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SPECIAL: अवैध खनन कर छोड़ दिए गहरे गड्ढे और खाई, हर साल सैकड़ों लोगों की हो रही मौत

कोटा जिले में कई ऐसे परिवार हैं. जिन्होंने अपने परिजनों को बंद पड़ी खदानों में होने वाले हादसों में खोया है. हर साल इस तरह से कई लोग इन हादसों में अपनी जान खो देते हैं. लापरवाही खनन विभाग और खनन मालिक की रही है. उन्होंने खदानों को दोहन करने के बाद ऐसा ही छोड़ दिया जिससे कि वहां गहरे गड्ढे हैं, असंतुलित रास्ते हैं. इसका पूरा दंश स्थानीय नागरिकों को झेलना पड़ता है.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
अवैध खनन कर छोड़ दिए गहरे गड्ढे और खाई
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Published : Feb 13, 2021, 10:55 PM IST

कोटा. आरकेपुरम थाना इलाके में चाणक्यपुरी निवासी 8 साल के अफरोज और 6 साल के अफजल दोनों सगे भाइयों की मौत बीते साल सितंबर के महीने में एक गहरी खाई में गिरने से हुई थी. खेलने गए बच्चों की लाश ही घर पर लौटी थी दोनों बच्चों की मां शकीला और पिता कलीम की आंखों में उनकी वापस लौटने की याद रहती है. यह ऐसा अकेला परिवार नहीं है.

अवैध खनन कर छोड़ दिए गहरे गड्ढे और खाई

बीती 19 जुलाई को भी 16 साल का शाहरुख जो कि रामगंजमंडी एरिया के असकली का निवासी था, उसकी मौत भी बंद पड़ी खदान में डूबने से हुई. इसी तरह से कुंभकोट निवासी प्रभुलाल की 16 साल की बेटी निशा की बीमा मोड़क एरिया बंद खान में गिरने से हुई है. इसके अलावा भी कोटा जिले में कई ऐसे परिवार हैं. जहां पर इस तरह से बच्चों और परिजनों की मौत हुई है.

पढ़ेंः SPECIAL: अलवर का एक गांव है ऐसा जहां 8 महीने घरों में लटकते हैं ताले, घर की सुरक्षा भगवान भरोसे

हर साल इस तरह से कई लोग इन हादसों में अपनी जान खो देते हैं. क्योंकि लापरवाही खनन विभाग और खनन मालिक की रही है. उन्होंने खदानों को दोहन करने के बाद ऐसा ही छोड़ दिया जिससे कि वहां गहरे गड्ढे हैं, असंतुलित रास्ते हैं. इसका पूरा दंश स्थानीय नागरिकों को झेलना पड़ता है. क्योंकि या तो उनके परिजन इस एरिया में जाकर गिरकर घायल हो जाते हैं.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
इस मां ने खो दिया अपने कलेजे के टुकड़ों को

वाहन भी असंतुलित होकर गिर जाते हैंः

यहां पर भी माइनिंग एरिया में इस तरह की बंद पड़ी खदानें हैं वहां पर डूबने से ही नहीं दुर्घटनाएं भी होती है. क्योंकि रास्ते उबड़ खाबड़ होते हैं और वाहनों के अनियंत्रित व असंतुलित होकर गिरने के कई मामले आते हैं. बीते 4 सितंबर को ही 150 फीट नीचे एक बंद पड़ी खान में दम पर गिर गया. उसमें 6 श्रमिक घायल हो गए थे, साथ ही एक की तो मौके पर ही मौत भी हुई थी.

2006 के पहले नहीं था, माइनिंग क्लोजर प्लानः

माइनिंग इंजीनियर जगदीशचंद मेहरावत का कहना है कि 2006 के बाद पर्यावरण स्वीकृति से ही खनन शुरू होता है, ऐसे में खानों को बंद करने का पूरा क्लोजिंग प्लान जारी किया गया है. इसके बाद खान में से खनन बंद होने पर मालिक उसे खान विभाग को सरेंडर कर देता है समय उस जमीन के लिए क्लोजिंग प्लान के तहत उसमें मिट्टी और मलबा डालकर खेत का स्वरूप दिया जाता है.

