कोटा. कोविड-19 महामारी के चलते इस बार भी जिला प्रशासन ने गणेश महोत्सव पर पंडाल सजाने पर रोक लगा दी है. हालांकि कई संगठन सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार 3 फीट से छोटी मूर्ति प्रतीकात्मक रूप में स्थापित करना चाहते हैं. ऐसा ही कर्म योगी सेवा संस्थान भी करने जा रहा है, जो कि इस बार अनूठी और इको फ्रेंडली गणपति की मूर्ति तैयार की है.
यह मूर्ति नारियल के छिलकों से बनाई गई है. नारियल के छिलकों के रेशों का उपयोग करते हुए कई कारीगरों ने मिलकर बनाई है. जिसे कि 10 सितंबर को कर्मयोगी सेवा संस्थान के नयापुरा स्थित कार्यालय पर स्थापित किया जाएगा.
राजाराम कर्मयोगी ने बताया कि नारियल के रेशों से निर्मित गणपति का रेशमी वस्त्र और मोतियों से जड़ित जरीदार गोटे से श्रृंगार किया गया है. गणपति के मस्तक पर साफा शोभायमान है. इसे राधिका स्वयं सहायता समूह बूंदी की अध्यक्ष रेखा पाराशर के निर्देशन में 15 दिन की कड़ी मेहनत से 16 किलो नारियल के छिलकों के रेशों से गणपति प्रतिमा को निर्मित किया गया है.
इसके अलावा शहर में रायपुरा चौराहे के नजदीक, छावनी, बारां रोड के अलावा नए कोटा में गणेश नगर और रंगबाड़ी में कई जगह पर मूर्ति कलाकार गणपति की नई-नई मूर्तियों को तैयार करने में लगे हैं. ज्यादातर कारीगर मिट्टी की मूर्तियां ही बनाते हैं, लेकिन कुछ लोग पीओपी (plaster of paris) की मूर्तियां भी बना रहे हैं. जबकि पीओपी की मूर्तियां सस्ती होने के चलते लोग खरीद लेते हैं, लेकिन इन पर प्रशासन ने बैन लगाया हुआ है.
इसके पहले ही जिला प्रशासन ने कोटा में अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाले जुलूस को भी प्रतीकात्मक रूप से निकालने पर ही सहमति बनाई है. जिसमें की शोभा यात्रा के परंपरागत मार्ग से केवल प्रतीकात्मक झांकी निकलेगी. जिसमें आयोजन समिति के लोग कुछ ही संख्या में शामिल होंगे. आमजन की भागीदारी इसमें नहीं रखी जाएगी.
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कोटा में अनंत चतुर्दशी पर लाखों की संख्या में लोग जुलूस को देखने आते हैं. साथ ही हजारों की संख्या में गणपति की प्रतिमाएं शहर में अलग-अलग जगह पर स्थापित की जाती हैं, जो कि इस जुलूस के माध्यम से ही किशोर सागर तालाब में विसर्जित होती हैं. यह क्रम देर रात 3 बजे तक जारी रहता है, जिसमें बड़ी-बड़ी क्रेनों की व्यवस्था भी जिला प्रशासन करता है. इनके जरिए ही 20 से 25 फीट ऊंची मूर्तियां विसर्जित की जाती है.