कोटा. राशन कार्ड में फर्जीवाड़ा कर 800 सरकारी मुलाजिमों ने लाखों क्विंटल सरकारी गेहूं की लूट को अंजाम दिया है. इस मामले में अब डीएसओ और एसडीएम की जांच में खुलासा हुआ है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के गेहूं की इस लूट में इंजीनियर, ग्रामीण विकास अधिकारी, व्याख्याता, प्रिंसिपल, हेड मास्टर और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इनमें से अधिकांश लोग गजेटेड ऑफिसर की श्रेणी में आते हैं, साथ ही कुछ कार्मिक भी शामिल हैं. मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन लगातार इन सभी सरकारी कर्मियों को रिकवरी का नोटिस भेज रहा है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में चल रहे इस फर्जीवाड़े का सबसे पहले खुलासा करने वाले कनवास एसडीएम राजेश डागा ने बताया कि राशन कार्ड में फर्जीवाड़ा करके सरकारी कर्मचारी जो इस योजना के लिए पूर्णतः अपात्र हैं. उन्होंने भी इस योजना में सेंध लगाकर गरीबों के हिस्से का राशन उठाया है. राशन उठाने वाले सरकारी कर्मचारियों में कुछ अधिकरी भी शामिल हैं.
आधार कार्ड के जरिए लगाया पता...
एसडीएम डागा ने बताया कि ये फर्जीवाड़ा आधार कार्ड को राशन कार्ड से लिंक करने के बाद पकड़ में आया है. आधार कार्ड से लिंक होने के बाद पता चला कि किसी व्यक्ति के पास कई बीघा जमीन है तो कोई सरकारी कर्मचारी तो वहीं किसी का वेतन अधिक है. जिस कारण वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लिए पात्र नहीं है. अब फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद एसडीएम और जिला रसद विभाग ने ऐसे अपात्र लोगों की सूची जारी करते हुए इन सबको बिक्री के लिए नोटिस जारी कर दिया है.
कोटा के डीएसओ मोहम्मद ताहिर के अनुसार अभी तक वह सरकारी कार्मिकों को 42 लाख रुपये के नोटिस जारी कर चुके हैं. इनमें से 23 लाख रुपये की रिकवरी भी हो गई है. सरकारी कार्मिकों ने जो गेहूं उठाया है. उसमें 27 किलो के अनुसार उनसे रिकवरी की जा रही है. अब इस तरह के लगभग 2,080 अपात्र लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना की सूची से बाहर किया जा चुका है. इनमें करीब 800 सरकारी कर्मचारी शामिल हैं.
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नौकरी कर रहे कोटा में, राशन अपने गृह जिले में उठा रहे...
एसडीएम कनवास राजेश डागा के अनुसार अधिकांश कर्मचारी ऐसे हैं जो कि राशन तो अपने गृह जिलों में उठा रहे हैं, लेकिन वे ड्यूटी कोटा में कर रहे हैं. इनमें अलवर, झुंझुनू और सीकर सरकारी कार्मिक शामिल हैं, जो हजारों रुपये महीने की सैलरी भी ले रहे हैं और गेहूं भी उठा रहे हैं. इनमें नगर पालिका सांगोद, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, स्टैटिक, पंचायत समिति सांगोद, कैथून व इटावा इटावा, शिक्षा विभाग, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, जलदाय विभाग, सीएडी, पुलिस, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी शामिल हैं.
ये लोग नहीं ले सकते फायदा...
- आय एक लाख से ज्यादा हो
- 2 हजार वर्ग फीट से ज्यादा मकान
- 1 हेक्टेयर सिंचित भूमि या 2 हेक्टेयर असिंचित
- आयकर दाता नहीं होना चाहिए
- परिवार की यूनिट में किसी की सरकारी नौकरी नहीं हो
- चार पहिया वाहन नहीं होना चाहिए
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कुछ कार्मिक जो उठा रहे थे फर्जीवाड़े कर गेहूं...
पद | कार्मिक |
सीएडी जेईएन | चित्रेश कुमार सैनी और शेर सिंह |
प्रिंसिपल | बाबूलाल मीणा |
हेड मास्टर | शत्रुघ्न जाट |
व्याख्याता | रमेश सिंह, गिर्राज प्रसाद मीणा, मीरा कुमारी कुमावत, प्रिया कुमारी और रामभजन बैरवा |
ग्राम विकास अधिकारी | जगदीश कलवार, बिरधीलाल मेरोठा, लक्ष्मण सिंह चौहान और रामलाल महावर |
पुलिस कांस्टेबल | नरेश कुमार और रामदयाल |
सेकंड ग्रेड टीचर | हंसराज मेघवाल, लोकेश गोचर, पवन कुमार, पुष्पराज सिंह हाड़ा, गौरव कुमार, ललित कुमार, मूलचंद मेह |
पटवारी | बाबूलाल राठौर और चेतन मेघवाल |
गौरतलब है कि लॉकडाउन के समय में NFSA में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. हालांकि, इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जिन सरकारी कार्मिकों ने राशन उठाया था. ऐसे 704 सरकारी कर्मचारियों को रसद विभाग ने चिन्हित कर उनसे रिकवरी शुरू कर दी थी. बता दें कि सरकारी कार्मिकों को 42 लाख रुपये के नोटिस जारी किए जा चुके हैं. जिनमें से अभी तक 23 लाख रुपये की रिकवरी हो गई है.