पढ़ेंः SPECIAL : दुनियाभर में महकता है मरूभूमि की कला का चंदन...चूरू की काष्ठकला देखकर हैरान रह जाएंगे आप

ताकि वहां पर दोबारा खेती हो सके या फिर कुछ खान को आधा कर दिया जाता है जिससे वह वाटर रिजर्व के भी उपयोग आ सके. हालांकि 2006 के पहले सरेंडर की खानों में कई खाने ऐसी है, जो अभी गहरी खाई के रूप में है. इस नियम के तहत अभी तक 30 खाने ही कोटा रामगंज मंडी में सरेंडर हुई है. दिन में भी पूरी तरह से माइनिंग क्लोजर प्लान की पालना नहीं हुई है ऐसी कई खाने हैं. जिनमें गड्ढे आज भी मौजूद हैं.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
दो मासूमों की डूबने से हो गई थी मौत

अवैध खनन के लिए ना कोई नियम न कानूनः

राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त कर संचालित की जा रही खान को तो बंद करने का पूरा प्रोसीजर तय है, लेकिन अवैध खदानों के लिए किसी तरह का कोई प्रोसीजर नहीं है. यहां पर से अवैध खनन करने वाले लोग पत्थर और अन्य खनिज पदार्थ निकाल लेते हैं. साथ ही उन्हें पैसा कहीं वैसा छोड़ देते हैं. खान विभाग भी इन पर कार्रवाई नहीं कर पाता है, जब वह अवैध खनन को ही नहीं रोक पाता है, तो फिर इन खानों में से अवैध खनन बंद होने पर गहरे गड्ढों को कैसे बंद करवा पाएगा, यह भी एक बड़ा सवाल है.

कोटा शहर के आसपास कई जगह है गहरे गड्ढेः

नए कोटा का पूरा इलाका पथरीला है, ऐसे में यहां पर वन विभाग और यूआईटी की जमीन पर जमकर अवैध खनन पहले हुआ है. ऐसे में कई लोगों को यह प्लॉट आवंटित भी हो गए, लेकिन उनमें गहरे गड्ढे हैं. इसके चलते वे निर्माण भी नहीं करवा पा रहे हैं. कई प्लॉट तो ऐसे हैं. जिनमें 10 से 12 फीट तक गहरे गड्ढे हैं और बारिश के मौसम में इनमें पानी आकर भर जाता है, जो कि छोटे तालाब जैसे हो जाते हैं. यहां पर हादसे भी हुए हैं. जिनमें कई लोगों की मौत भी होना सामने आया है. ऐसा आरकेपुरम, श्रीनाथपुरम, चाणक्यपुरी, आंवली रोजड़ी, अनंतपुरा व सुभाष नगर सहित कई इलाकों में है.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
हादसों को दावत देते हैं ऐसे गड्ढे

माइनिंग के अधिकारी गहरी खाई हो को भी बताते हैं लाभकारीः

दूसरी तरफ खनन विभाग के अधिकारी तो इन गहरी खाई और तालाब को पर्यावरण के लिए लाभकारी भी बताते हैं. उनका कहना है कि इनमें पानी बारिश के सीजन में भर जाता है, जो कि आसपास के लोगों के काम आता है. कई लोग इस पानी को सिंचाई में भी उपयोग लेते हैं. इसके अलावा भूमिगत जल भी इन वाटर रिजर्व से बढ़ता है. इसके अलावा आसपास के लोग भी इस पानी का उपयोग करते हैं.

