कोटा. नगर निगम की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर के बाद किशोरपुरा थाना पुलिस ने केईडीएल के डिप्टी मैनेजर भानु मिश्रा, मीटर हेड महामृत्युंजय पांडे और लीगल हेड सुमित घोष से पूछताछ की है. जिला प्रशासन की गठित टीम के आईटी विशेषज्ञ महेंद्र पाल व इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर मनीष जैन सहित पुलिस के अधिकारियों ने पूछताछ की है. जिसके बाद इन लोगों को वापस भेज दिया गया.
कोटा शहर की बिजली व्यवस्था को संभाल रही निजी बिजली कंपनी कोटा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड पर पुलिस ने शिकंजा कंसा है. पुलिस ने तीन कर्मचारियों को पूछताछ के लिए किशोरपुरा थाने पर भी बुलाया. जहां पर उनसे घंटों पूछताछ की गई है. इस मामले में नगर निगम ने मुकदमा दर्ज करवाया था कि उनके बिजली के 2 मीटर लगे हुए हैं. उनमें कम रीडिंग होने के बावजूद भी ज्यादा बिल जारी कर दिया गया है.
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इस मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के अनुदेश पर FIR दर्ज करवाई गई थी. इस मामले में केईडीएल के डिप्टी मैनेजर भानु मिश्रा, मीटर हेड महामृत्युंजय पांडे और लीगल हेड सुमित घोष शामिल हैं. वहीं, किशोरपुरा थानाधिकारी शंभू सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन ने इसके लिए एक जांच टीम गठित की थी. जिनमें आईटी विशेषज्ञ महेंद्र पाल व इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर मनीष जैन सहित अन्य लोग शामिल हैं. इनके साथ पुलिस के अधिकारी भी पूछताछ में शामिल रहे हैं.
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रविंद्र त्यागी ने इस संबंध में प्रेस नोट जारी कर कहा है कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर नगर निगम किशोरपुरा थाने में शिकायत दी थी. उस पर केईडीएल के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया था. रविंद्र त्यागी ने प्रेस नोट जारी करते हुए बिजली कंपनी के अधिकारियों की गिरफ्तारी का दावा किया. हालांकि पुलिस ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया. उनका कहना है कि केवल पूछताछ के लिए अधिकारियों को बुलाया था.
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने संभागीय प्रवक्ता अरविंद सिसोदिया ने कहा कि अचानक से केईडीएल के अधिकारियों से पूछताछ सरकार के इशारे पर चुनाव में फायदा लेने का कदम है. उन्होंने कहा कि पुलिस में एफआईआर दर्ज होने के कई महीने तक कोई जांच पड़ताल नहीं की और अब अचानक से जब निगम के चुनाव हैं, तो जनता को बरगलाने के लिए इस तरह का कदम उठाया.