों के लोन भुगतान और बैंकों के ब्याज भुगतान से राहत मिले.

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