ज्यादातर हादसे रामगंजमंडी एरिया मेंः

ज्यादातर खानों में डूबने या दुर्घटनाग्रस्त होने के हादसे रामगंजमंडी एरिया में ही होते हैं. जबकि खनन कोटा शहर के आसपास तो अनंतपुरा, लखावा, मंडाना और कसार में हो रही है. इसके अलावा पीपल्दा एरिया में कालीसिंध, ढिबरी-चंबल के आसपास हो रही है. वहीं, दीगोद में पुराना पांचड़ा और कालीसिंध नदी के नजदीक की जा रही है. इंदरगढ़ लाखेरी एरिया भी कोटा जिले में आता है. ऐसे में वहां भी खनन हो रही है.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
कई लोग इन हादसों में अपनी जान खो देते हैं

पढ़ेंः Special: लॉकडाउन के दौरान खिलाड़ियों ने घर और खेत को बनाया मैदान, बरकरार रखी अपनी फिटनेस

अवैध खनन रावतभाटा एरिया में भी हो रही है. जबकि रामगंज मंडी एरिया में सबसे ज्यादा 60 खाने है. कोटा जिले में बूंदी का डाबी बुधपुरा एरिया भी आता है, वहां भी इस तरह के हादसे आम है. क्योंकि कोटा स्टोन की जो खान है उसमें पत्थर निकलना बंद हो जाता है, जिसके बाद मालिक उसे ऐसी ही छोड़ देते हैं. माइनिंग विभाग भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है.

फैक्ट्स

  • कोटा जिले में करीब 150 खान हो रही है संचालित
  • सर्वाधिक रामगंज मंडी एरिया में है 60 खदानें
  • करीब 30 खदानें ही अधिकारिक रूप से हुई है सरेंडर
  • अवैध रूप से भी करीब वन विभाग और यूआईटी के साथ-साथ राजस्व विभाग की जमीन पर हो रहा है खनन
  • अवैध रूप से सैंकड़ो जगह है गहरी खाई

कोटा. आरकेपुरम थाना इलाके में चाणक्यपुरी निवासी 8 साल के अफरोज और 6 साल के अफजल दोनों सगे भाइयों की मौत बीते साल सितंबर के महीने में एक गहरी खाई में गिरने से हुई थी. खेलने गए बच्चों की लाश ही घर पर लौटी थी दोनों बच्चों की मां शकीला और पिता कलीम की आंखों में उनकी वापस लौटने की याद रहती है. यह ऐसा अकेला परिवार नहीं है.

अवैध खनन कर छोड़ दिए गहरे गड्ढे और खाई

बीती 19 जुलाई को भी 16 साल का शाहरुख जो कि रामगंजमंडी एरिया के असकली का निवासी था, उसकी मौत भी बंद पड़ी खदान में डूबने से हुई. इसी तरह से कुंभकोट निवासी प्रभुलाल की 16 साल की बेटी निशा की बीमा मोड़क एरिया बंद खान में गिरने से हुई है. इसके अलावा भी कोटा जिले में कई ऐसे परिवार हैं. जहां पर इस तरह से बच्चों और परिजनों की मौत हुई है.

पढ़ेंः SPECIAL: अलवर का एक गांव है ऐसा जहां 8 महीने घरों में लटकते हैं ताले, घर की सुरक्षा भगवान भरोसे

हर साल इस तरह से कई लोग इन हादसों में अपनी जान खो देते हैं. क्योंकि लापरवाही खनन विभाग और खनन मालिक की रही है. उन्होंने खदानों को दोहन करने के बाद ऐसा ही छोड़ दिया जिससे कि वहां गहरे गड्ढे हैं, असंतुलित रास्ते हैं. इसका पूरा दंश स्थानीय नागरिकों को झेलना पड़ता है. क्योंकि या तो उनके परिजन इस एरिया में जाकर गिरकर घायल हो जाते हैं.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
इस मां ने खो दिया अपने कलेजे के टुकड़ों को

वाहन भी असंतुलित होकर गिर जाते हैंः

यहां पर भी माइनिंग एरिया में इस तरह की बंद पड़ी खदानें हैं वहां पर डूबने से ही नहीं दुर्घटनाएं भी होती है. क्योंकि रास्ते उबड़ खाबड़ होते हैं और वाहनों के अनियंत्रित व असंतुलित होकर गिरने के कई मामले आते हैं. बीते 4 सितंबर को ही 150 फीट नीचे एक बंद पड़ी खान में दम पर गिर गया. उसमें 6 श्रमिक घायल हो गए थे, साथ ही एक की तो मौके पर ही मौत भी हुई थी.

