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स्पीकर ओम बिरला सहित अन्य के मुकदमे वापस लेने पर भरत सिंह ने कहा-युवाओं पर दर्ज मामले भी हों वापस - स्पीकर ओम बिरला

राज्य सरकार स्पीकर ओम बिरला सहित कई नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने जा रही है. इस पर सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने कहा है कि जिस तरह से आम जनता पर अगर ऐसा मुकदमा दर्ज होने पर उन्हें सजा भुगतनी पड़ती है, सरकारी नौकरियों से वंचित किया जाता है, ऐसा ही जनप्र​तिनिधियों के साथ होना चाहिए. अगर ऐसा किया जा रहा है तो अग्निपथ योजना के विरोध के चलते युवाओं पर दर्ज मुकदमे भी वापस होने चाहिए. उन्होंने इस बारे में सीएम गहलोत को भी पत्र लिखा (Bharat Singh writes to CM Gehlot) है.

Bharat Singh demands withdrew cases against youth
स्पीकर ओम बिरला सहित अन्य के मुकदमे वापस लेने पर भरत सिंह ने कहा-युवाओं पर दर्ज मामले भी हों वापस
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Published : Jun 21, 2022, 4:21 PM IST

कोटा. राज्य सरकार ने हाल ही में कोटा से जुड़े जनप्रतिनिधियों के मुकदमे वापस लेने की सिफारिश की है. ये मुकदमे 2012 में नेशनल हाईवे 52 को जाम करने से जुड़े हैं. इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित अन्य भाजपा नेता शामिल हैं. इस पर सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि जिस तरह से मुकदमे के चलते आम जनता को सजा भुगतनी पड़ती है, सरकारी नौकरियों से महरूम रहना पड़ता है, इसी तरह जनप्रतिनिधियों को भी छूट नहीं मिलनी चाहिए. अगर विधायक और सांसदों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं, तो देशभर में आम जनता पर दर्ज ऐसे सभी मुकदमे वापस लिए (Bharat Singh demands withdrew cases against youth) जाएं.

उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. साथ ही कहा कि 2012 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन 4 विधायकों ने कोटा जिले में नेशनल हाईवे को जाम किया था. उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे जानकारी मिली है कि उनके खिलाफ सरकार मुकदमा वापस लेने जा रही है. विधायक रहते हुए राहत प्रदान करनी है, तो आम आदमी पर दर्ज प्रदेश में सभी इसी तरह के मुकदमे वापस लिए जाएं.

पढ़ें: Bharat Singh letter to Gehlot बाहरी उम्मीदवारों पर भरत सिंह का तंज, बड़े नेताओं में हिम्मत नहीं

जनप्रतिनिधि बन कर उच्च पद पर आसीन, भर्तियों में नहीं मिलता मौका: भरत सिंह ने पत्र में कहा है कि इस प्रकार की धारा में अगर किसी युवा पर केस हो, तो अग्निपथ योजना में आवेदन कर सेना में भर्ती का मौका नहीं दिया जा सकता है. यहां प्रश्न उठता है कि अनुशासन तोड़ने वाले युवक को जब सेना में भर्ती नहीं किया जा सकता है, तो फिर अनुशासन तोड़ने वाले विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि उच्च पद पर कैसे आसीन हो जाते हैं?. भरत सिंह के अनुसार जिन मामलों में चालान की सिफारिश की जा चुकी है, उनको वापस लेना ना तो उचित है और ना ही जनहित में. यह सियासी सद्भावना ना होकर राजनीति में आपसी बचाव का मार्ग खोलना है.

