कोटा. राज्य सरकार ने हाल ही में कोटा से जुड़े जनप्रतिनिधियों के मुकदमे वापस लेने की सिफारिश की है. ये मुकदमे 2012 में नेशनल हाईवे 52 को जाम करने से जुड़े हैं. इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित अन्य भाजपा नेता शामिल हैं. इस पर सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि जिस तरह से मुकदमे के चलते आम जनता को सजा भुगतनी पड़ती है, सरकारी नौकरियों से महरूम रहना पड़ता है, इसी तरह जनप्रतिनिधियों को भी छूट नहीं मिलनी चाहिए. अगर विधायक और सांसदों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं, तो देशभर में आम जनता पर दर्ज ऐसे सभी मुकदमे वापस लिए (Bharat Singh demands withdrew cases against youth) जाएं.
उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. साथ ही कहा कि 2012 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन 4 विधायकों ने कोटा जिले में नेशनल हाईवे को जाम किया था. उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे जानकारी मिली है कि उनके खिलाफ सरकार मुकदमा वापस लेने जा रही है. विधायक रहते हुए राहत प्रदान करनी है, तो आम आदमी पर दर्ज प्रदेश में सभी इसी तरह के मुकदमे वापस लिए जाएं.
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जनप्रतिनिधि बन कर उच्च पद पर आसीन, भर्तियों में नहीं मिलता मौका: भरत सिंह ने पत्र में कहा है कि इस प्रकार की धारा में अगर किसी युवा पर केस हो, तो अग्निपथ योजना में आवेदन कर सेना में भर्ती का मौका नहीं दिया जा सकता है. यहां प्रश्न उठता है कि अनुशासन तोड़ने वाले युवक को जब सेना में भर्ती नहीं किया जा सकता है, तो फिर अनुशासन तोड़ने वाले विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि उच्च पद पर कैसे आसीन हो जाते हैं?. भरत सिंह के अनुसार जिन मामलों में चालान की सिफारिश की जा चुकी है, उनको वापस लेना ना तो उचित है और ना ही जनहित में. यह सियासी सद्भावना ना होकर राजनीति में आपसी बचाव का मार्ग खोलना है.
बदहाल हाईवे को दुरुस्त करने की मांग को लेकर जाम का था मामला: कांग्रेस के शासनकाल में 2012 में कोटा-झालावाड़ नेशनल हाईवे 52 दुर्दशा का शिकार था. बदहाल सड़क मार्ग को दुरुस्त करने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक ओम बिरला, चंद्रकांता मेघवाल, भवानी सिंह राजावत सहित अन्य ने हाईवे जाम किया था. पुलिस ने इस मामले में 49 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था. जिसका चालान भी पेश हो चुका है. इनमें से एक आरोपी की मृत्यु हो गई है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के चलते जनप्रतिनिधियों, सांसद और विधायकों पर दर्ज मुकदमे सरकार सीधे वापस नहीं ले सकती है. ऐसे में हाईकोर्ट की अनुमति चाहिए. हाईकोर्ट की अनुमति के लिए ही राज्य सरकार ने अभी अर्जी दाखिल की है.