कोटा. ईएनटी के प्रोफेसर डॉ. राजकुमार जैन का कहना है कि आजकल डर के कारण भी कई मरीज ब्लैक फंगस बताकर भर्ती हो रहे हैं. हर मरीज तो यह सोचता है कि उसको ब्लैक फंगल है. उनको अगर हल्के से रिपोर्ट में साइनोसाइटिस भी आ जाती है, तो उसे फंगल साइनोसाइटिस मान लेते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि हर मरीज ही ब्लैक फंगस का हो.
जैन कहते हैं कि करीब 60 मरीजों के ऑपरेशन नाक, कान व गला विभाग कर चुका है. इनमें से 7 से 8 मरीजों की बायोप्सी रिपोर्ट नेगेटिव है. उन्हें सामान्य साइनोसाइटिस निकली है. ये बीमारी आम है, पहले भी होती है. साइनोसाइटिस के साथ बैक्टीरियल साइनोसाइटिस भी होती है, जिसमें आम भाषा में जुकाम पकना कहते हैं.
वह हो जाता है, जिसमें भी दर्द होता है, ऐसे भी मरीज निकले हैं. इसमें से 3 मरीज नेत्र वार्ड में भर्ती हैं, वहीं दो ईएनटी के वार्ड में हैं. इसके अलावा एक बुजुर्ग महिला 65 वर्षीय ऐसी है जो कि अस्पताल से ब्लैक फंगल इन्फेक्शन नहीं होने पर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था. लेकिन दोबारा आकर भर्ती हो गई है, जिसका एंटी वार्ड में उपचार जारी है.
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मरीज भी नहीं दे रहे ऑपरेशन की सहमति...
ईएनटी के प्रोफेसर डॉ. जैन का कहना है कि कुछ 25 मरीज ऐसे भी हैं जो बाहर से ऑपरेशन करा कर भर्ती हुए हैं. उनका भी इलाज जारी है. इसके अलावा ब्लैक फंगल इंफेक्शन से पीड़ित 4 से 5 मरीज ऐसे हैं, जो कि ऑपरेशन करवाने की सहमति नहीं दे रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं ऑपरेशन के बाद स्थिति और गंभीर नहीं हो जाए. डॉ. जैन का कहना है कि दो मरीजों ने हालांकि अब सहमति समझाइश के बाद भी है. उनके ऑपरेशन को जल्द ही प्लान किया जाएगा.
इधर, कुछ मरीज ऑपरेशन के लिए ही नहीं हैं फिट...
डॉ. राजकुमार जैन का यह भी कहना है कि कुछ मरीजों के ऑपरेशन हम भी नहीं कर पा रहे हैं. हमें भी डर है कि ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति बिगड़ नहीं जाए, क्योंकि वह फिजिकली अनफिट हैं. इन मरीजों में अधिकांश में उच्च रक्तचाप, अनकंट्रोल्ड शुगर, हृदय रोग और कोविड-19 से रिकवर होने के चलते फेफड़े भी कमजोर हैं. ऐसे करीब 10 मरीज अनफिट चल रहे हैं. वार्ड में इनका उपचार जारी है और जिन्हें ऑपरेशन के लिए सामान्य करने का प्रयास भी किया जा रहा है. जब ये मेडिकली फिट होंगे, उसके बाद ही उनका ऑपरेशन किया जाएगा.