कोटा. कोरोना काल (Coronavirus) में शिक्षा नगरी को जोरदार झटका लगा है. अनलॉक के 4 महीने बाद भी कोटा (Education Hub Kota) 3 हजार करोड़ के घाटे में डूबा है. कोटा की अर्थव्यवस्था का आधार कोचिंग है और फिलहाल कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. इसका पूरा खामियाजा कोटा शहर झेल रहा है. कोटा में लाखों विद्यार्थी यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुके हैं. कोटा में जहां 2 लाख बच्चे कोचिंग करने आते थे, वहीं 2020 में अब तक महज 25 हजार के आसपास बच्चे ही कोटा पहुंचे हैं. इस कारण कोटा की इकोनॉमी को कोई बूम नहीं मिल पाया. कोटा आर्थिक स्थिति में पिछड़ गया है और करीब एक लाख लोग अभी भी बेरोजगार ही हैं. अनलॉक के बाद भले ही दुकानें, मॉल्स खुल गए हैं. इससे आर्थिक स्थिति में जरूर सुधार हो रहा है, लेकिन अनलॉक के 4 महीने बाद भी कोटा 3 हजार करोड़ के नुकसान में है.
फैक्ट्रियों के बंद होने के बराबर कोचिंग बंद रहना...
कोचिंग इंडस्ट्री से लेकर हॉस्टल एसोसिएशन तक, सभी वर्ग के लोग आंदोलनरत हैं. लोगों की मांग है कि कोटा की कोचिंग को शुरू किया जाए, क्योंकि जिस तरह से कोटा में जेके और आईएल जैसी बड़ी फैक्ट्रियां बंद हुई हैं, वैसे ही स्थिति अब कोचिंग संस्थानों से जुड़े अन्य रोजगार की हो गई हैं. कोचिंग संस्थानों को खुलवाने के लिए आंदोलनरत लोगों का कहना है कि उनके तीन हॉस्टल संचालकों ने आत्महत्या कर ली है.
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आर्थिक और मानसिक परेशानी झेल रहे...
दुकानदारों का कहना है कि देश के अन्य शहर के सभी बाजारों में रौनक है. सरकार को चाहिए कि कोचिंग संस्थान खोलें, ताकि कोचिंग एरिया में भी व्यापार हो, यहां पर सब कुछ ठप पड़ा है. एक फीसदी काम नहीं चल रहा है. इससे आर्थिक परेशानी तो उन्हें उठानी पड़ रही है, साथ ही मानसिक रूप से भी तंग आ चुके है. फुटकर व्यापार करने वाले लोगों के भी आमदनी ठप है। सड़क पर बैठकर टेलर का काम करने वाले नंदकिशोर का कहना है कि उन्हें कई कई दिनों तक एक रुपए की आमदनी भी नहीं होती है.
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दुकानों पर से हटा दिए वर्कर...
कोटा के दुकानदारों ने मेस और फास्ट फूड सहित रेस्टोरेंट, जूस कॉर्नर जैसे सभी व्यापार बंद है. इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को उठाना पड़ रहा है. लोग सैकड़ों की संख्या में बेरोजगार हो गए हैं. यहां तक कि जो दुकानें कुछ चल रही है. वहां पर काम करने वाले वर्कर्स को भी हटा दिया गया है. खुद दुकान मालिक ही काम कर लेता है, क्योंकि व्यापार बचा भी नहीं है.
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3000 हॉस्टल में 40 हजार लोग करते थे काम...
कोटा शहर में जहां पर 3000 हॉस्टल है. इनमें करीब 35 से 40 हजार लोग कार्यरत थे, जो अब बेरोजगार है. सभी हॉस्टलों में एक-एक गार्ड लगाए हुए हैं. जिनको भी पूरी वेतन नहीं मिल पा रही है. हॉस्टल में जहां पर कुक, सिक्योरिटी गार्ड, वार्डन, हाउसकीपिंग स्टाफ और इलेक्ट्रीशियन काम करते थे, अब काम नहीं होने के चलते सभी को हटा दिया गया है.
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200 रुपये की कमाई भी मुश्किल से...
ऑटो चालकों का कहना है कि कोटा कोचिंग एरिया समेत पूरे शहर में करीब 15,000 ऑटो चलते थे. अधिकांश कोचिंग एरिया में ही संचालित होते थे. हालात यह है कि 400 ऑटो भी सड़क पर नहीं है और उन्हें भी पूरा पैसा नहीं मिल पा रहा है. पहले जहां पर 700 से 800 रुपए दिन भर में कमा लेते थे, अब 200 भी नहीं कमा पा रहे हैं.
दुकानों की सेल महज 10 फीसदी...
कोटा के कोचिंग एरिया में इंद्र विहार, जवाहर नगर, राजीव गांधी नगर, लैंडमार्क और कोरल पार्क में संचालित होने वाली दुकानों का भी यही हाल है. इन दुकानदारों का कहना है कि पहले जहां पर उन्हें फुर्सत भी नहीं मिलती थी. वे अब दिन भर खाली बैठे रहते हैं. इक्के-दुक्के ही ग्राहक आते हैं. सेल उनकी 10 फीसदी भी नहीं रही है.
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मेस और फास्ट फूड शॉप हुई बंद...
पहले जहां 2 लाख बच्चे कोटा में थे. अब 20 से 25 हजार बच्चे ही हैं, वह भी अलग-अलग एरिया में रहते हैं. ऐसे में कई मेस बंद हैं और वह बीते 7 महीने से ही बंद पड़े हुए हैं. यहां तक कि दुकानों का किराया नहीं चुका पाने के चलते फास्ट फूड शॉप, जूस की दुकान, फल फ्रूट और अन्य कई दुकानदारों ने अपनी दुकान बंद कर दी है, क्योंकि खर्चा भी उनका नहीं निकल पा रहा था.
लोन के बदले लोन...
कोटा के सभी कोचिंग से जुड़े व्यापारियों ने एक संघर्ष समिति बनाई है, जो कि लगातार आंदोलन कर सरकार से मांग कर रही है कि कोचिंग संस्थानों को चालू करें. इनका कहना है कि जब शराब की दुकान खोल दी गई है, तो कोचिंग संस्थानों को खोलने में क्या दिक्कत है. इन लोगों का कहना है कि कोरोना का खतरा तो बना हुआ है, लेकिन यह कुछ दिनों में चला जाएगा. कई साथियों का करोड़ों रुपये किस्त के रूप में हर महीने जाता है. ऐसे में अब जब आमदनी नहीं हो रही है तो उसे चुकाना मुश्किल है. ऐसे में उन्होंने लोन की किस्त चुकाने के लिए भी लोन ले लिया. ऐसे में सरकार कोई जल्द निर्णय करे, अन्यथा स्थिति और भी विकट हो सकती है.