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कोटा में भी मंडरा रहा बूंदी जैसे भयानक हादसे का खतरा, कहीं जानलेवा ना बन जाएं चंबल की नहरें

बूंदी जिले की मेज नदी में बस गिरने से हुई 24 लोगों की मौत से पूरा प्रदेश सहम उठा था. यहां, हादसे का कारण था मेज नदी की संकरी पुलिया और रैलिंग का ना होना. इस भयानक हादसे के बाद कोटा में भी भय की स्थिती है. यहां चंबल नदी से निकलने वाली कई नहरें ऐसी हैं जो हादसों को दावत देती नजर आ रही हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Kota News, जानलेवा बनती नहरें
कोटा में हादसों को निमंत्रण दे रहीं नहरें
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Published : Feb 28, 2020, 12:39 PM IST

कोटा. लाखेरी में हुए मेज नदी हादसे के बाद कोटा के कई इलाकों में भी क्षेत्रवासियों में भय का माहौल बना हुआ है. खासकर उन इलाकों में जहां शहर के बीचोंबीच से होकर नहरें निकल रही हैं. इन नहरों पर सुरक्षा दीवार नहीं होने से यहां हमेशा खतरा रहता है. इलाके के लोगों को डर है कि कहीं मेज नदी हादसा जैसी घटना यहां ना हो जाए. इसके लिए नहरों पर सुरक्षा दीवार जरूरी है.

कोटा में हादसों को निमंत्रण दे रहीं नहरें

दरसअल, कोटा की चंबल नदी से दाईं ओर बाईं मुख्य नहरें निकल रहीं है, जो सैकड़ों किलोमीटर तक किसानों को खेती के लिए पानी सप्लाई करती है. कई जगहों पर ये नहरें इतनी गहरी और पानी से लबालब होती हैं कि किसी नदी से कम नहीं हैं. साथ ही पल में बड़ी से बड़ी गाड़ियों को अपने अंदर समा सकती है. इन नहरों का काफी हिस्सा कोटा शहर के बीचों बीच से होकर निकलता है.

इसके किनारों के पास बड़ी संख्या में रिहायशी इलाके हैं. इन नहरों के किनारों पर कोई सुरक्षा दीवार नहीं है और अगर कहीं छोटी दीवारें हैं तो वो भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. ऐसे में इनके किनारों से जब स्कूली बच्चों की गाड़ियां और मिनी बस निकलती है तो उन पर खतरा बना रहता है. इसके चलते क्षेत्रवासियों में भय का माहौल बना हुआ है.

पढ़ें: बूंदी बस हादसा : मृतकों के परिजनों से मिलेंगे मुख्यमंत्री गहलोत और यूडीएच मंत्री धारीवाल

बोरखेड़ा और शिवपुरी धाम जैसे कई इलाकों में सैकड़ों परिवार ऐसी नहरों के आसपास रहते हैं. इसके लिए अब क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि वो इन नहरों के किनारों पर ध्यान दें और जहां-जहां रिहायशी इलाका है, वहां इनके किनारों पर सुरक्षा दीवार बनाया जाए, जिससे मेज नदी हादसे की पुनरावृत्ति नहीं हो और कोई मानवीय भूल से अकारण ही काल का ग्रास ना बने.

हाल ही में कुन्हाड़ी में एक हादसा ऐसी ही नहर के किनारे पर हुआ था, जब बच्चों से भरी स्कूली वैन पत्थर आने से पलट गई थी और बच्चे नहर में गिरने से बाल-बाल बच गए थे. वैन अगर जरा भी साइड में होती तो पूरी वैन नहर में गिर सकती थी.

कोटा. लाखेरी में हुए मेज नदी हादसे के बाद कोटा के कई इलाकों में भी क्षेत्रवासियों में भय का माहौल बना हुआ है. खासकर उन इलाकों में जहां शहर के बीचोंबीच से होकर नहरें निकल रही हैं. इन नहरों पर सुरक्षा दीवार नहीं होने से यहां हमेशा खतरा रहता है. इलाके के लोगों को डर है कि कहीं मेज नदी हादसा जैसी घटना यहां ना हो जाए. इसके लिए नहरों पर सुरक्षा दीवार जरूरी है.

कोटा में हादसों को निमंत्रण दे रहीं नहरें

दरसअल, कोटा की चंबल नदी से दाईं ओर बाईं मुख्य नहरें निकल रहीं है, जो सैकड़ों किलोमीटर तक किसानों को खेती के लिए पानी सप्लाई करती है. कई जगहों पर ये नहरें इतनी गहरी और पानी से लबालब होती हैं कि किसी नदी से कम नहीं हैं. साथ ही पल में बड़ी से बड़ी गाड़ियों को अपने अंदर समा सकती है. इन नहरों का काफी हिस्सा कोटा शहर के बीचों बीच से होकर निकलता है.

इसके किनारों के पास बड़ी संख्या में रिहायशी इलाके हैं. इन नहरों के किनारों पर कोई सुरक्षा दीवार नहीं है और अगर कहीं छोटी दीवारें हैं तो वो भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. ऐसे में इनके किनारों से जब स्कूली बच्चों की गाड़ियां और मिनी बस निकलती है तो उन पर खतरा बना रहता है. इसके चलते क्षेत्रवासियों में भय का माहौल बना हुआ है.

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बोरखेड़ा और शिवपुरी धाम जैसे कई इलाकों में सैकड़ों परिवार ऐसी नहरों के आसपास रहते हैं. इसके लिए अब क्षेत्रवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि वो इन नहरों के किनारों पर ध्यान दें और जहां-जहां रिहायशी इलाका है, वहां इनके किनारों पर सुरक्षा दीवार बनाया जाए, जिससे मेज नदी हादसे की पुनरावृत्ति नहीं हो और कोई मानवीय भूल से अकारण ही काल का ग्रास ना बने.

हाल ही में कुन्हाड़ी में एक हादसा ऐसी ही नहर के किनारे पर हुआ था, जब बच्चों से भरी स्कूली वैन पत्थर आने से पलट गई थी और बच्चे नहर में गिरने से बाल-बाल बच गए थे. वैन अगर जरा भी साइड में होती तो पूरी वैन नहर में गिर सकती थी.

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