कोटा. कलक्ट्रेट के बाहर पिछले 14 दिसंबर से कृषि कानूनों के विरोध में किसान धरने पर बैठे हुए हैं. वहीं शनिवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर एक दिवसीय उपवास रखा. साथ ही उपवास करने वाले किसानों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र के सामने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन व्रत भी रखा. उपवास रखने वाले किसानों ने धरना स्थल पर आज रामधुन भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए की.
देशव्यापी आव्हान के मुताबिक कोटा शहर में भी कलेक्ट्रेट के बाहर 14 दिसंबर से चल रहे किसानों के धरने पर आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर धरने पर बैठे किसानों ने एकदिवसीय उपवास किया है. सुबह 10 बजे शुरू हुआ उपवास शाम तक चला. इस मौके पर उपवास करने वाले किसानों ने किसान नेताओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र के सामने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन भी रखा. किसान नेता दुलीचंद बोरदा ने कहा कि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है और देश में किसान आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से चल रहा है.
उन्होंने कहा कि बापू सद्भावना एकता और अहिंसा के पुजारी थे. उनके आदर्शों के मुताबिक ही देश का किसान आज की हुकूमत के सामने सड़क पर देश के किसानों को बर्बाद होने से बचाने के लिए आंदोलित हैं, लेकिन केंद्र सरकार भाजपा संगठन और आरएसएस इस किसान आंदोलन को बर्बाद करना चाहती है. देश के किसानों को बर्बाद करना चाहते हैं, जो हरगीज किसान नहीं होने देंगे. किसान मजदूर संगठित होकर सरकार से अपना हक लेकर रहेंगे.
यह भी पढ़ें- अजमेर कांग्रेस में गुटबाजी, पार्षद प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी से भाटी, रलावता गुट के प्रत्याशियों ने बनाई दूरी
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति कोटा संभाग के संयोजक फतेहचंद बागला ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से किसान आंदोलन को तोड़ना चाहती है. किसान एकजुट होकर संगठित होकर आंदोलन को अंजाम तक लेकर जाएगा और जो 26 जनवरी के दिन घटना घटी है, वह पूरे षड्यंत्र करके किसानों को तोड़ने की साजिश केंद्र सरकार के द्वारा की गई थी. किसान नेता फतेहचंद बागला ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सद्भावना के संदेश देते थे और उसी संदेश के साथ तीन कृषि कानून को वापस करवाने को लेकर किसान आंदोलित रहेगा.
किसान कभी भी नहीं टूटेगा
उपवास में शामिल हुए युवा किसान दिलकुश मीणा ने कहा कि वह खुद एक माह तक दिल्ली शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शरीक होकर वापस कोटा लौटे हैं, लेकिन देश के किसान इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े हैं. वे किसान शांतिपूर्ण ढंग से इस आंदोलन को चला रहा है. देश का किसान इस जंग को जीतकर रहेगा.