कोटा. राजस्थान की गहलोत सरकार उद्योग विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन रीको की अजीबोगरीब प्लानिंग से गूंदी फतेहपुर इंडस्ट्री एरिया (Gundi Fatehpur Industry Area) में प्लांट स्थापित नहीं हो पा रहे हैं. रीको कुएं से पानी पहुंचाने का दावा कर रहा है, जबकि उद्योगपति का कहना है कि औद्योगिक इकाइयों के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. इन उद्योगपतियों ने रीको पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है.
उद्योगपतियों ने कहा कि लाखों के प्लॉट को खरीदने के बाद भी उन्हें रीको पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं करवा पाया है, जिसके चलते वे उद्योग नहीं लगा पा रहे हैं. इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट लेने वाले राज नारायण गर्ग का कहना है कि हमारे साथ धोखाधड़ी की जा रही है. कोटा स्टोन फैक्ट्री के मालिक गर्ग का कहना है कि अगर उन्हें कुंए या बोरिंग से ही पानी लेना था, तो वे नजदीक में ही दूसरे प्राइवेट भूखंड खरीद सकते थे, जिनका दाम इन भूखंडों का 25 प्रतिशत भी नहीं है. उस भूखंड को कन्वर्ट करा फैक्ट्री वहां डाल सकते थे. रीको से भूखंड लेने का कोई मतलब नहीं निकला है.
न रोशनी, न सुरक्षा- ईटीवी भारत ने जब मौके का जायजा लिया, तब सामने आया कि इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माण कार्य अभी जारी है. सड़कें बन चुकी है, इंडस्ट्री की बिजली सप्लाई की लाइनें डल चुकी है. हालांकि चौराहे पर निर्माण कार्य जारी है. केवल चार बड़े पोल पर लाइट लगा दी गई है, जिन्हें स्ट्रीट लाइट बताया जा रहा है. हालांकि इनसे कुछ ही एरिया में रोशनी होती है. इसके अलावा बाकी एरिया में अंधेरा रहता है. पूरा एरिया बिल्कुल सुनसान नजर आया और सिक्योरिटी की भी कोई व्यवस्था मौके पर नजर नहीं आई.
उद्योगपति प्रकाश जैन कहना है कि लेबर को किसके भरोसे वहां छोड़ दे. चोरी और लूट के अलावा असामाजिक तत्वों का खतरा है. इंडस्ट्री एरिया में 350 से ज्यादा औद्योगिक प्लॉट हैं, ये सभी खाली हैं और 4 स्ट्रीट लाइट लगाकर उजाले का दावा किया जा रहा है. यहां पर करोड़ों रुपए खर्च कर फैक्ट्री लगा देते हैं, तब उन्हें रात को सुरक्षा नहीं मिल पाएगी. चारों तरफ से एरिया पूरी तरह से खुला हुआ है.
प्रति फैक्ट्री 5000 लीटर से ज्यादा पानी की मांग- गूंदी फतेहपुर इंडस्ट्रियल एरिया रामगंजमंडी इलाके में है और यहां पर अधिकांश औद्योगिक भूखंड कोटा स्टोन की फैक्ट्री लगाने वाले लोगों ने ही खरीदे हैं. इन उद्योगपतियों का साफ कहना है कि इंडस्ट्रियल एरिया में वे उद्योग स्थापित कर देंगे, लेकिन पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्हें प्रतिदिन 5000 लीटर पानी की जरूरत है, लेकिन यहां पर पाइप लाइन डाली गई है. केवल कुएं से पानी देने की बात कही जा रही है. इनमें भी पानी ज्यादा दिन नहीं रहता है. ऐसे में अगर हम करोड़ों रुपए खर्च कर यहां फैक्ट्री लगा लेंगे, तो फिर आगे चलकर यह फैक्ट्री बन्द जैसे हालात में ही पहुंच जाएगी क्योंकि हजारों लीटर पानी की सप्लाई उन्हें नहीं मिलेगी.
औद्योगिक भूखंड मालिक गोविंद फतेहपुरिया का कहना है कि यहां बाहरी इलाका बंजर जमीन पर बसा हुआ है. यहां पर एक फसल किसानों को करनी पड़ती थी क्योंकि पानी नहीं है. अब किस एरिया में बिना पानी के फैक्ट्री लगाना इंडस्ट्रियलिस्ट के लिए बहुत बड़ा खतरा है. यहां तक की फैक्ट्री निर्माण के लिए भी पानी वहां पर उपलब्ध नहीं हो पाएगा. जैसे ही फैक्ट्रियां बढ़ेगी, कुओं का पानी खत्म हो जाएगा.
