कोटा. राजस्थान सरकार के लहसुन और प्याज को मार्केट इंटरवेंशन स्कीम पर खरीदने को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है. इसके तहत 2957 रुपए प्रति क्विंटल लहसुन की खरीद (garlic 2957 and onion will be purchased at Rs 778) होगी. यह खरीद राजस्थान में 1.07 लाख मीट्रिक टन होगी. जबकि प्याज की खरीद 778 रुपए क्विंटल होगी. राजस्थान में प्याज 2.56 मीट्रिक टन खरीदा जाएगा.
लहसुन और प्याज के गिरते हुए दामों से लाखों का नुकसान उठा रहे किसानों को राहत मिली है. बाजार में खुली बोली से किसानों का लहसुन 1 रुपए से लेकर 25 रुपए किलो तक बिक रहा है. इसके चलते किसानों को मूल का भी नुकसान हो रहा है. यह राहत केंद्र सरकार लहसुन और प्याज को बाजार हस्तक्षेप स्कीम के तहत खरीदने को हरी झंडी देने के बाद मिली है. इस खरीद के लिए राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं. इसके तहत 2957 रुपए प्रति क्विंटल लहसुन की खरीद होगी. यह खरीद राजस्थान में 1.07 लाख मीट्रिक टन होगी.
जबकि प्याज की खरीद की खरीद 778 रुपए प्रति क्विंटल होगी. राजस्थान में प्याज 2.56 मीट्रिक टन खरीदा जाएगा. इसके लिए जल्द ही राजस्थान सरकार अब पूरा रोड मैप बनाएगी और किसान के लहसुन को खरीदने के लिए केंद्र स्थापित किए जाएंगे. बता दें कि हाड़ौती संभाग में करीब 1,15000 हेक्टेयर में किसानों ने लहसुन की फसल की है. जिसका उत्पादन करीब 6 लाख 80 हजार मीट्रिक टन हुआ है. इस बंपर उत्पादन के चलते ही लहसुन के दाम धड़ाम से नीचे आ गिरे हैं. किसान को जहां पर एक क्विंटल लहसुन उगाने के लिए 2500 से 4000 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं. वहीं उन्हें बाजार में मुनाफे की बात तो दूर इनके आधे दाम भी नहीं मिल पा रहे हैं.
किसानों को 300 रुपए क्विंटल अब मिलेगा भाव: ईटीवी भारत ने लगातार लहसुन किसानों की पीड़ा उजागर की थी. जिसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने किसानों से बातचीत की. साथ ही इस मुद्दे पर भी इस संबंध में प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया से बातचीत की थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने लहसुन और प्याज को मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत खरीदने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था और उसी के तहत अनुमति मिल गई है. हालांकि, किसानों को साल 2018 में मिले 3257 रुपए क्विंटल से किसानों का माल खरीदा गया था, जबकि इस बार 300 रुपए क्विंटल कम भाव मिलेगा. लहसुन की खरीद 2018 में अप्रैल से जून तक कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ चारों जिलों में हुई थी. जिसमें 20,603 किसानों का माल खरीदा गया था. यह करीब 75,245 मीट्रिक टन था.