कोटा. वर्ष 2020 कोरोना महामारी से बचने और खुद को सुरक्षित रखने में बीत गया और अब 2021 आते ही बर्ड फ्लू का खतरा मंडराने लगा है. कौओं की मौत के बाद अब बगुलों और कोयल की मौत से प्रदेश में सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी है. कोरोना का नया स्ट्रेन भी चुका है जो पहले से ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है. फिलहाल बर्ड फ्लू को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह कौओं या कोयल जैसे पक्षियों से इंसानों में नहीं फैलता है. हां, मुर्गियों के मरने के बाद यह समस्या गंभीर हो गई है क्योंकि इनसे यह संक्रमण इंसानों में आसानी से फैल सकता है.
राजस्थान ही नहीं अब देश भर से बर्ड फ्लू के मामले सामने आने लगे हैं, लेकिन हाड़ौती संभाग की बात की जाए तो विशेषज्ञों का कहना है कि जो इंसानों में बर्ड फ्लू फैलने का खतरा मुर्गियों से ही है. पशुपालन विभाग के उपनिदेशक और बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय कोटा के प्रभारी डॉ. गणेश नारायण दाधीच का कहना है कि हाड़ौती संभाग में कबूतर और कौए में ही इस तरह की बीमारी मिली है, लेकिन विश्व में आज तक कौओं से इंसानों में बर्ड फ्लू ट्रांसमिशन के कोई लक्षण नहीं मिले हैं, लेकिन मुर्गियों से संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है. इसके लिए मुर्गियों का मीट व अंडे खाना खतरनाक साबित हो सकता है. उनसे दूर भी रहना चाहिए. इन दिनों सबसे ज्यादा एहतियात मुर्गी पालन और पोल्ट्री फॉर्म वालों को बरतनी होगी.
यह भी पढ़ें: आफत ही आफत! झालावाड़ में कौओं के बाद अब बगुला और कोयल भी हो रही Bird Flu का शिकार
बर्ड फ्लू से इंसानों को सबसे ज्यादा है खतरा, मौतें भी हुईं हैं
झालावाड़ जिले में मरे कौओं में बर्ड फ्लू यानी एवियन इनफ्लुएंजा H1 N1 वायरस की पुष्टि हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस कौओं में फैलता है तो इंसानों को खतरा नहीं है लेकिन मुर्गियों में फैलता है तो खतरनाक साबित हो सकता है. इसके मीट और अंडे से यह इंसानों में फैल सकता है. कॉविड 19 और स्वाइन फ्लू की तरह ही इसमें सामान्य फ्लू जैसे लक्षण होते हैं. साथ ही बाद में सांस लेने में समस्या, उल्टी, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, नाक बहना, सिर में दर्द होते हैं. साथ ही बर्ड फ्लू का वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश कर जाता है. ज्यादातर जो केस दर्ज किए गए हैं, उनमें मुर्गी और संक्रमित पक्षियों के जरिए ही इंसानों में यह वायरस प्रवेश किया था. इस वायरस से इंसानों की मौत के मामले भी विश्व भर में सामने आए हैं, ज्यादातर मामलों में इलाज करवाने में देरी के चलते मौतें हुईं हैं.
अभी तो सरकार को रिपोर्ट का इंतजार...
झालावाड़ जिले में मृत मिले कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. ऐसे में वहां पर 1 किलोमीटर एरिया में कर्फ्यू लगा दिया गया है, ताकि इंसानों और अन्य पक्षियों में यह वायरस न फैले. हालांकि पूरे प्रदेश में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं और उसकी जांच के लिए मध्यप्रदेश के भोपाल लेबोरेटरी में सैंपल भेजे जा रहे हैं. वहां से रिपोर्ट आने का इंतजार है. इसका खामियाजा अन्य पक्षी और इंसानों को भी भुगतना पड़ सकता है. डॉ. दाधीच का कहना है कि आम जनता को संक्रमित एरिया में नहीं जाना चाहिए. पूरी तरह से मूवमेंट रिस्ट्रिक्शन लागू होना चाहिए, लेकिन ऐसा कन्फर्मेशन रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकता है. जितने भी पक्षी मृत मिलते हैं, उनको साइंटिफिक रूप से डिस्पोज किया जाना चाहिए, ताकि वायरस न फैले.
यह भी पढ़ें: पाली में Bird Flu अलर्ट...जिले भर में बनाए 8 कंट्रोल रूम
आज फिर हुई 19 पक्षियों की मौतें
कोटा जिले में लगातार पक्षियों की मौत का क्रम भी जारी है. मंगलवार को भी पशुपालन विभाग के डाटा के अनुसार रामगंजमंडी एरिया में 16 कोओं की मौत हुई है. इसके अलावा कोटा शहर में तीन बगुले भी मृत अवस्था में मिले हैं. अब तक की बात करें तो कोटा जिले में 130 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है. इनमें करीब 100 के आसपास कोएं हैं. इनमें 25 के आसपास कबूतर और कुछ बगुले भी शामिल हैं.
पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी, मृत पक्षी से दूर ही रहे इंसान
बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद मुर्गी पालकों व आमजन को सावधानियां व सतर्कता के निर्देश जारी किए है. इसमें बीमार व मृत पक्षियों से 3 फीट दूर रहें, मास्क का प्रयोग करें, हाथों को साबुन से धोएं. वहीं पक्षियों के पिंजरों व दड़बों व आसपास के क्षेत्र को सैनिटाइज करें, जहां पालतू पक्षी व मुर्गियां विचरण करती हों. पोल्ट्री बर्ड मीट व अंडे ना खाएं. पक्षियों की बीट और उनसे दूर रहें. मृत पक्षी को गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं या जला दें. तालाबों, नहरों, नदी व जलाशयों व झीलों के आसपास निगरानी रखें. पक्षी मृत पाए जाएं तो वन विभाग व पशुपालन विभाग के जिला कार्यालय के कंट्रोल रूम पर सूचित करें.
कोटा में सात आरआरटी तैयार
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ चंपा लाल मीणा का कहना है कि कोटा में सात रैपिड रिस्पांस टीम तैनात कर दी गई है. इसके अलावा 24 घंटे का कंट्रोल रूम शुरू कर दिया गया है. इसकी सूचना मिलने पर तुरंत एक्शन लिया जा रहा है. जो आरआरटी बनाई गई है, उनमें एक जिला लेवल की है जबकि 6 ब्लॉक के स्तर की हैं. तुरंत सूचना मिलते ही मृत पक्षी के नमूने लेकर जांच के लिए भोपाल भेजे जाते हैं. साथ ही उन पक्षियों के शव डिस्पोजल भी साइंटिफिक तरीके से किया जा रहा है. अन्य विभाग नगर निगम, नगर पालिका, वन विभाग और जिला प्रशासन के साथ मिलकर पूरे जिले में काम कर रहे हैं. जिस जगहों पर मामले पाए जा रहे हैं उसे क्षेत्र को सैनिटाइज भी किया जा रहा है.