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कोटा: मौत के कुछ घंटों पहले मिली इलाज की इजाजत, अस्पताल जाते समय मरीज ने दम तोड़ा

कोटा के खैराबाद निवासी कैंसर पीड़ित रोगी शिवराज माली का समय पर इलाज नहीं होने से उनकी मौत हो गई है. जिसके बाद परिजनों ने उपखण्ड अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अधिकारी ने रोगी के इलाज के लिए जयपुर जाने की परमिशन देने में लेटलतीफी की. इसी कारण मरीज की मौत हुई.

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मरीज ने तोड़ा दम
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Published : May 3, 2020, 10:06 AM IST

रामगंजमंडी (कोटा). जिले के खैराबाद निवासी कैंसर पीड़ित रोगी शिवराज माली (33) को समय पर उपचार ना मिलने से मौत हो गई है. मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि कैंसर पीड़ित रोगी को समय पर जयपुर अस्पताल में ले जाने की परमिशन मिल जाती तो उसका उपचार हो सकता था. किन्तु निर्दयी उपखण्ड अधिकारी चिमनलाल मीणा की हठधर्मिता के कारण परमिशन देने में लेटलतीफी हुई. इसी कारण मरीज की मौत हुई है.

परिजनों ने लगाया उपखण्ड अधिकारी पर आरोप

मृतक के परिजनों ने बताया कि रोगी को जयपुर ले जाने के लिए उपखण्ड अधिकारी के पास पिछले 5 दिनों से भटकते रहे. जब रोगी की ज्यादा तबीयत खराब हो गई और सांस लेने में तकलीफ आ गई तो दिनांक 30 अप्रेल को सुबह 10 बजे उपखण्ड अधिकारी के कार्यालय गए. जहां तैनात चतुर्थ कर्मचारी ने कहा कि परमिशन शाम को मिलेगी.

पढ़ेंः केंद्र के बाद राज्य सरकार ने जारी की लॉकडाउन 3.0 की गाइडलाइन

मृतक के परिजन बार-बार गुहार लगाते रहे कि रोगी की ज्यादा तबीयत खराब है, लेकिन अधिकारी का दिल नहीं पसीजा. जिसके बाद फिर शाम को चार बजे एक भाजपा नेता के कहने पर परमिशन मिली उसके बाद उन्हें 4.30 बजे जयपुर जाने की परमिशन मिली. मृतक के परिजन निजी वाहन से जयपुर के लिए रवाना हुए और मण्डाना के पास ही केंसर पीड़ित रोगी ने दम तोड़ दिया. वहीं उनकी मौत का जिम्मेदार रामगंजमंडी का उपखण्ड अधिकारी है.

मृतक के परिजनों ने बताया कि यदि समय पर कैंसर पीड़ित को परमिशन मिल जाती तो रोगी की जान बच सकती थी. लेकिन अधिकारी ने हमारी मदद नहीं की और यह अनहोनी हो गई. वहीं मृतक अपने पीछे 3 मासूम बच्चे छोड़ गया है, जिसमें 13 वर्षीय बालिका, 10 वर्षीय पुत्र, 8 वर्षीय बालिका है.

रामगंजमंडी (कोटा). जिले के खैराबाद निवासी कैंसर पीड़ित रोगी शिवराज माली (33) को समय पर उपचार ना मिलने से मौत हो गई है. मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि कैंसर पीड़ित रोगी को समय पर जयपुर अस्पताल में ले जाने की परमिशन मिल जाती तो उसका उपचार हो सकता था. किन्तु निर्दयी उपखण्ड अधिकारी चिमनलाल मीणा की हठधर्मिता के कारण परमिशन देने में लेटलतीफी हुई. इसी कारण मरीज की मौत हुई है.

परिजनों ने लगाया उपखण्ड अधिकारी पर आरोप

मृतक के परिजनों ने बताया कि रोगी को जयपुर ले जाने के लिए उपखण्ड अधिकारी के पास पिछले 5 दिनों से भटकते रहे. जब रोगी की ज्यादा तबीयत खराब हो गई और सांस लेने में तकलीफ आ गई तो दिनांक 30 अप्रेल को सुबह 10 बजे उपखण्ड अधिकारी के कार्यालय गए. जहां तैनात चतुर्थ कर्मचारी ने कहा कि परमिशन शाम को मिलेगी.

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मृतक के परिजन बार-बार गुहार लगाते रहे कि रोगी की ज्यादा तबीयत खराब है, लेकिन अधिकारी का दिल नहीं पसीजा. जिसके बाद फिर शाम को चार बजे एक भाजपा नेता के कहने पर परमिशन मिली उसके बाद उन्हें 4.30 बजे जयपुर जाने की परमिशन मिली. मृतक के परिजन निजी वाहन से जयपुर के लिए रवाना हुए और मण्डाना के पास ही केंसर पीड़ित रोगी ने दम तोड़ दिया. वहीं उनकी मौत का जिम्मेदार रामगंजमंडी का उपखण्ड अधिकारी है.

मृतक के परिजनों ने बताया कि यदि समय पर कैंसर पीड़ित को परमिशन मिल जाती तो रोगी की जान बच सकती थी. लेकिन अधिकारी ने हमारी मदद नहीं की और यह अनहोनी हो गई. वहीं मृतक अपने पीछे 3 मासूम बच्चे छोड़ गया है, जिसमें 13 वर्षीय बालिका, 10 वर्षीय पुत्र, 8 वर्षीय बालिका है.

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