पढ़ें: Bharat Singh writes to CM Gehlot : पंजाब की तरह राजस्थान में भी भ्रष्ट मंत्रियों को बर्खास्त कर जेल भेजा जाए : विधायक भरत सिंह

बदहाल हाईवे को दुरुस्त करने की मांग को लेकर जाम का था मामला: कांग्रेस के शासनकाल में 2012 में कोटा-झालावाड़ नेशनल हाईवे 52 दुर्दशा का शिकार था. बदहाल सड़क मार्ग को दुरुस्त करने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक ओम बिरला, चंद्रकांता मेघवाल, भवानी सिंह राजावत सहित अन्य ने हाईवे जाम किया था. पुलिस ने इस मामले में 49 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था. जिसका चालान भी पेश हो चुका है. इनमें से एक आरोपी की मृत्यु हो गई है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के चलते जनप्रतिनिधियों, सांसद और विधायकों पर दर्ज मुकदमे सरकार सीधे वापस नहीं ले सकती है. ऐसे में हाईकोर्ट की अनुमति चाहिए. हाईकोर्ट की अनुमति के लिए ही राज्य सरकार ने अभी अर्जी दाखिल की है.

कोटा. राज्य सरकार ने हाल ही में कोटा से जुड़े जनप्रतिनिधियों के मुकदमे वापस लेने की सिफारिश की है. ये मुकदमे 2012 में नेशनल हाईवे 52 को जाम करने से जुड़े हैं. इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित अन्य भाजपा नेता शामिल हैं. इस पर सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि जिस तरह से मुकदमे के चलते आम जनता को सजा भुगतनी पड़ती है, सरकारी नौकरियों से महरूम रहना पड़ता है, इसी तरह जनप्रतिनिधियों को भी छूट नहीं मिलनी चाहिए. अगर विधायक और सांसदों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं, तो देशभर में आम जनता पर दर्ज ऐसे सभी मुकदमे वापस लिए (Bharat Singh demands withdrew cases against youth) जाएं.

उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. साथ ही कहा कि 2012 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन 4 विधायकों ने कोटा जिले में नेशनल हाईवे को जाम किया था. उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे जानकारी मिली है कि उनके खिलाफ सरकार मुकदमा वापस लेने जा रही है. विधायक रहते हुए राहत प्रदान करनी है, तो आम आदमी पर दर्ज प्रदेश में सभी इसी तरह के मुकदमे वापस लिए जाएं.

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जनप्रतिनिधि बन कर उच्च पद पर आसीन, भर्तियों में नहीं मिलता मौका: भरत सिंह ने पत्र में कहा है कि इस प्रकार की धारा में अगर किसी युवा पर केस हो, तो अग्निपथ योजना में आवेदन कर सेना में भर्ती का मौका नहीं दिया जा सकता है. यहां प्रश्न उठता है कि अनुशासन तोड़ने वाले युवक को जब सेना में भर्ती नहीं किया जा सकता है, तो फिर अनुशासन तोड़ने वाले विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि उच्च पद पर कैसे आसीन हो जाते हैं?. भरत सिंह के अनुसार जिन मामलों में चालान की सिफारिश की जा चुकी है, उनको वापस लेना ना तो उचित है और ना ही जनहित में. यह सियासी सद्भावना ना होकर राजनीति में आपसी बचाव का मार्ग खोलना है.

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बदहाल हाईवे को दुरुस्त करने की मांग को लेकर जाम का था मामला: कांग्रेस के शासनकाल में 2012 में कोटा-झालावाड़ नेशनल हाईवे 52 दुर्दशा का शिकार था. बदहाल सड़क मार्ग को दुरुस्त करने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक ओम बिरला, चंद्रकांता मेघवाल, भवानी सिंह राजावत सहित अन्य ने हाईवे जाम किया था. पुलिस ने इस मामले में 49 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था. जिसका चालान भी पेश हो चुका है. इनमें से एक आरोपी की मृत्यु हो गई है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के चलते जनप्रतिनिधियों, सांसद और विधायकों पर दर्ज मुकदमे सरकार सीधे वापस नहीं ले सकती है. ऐसे में हाईकोर्ट की अनुमति चाहिए. हाईकोर्ट की अनुमति के लिए ही राज्य सरकार ने अभी अर्जी दाखिल की है.

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