एक भी इंडस्ट्री चालू नहीं- गूंदी फतेहपुर इंडस्ट्रियल एरिया (Gundi Fatehpur Industry Area) में एक भी इंडस्ट्री अभी चालू नहीं हो पाई है. यहां तक कि एक इंडस्ट्री का ही निर्माण यहां पर चल रहा है, जिसमें भी अभी मशीनरी आना बाकी है. यह केमिकल की फैक्ट्री बताई जा रही है. एक प्लॉट मालिक ने अपने प्लॉट पर बाउंड्री करवाई है. वहीं दूसरे ने बाउंड्री करवाने के लिए नींव खुदाई करवाई है. इसके बावजूद भी रीको ने इस पूरे एरिया को विकसित घोषित कर दिया है जबकि यहां पर कोई भी उद्योग संचालित नहीं हो रहा है.
रीको ने गूंदी फतेहपुर इंडस्ट्रियल एरिया को विकसित करने के लिए अब तक 47 करोड़ का खर्चा किया है. पूरे इंडस्ट्रियल एरिया में 364 औद्योगिक भूखंड की योजना बनाई गई है. इनमें से 95 प्लॉट ऑक्शन के लिए दिए गए थे, जिनमें डेढ़ साल में 44 प्लॉट ही बिक पाए हैं. एक महीने पहले इस पूरे इंडस्ट्रियल एरिया को विकसित घोषित कर दिया है, जिसके बाद सर्विस चार्ज इंडस्ट्रियल प्लॉट मालिकों को देना होगा. रीको को इस इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट बेचने से 15 करोड़ की आय हुई है. हालांकि यह पैसा 3 सालों तक उन्हें किस्तों में मिलेगा.
कहीं ताले न लग जाएं- उद्योगपतियों का कहना है कि इंडस्ट्रियल एरिया में कोई भी निर्माण नहीं किया है. आज हम यहां पर फैक्ट्री लगाएंगे तो करीब एक से दो करोड़ का खर्चा होगा. यह प्लॉट भी हमें 70 लाख का मिला है, यह पैसा हमारा बर्बाद नहीं चला जाए. इस एरिया को विकसित घोषित कर दिया गया है और 10.70 रुपए स्क्वायर मीटर का सर्विस चार्ज भी चालू कर दिया गया है. प्लॉट मालिक विजय सेठिया का कहना है कि अभी करोड़ों रुपए का इन्वेस्ट वहां पर करना हमारे लिए नुकसान का सौदा ही होने वाला है. रीको के अधिकारी हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं. हमसे हजारों रुपए का सर्विस चार्ज शुरू कर दिया है. इस हिसाब से तो इस एरिया में 350 से ज्यादा भूखंड है, जिनका बिकना भी मुश्किल हो जाएगा.
कुओं से देंगे इंडस्ट्री को पानी- रीको के रीजनल मैनेजर संजीव सक्सेना का कहना है कि इस पूरे इंडस्ट्री एरिया को पानी देने के लिए 3 कुएं हैं. यह पहले इसी एरिया में बने हुए थे, जिन्हें इंडस्ट्रियल एरिया बनने के बाद हमने कब्जे में ले लिया है. इनसे इंडस्ट्री को पानी देने के लिए पंप लगा दिए हैं. पानी की पाइप लाइन बिछाने और पानी की बड़ी टंकी का काम करवाया जा रहा है. कुएं के पानी में कोई दिक्कत आती है, तब उद्योगों के लिए नलकूप से पानी देने की व्यवस्था की जाएगी. नियमों के मुताबिक और गाइडलाइन की पालना करते हुए ही इंडस्ट्री एरिया को विकसित घोषित किया गया है. हेड ऑफिस की कमेटी भी निरीक्षण में सब कुछ सही पाया था. गूंदी फतेहपुर इंडस्ट्रियल एरिया कॉमन फैक्ट्रियों के लिए है. इसमें ज्यादातर स्टोन की फैक्ट्रियां लगनी है.
ताखली से पानी देने के बारे में यह बोले- रीको के रीजनल मैनेजर सक्सेना का ताखली नदी से पानी देने के सवाल पर कहना है कि हमने यह वादा किया है, जिसे सबसे अंतिम फेज में पूरा करेंगे. ताखली नदी से पाइप लाइन डाली जाएगी और इस औद्योगिक क्षेत्र को पानी जरूर दिया जाएगा. हालांकि दूसरी तरफ अभी ताखली नदी पर बांध नहीं है और यह कार्य कब पूरा होगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में रीको कब यहां से इस इंडस्ट्री एरिया को पानी देता है, यह भी कुछ नहीं कहा जा सकता है. दूसरी तरफ रीको के पहले फेज के प्लॉट भी पूरी तरह से नहीं बिक पाए हैं, ऐसे में अंतिम फेज कितने साल में आएगा यह भी संशय बना हुआ है.