कोटा. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ कोटा दौरे पर आए हैं. वे शुक्रवार देर रात को कोटा पहुंच (Rajendra Rathore in kota) गए थे. आज उन्होंने सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर हमला बोला. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब तक के सबसे असफल गृह मंत्री (Rajendra Rathore on CM Ashok Gehlot) रहे हैं. प्रदेश में इंडियन पीनल कोड की जगह गहलोत पीनल कोड चल रहा है. यहां पर अपराधों के लिए राजनीतिक दलों के अनुसार अलग-अलग मापदंड बनाए गए हैं.
भाजपा का कोई भी विधायक या पूर्व विधायक किसी घटना में संलिप्त पाया जा रहा है, तो बिना जांच पूरी हुए उनकी (Rajendra Rathore targeted cm gehlot) गिरफ्तारी करना गलत है. भवानी सिंह राजावत की गिरफ्तारी पर भारतीय जनता पार्टी के एक भी नेता के उनके समर्थन में नहीं आने की बात पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि भाजपा में कोई गुटबाजी नहीं है. हम हमले के पक्षधर भी नहीं हैं. लेकिन भवानी सिंह राजावत हो या फिर जितेंद्र गोठवाल इनके खिलाफ दर्ज हुए मामले में पूरी जांच होनी चाहिए थी. उसके बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए थी. मुख्यमंत्री ने उनके विधायकों को एक तरफ से खुली छूट दे रखी है. वो कानून को धता बता रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के लोग कानून तोड़ते हैं तो तुरंत गहलोत पीनल कोड के तहत कार्रवाई हो जाती है.
कांग्रेस विधायकों ने अपराध किए, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई: राठौड़ ने कहा कि पार्टी के विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा मारपीट करते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनसे अस्पताल में मिलने जाते हैं, लेकिन आज तक भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. इसी तरह से नगर के विधायक वाजिद अली की मौजूदगी में उनके समर्थक ताबड़तोड़ फायरिंग करते हैं और वह खुद मौजूद रहकर उसके लिए उकसाते हैं. इसी तरह से कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत मालवीय की बेटी की शादी में फायरिंग होती है. राजगढ़ के विधायक जौहरी लाल मीणा का बेटा दीपक पर नाबालिग से दुष्कर्म का मामला दर्ज होता है. 164 के बयान दर्ज होने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है.
पुलिस की गलती से हुई डॉ अर्चना की मौत: राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि डॉ अर्चना की मौत गंभीर विषय है. इसमें पुलिस की गलती के चलते ही मौत हुई है. लेकिन पुलिस अधिकारियों में एसएचओ और एसपी को केवल हटाया गया है. जबकि आईपीसी की धाराओं के तहत उन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी. साथ ही ऐसे क्या कारण रहे कि धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का यहां पर उल्लंघन हुआ है. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने साल 2008 में ही शासन में रहते हुए चिकित्सकों के लिए प्रोटेक्शन एक्ट बना दिया था, लेकिन नादान और गैर जिम्मेदार पुलिस ने सारी चीजों को धता बता दिया. इसी के चलते गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. अर्चना को जान देनी पड़ी.
पढ़ें-अमित शाह को राजस्थान आने की जरूरत नहीं, गहलोत सरकार को तो हम ही निपटा देंगे : कटारिया
मेडिकल हेल्थ वालंटियर कोर्स बनाने वाले मुख्यमंत्री, वादों से मुकर रहे: दुर्भाग्य इस बात का भी है कि फरवरी माह तक राजस्थान में 26,159 मामले हत्या, हत्या का प्रयास, नकबजनी, लूट, डकैती, बलात्कार, बलवा व चोरी के दर्ज हुए हैं. उसमें से 24,583 मामले में अभी भी अनुसंधान ही चल रहा है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री मेडिकल हेल्थ वॉलिंटियर फोर्स बनाने की बात कर रहे थे. लेकिन इसके बावजूद भी 27000 ऐसे लोग हैं जिन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना में काम किया. अपनी जान जोखिम में डालकर सरकार के आमंत्रण पर नियुक्त होकर काम किया. अब इनकी सेवाएं समाप्त कर दी है. यह लोग धरने पर बैठे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में बड़ा अंतर सामने आ रहा है.
प्रदेश में बन गए हैं कई मिनी मुख्यमंत्री: राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में मिनी मुख्यमंत्री बने हुए हैं. साथ ही इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाए. इसके अलावा कांग्रेस को समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों को भी इसी तरह का तमगा उन्होंने दिया है. ये सभी लोग अपने आप को इतना घमंड और सरकार को अपनी विरासत समझ रहे हैं. इसी कारण से लूट आमजन के साथ हो रही है. आज पुलिस का इकबाल इस कदर टूट गया है कि कस्टोडियल डेथ के मामले भी बढ़ रहे हैं.
पढ़ें-Rajasthan Phone Tapping Case : सीएम गहलोत के OSD लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक 9 मई तक बढ़ी
राजस्थान में भी है जी-19: राठौड़ ने कहा कि दिल्ली में जिस तरह से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल के नेतृत्व में जी-23 ग्रुप बना हुआ है. इसी तरह से राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से जुड़े विधायक भी जी-19 बनाए हुए हैं. इसमें सचिन पायलट के साथ गुड़गांव की होटल में मौजूद विधायक शामिल है. कुछ विधायक तो मुख्यमंत्री की सरपरस्ती में चले गए. वह भी मिनी मुख्यमंत्री बन गए हैं. लेकिन अन्य विधायकों को बतौर एमएलए मिलने वाले अधिकार भी नहीं मिल पा रहे हैं. यहां तक कि मंत्री पद पर बैठाए जाने के बाद भी असहाय महसूस कर रहे हैं.