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लोक अदालत में राजीनामें से हुआ केसों का निपटारा - LOK ADALAT ORGANIZED

राजस्थान में लोक अदालत के जरिए 40.62 लाख प्रकरणों का निस्तारण किया गया है.

LOK ADALAT IN RAJASTHAN,  40 LAKH CASES SETTLED
लोक अदालत में राजीनामें से हुआ केसों का निपटारा. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 23, 2024, 9:36 PM IST

जयपुरः राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में साल की अंतिम लोक अदालत आयोजित की गई. लोक अदालत में राजीनामें से 7.28 लाख लंबित मामलों सहित कुल 40.62 लाख प्रकरणों का निस्तारण किया गया. इसके साथ ही 11.75 अरब रुपए से अधिक के अवार्ड भी पारित किए गए.

जयपुर पीठ में लोक अदालत का शुभारंभ हाईकोर्ट के जस्टिस व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस पंकज भंडारी ने किया. उन्होंने कहा कि लोक अदालत हर नागरिक के लिए न्याय प्राप्त करने का सुगम व सुलभ साधन है. लोक अदालत एक ऐसी जगह है, जहां विवाद के समाधान की प्रक्रिया में पक्षकार खुद ही भाग लेता है और विवाद का समाधान ही खुद तय करते हैं. हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में लोक अदालत के जरिए 655 केसों का राजीनामे के जरिए निस्तारण किया गया. सांगानेर मुख्यालय पर भी लोक अदालत में पांच से दस साल पुराने मामलों व अन्य केसों सहित 726 मामलों का निस्तारण राजीनामे के जरिए हुआ.

पढ़ेंः राष्ट्रीय लोक अदालत की पहल, फौजदारी के 106 मामलों का राजीनामा के माध्यम से निस्तारण

इनमें पक्षकारों को 2.83 करोड़ रुपए के अवार्ड जारी किए गए. लोक अदालत को लेकर प्राधिकरण के सचिव हरिओम अत्री ने बताया कि लोक अदालत में लाखों की संख्या में प्री-लिटिगेशन और लंबित मुकदमों को सूचीबद्ध किया गया. लोक अदालत में राजीनामा हो सकने वाले सिविल, आपराधिक, सेवा, श्रम, मोटर दुर्घटना, पारिवारिक सहित अन्य प्रकृति के प्रकरणों को सूचीबद्ध किया गया. उन्होंने बताया कि लोक अदालत में दोनों पक्षकारों की आपसी सहमति से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है. इसमें न किसी की हार होती है और न किसी की जीत. आपसी सहमति से निस्तारण होने के चलते संबंधित मुकदमे में अपील भी नहीं होती और उसका अंतिम रूप से निस्तारण हो जाता है.

जयपुरः राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में साल की अंतिम लोक अदालत आयोजित की गई. लोक अदालत में राजीनामें से 7.28 लाख लंबित मामलों सहित कुल 40.62 लाख प्रकरणों का निस्तारण किया गया. इसके साथ ही 11.75 अरब रुपए से अधिक के अवार्ड भी पारित किए गए.

जयपुर पीठ में लोक अदालत का शुभारंभ हाईकोर्ट के जस्टिस व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस पंकज भंडारी ने किया. उन्होंने कहा कि लोक अदालत हर नागरिक के लिए न्याय प्राप्त करने का सुगम व सुलभ साधन है. लोक अदालत एक ऐसी जगह है, जहां विवाद के समाधान की प्रक्रिया में पक्षकार खुद ही भाग लेता है और विवाद का समाधान ही खुद तय करते हैं. हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में लोक अदालत के जरिए 655 केसों का राजीनामे के जरिए निस्तारण किया गया. सांगानेर मुख्यालय पर भी लोक अदालत में पांच से दस साल पुराने मामलों व अन्य केसों सहित 726 मामलों का निस्तारण राजीनामे के जरिए हुआ.

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इनमें पक्षकारों को 2.83 करोड़ रुपए के अवार्ड जारी किए गए. लोक अदालत को लेकर प्राधिकरण के सचिव हरिओम अत्री ने बताया कि लोक अदालत में लाखों की संख्या में प्री-लिटिगेशन और लंबित मुकदमों को सूचीबद्ध किया गया. लोक अदालत में राजीनामा हो सकने वाले सिविल, आपराधिक, सेवा, श्रम, मोटर दुर्घटना, पारिवारिक सहित अन्य प्रकृति के प्रकरणों को सूचीबद्ध किया गया. उन्होंने बताया कि लोक अदालत में दोनों पक्षकारों की आपसी सहमति से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है. इसमें न किसी की हार होती है और न किसी की जीत. आपसी सहमति से निस्तारण होने के चलते संबंधित मुकदमे में अपील भी नहीं होती और उसका अंतिम रूप से निस्तारण हो जाता है.

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