2006 के पहले नहीं था, माइनिंग क्लोजर प्लानः

माइनिंग इंजीनियर जगदीशचंद मेहरावत का कहना है कि 2006 के बाद पर्यावरण स्वीकृति से ही खनन शुरू होता है, ऐसे में खानों को बंद करने का पूरा क्लोजिंग प्लान जारी किया गया है. इसके बाद खान में से खनन बंद होने पर मालिक उसे खान विभाग को सरेंडर कर देता है समय उस जमीन के लिए क्लोजिंग प्लान के तहत उसमें मिट्टी और मलबा डालकर खेत का स्वरूप दिया जाता है.

पढ़ेंः SPECIAL : दुनियाभर में महकता है मरूभूमि की कला का चंदन...चूरू की काष्ठकला देखकर हैरान रह जाएंगे आप

ताकि वहां पर दोबारा खेती हो सके या फिर कुछ खान को आधा कर दिया जाता है जिससे वह वाटर रिजर्व के भी उपयोग आ सके. हालांकि 2006 के पहले सरेंडर की खानों में कई खाने ऐसी है, जो अभी गहरी खाई के रूप में है. इस नियम के तहत अभी तक 30 खाने ही कोटा रामगंज मंडी में सरेंडर हुई है. दिन में भी पूरी तरह से माइनिंग क्लोजर प्लान की पालना नहीं हुई है ऐसी कई खाने हैं. जिनमें गड्ढे आज भी मौजूद हैं.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
दो मासूमों की डूबने से हो गई थी मौत

अवैध खनन के लिए ना कोई नियम न कानूनः

राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त कर संचालित की जा रही खान को तो बंद करने का पूरा प्रोसीजर तय है, लेकिन अवैध खदानों के लिए किसी तरह का कोई प्रोसीजर नहीं है. यहां पर से अवैध खनन करने वाले लोग पत्थर और अन्य खनिज पदार्थ निकाल लेते हैं. साथ ही उन्हें पैसा कहीं वैसा छोड़ देते हैं. खान विभाग भी इन पर कार्रवाई नहीं कर पाता है, जब वह अवैध खनन को ही नहीं रोक पाता है, तो फिर इन खानों में से अवैध खनन बंद होने पर गहरे गड्ढों को कैसे बंद करवा पाएगा, यह भी एक बड़ा सवाल है.

कोटा शहर के आसपास कई जगह है गहरे गड्ढेः

नए कोटा का पूरा इलाका पथरीला है, ऐसे में यहां पर वन विभाग और यूआईटी की जमीन पर जमकर अवैध खनन पहले हुआ है. ऐसे में कई लोगों को यह प्लॉट आवंटित भी हो गए, लेकिन उनमें गहरे गड्ढे हैं. इसके चलते वे निर्माण भी नहीं करवा पा रहे हैं. कई प्लॉट तो ऐसे हैं. जिनमें 10 से 12 फीट तक गहरे गड्ढे हैं और बारिश के मौसम में इनमें पानी आकर भर जाता है, जो कि छोटे तालाब जैसे हो जाते हैं. यहां पर हादसे भी हुए हैं. जिनमें कई लोगों की मौत भी होना सामने आया है. ऐसा आरकेपुरम, श्रीनाथपुरम, चाणक्यपुरी, आंवली रोजड़ी, अनंतपुरा व सुभाष नगर सहित कई इलाकों में है.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
हादसों को दावत देते हैं ऐसे गड्ढे

माइनिंग के अधिकारी गहरी खाई हो को भी बताते हैं लाभकारीः

दूसरी तरफ खनन विभाग के अधिकारी तो इन गहरी खाई और तालाब को पर्यावरण के लिए लाभकारी भी बताते हैं. उनका कहना है कि इनमें पानी बारिश के सीजन में भर जाता है, जो कि आसपास के लोगों के काम आता है. कई लोग इस पानी को सिंचाई में भी उपयोग लेते हैं. इसके अलावा भूमिगत जल भी इन वाटर रिजर्व से बढ़ता है. इसके अलावा आसपास के लोग भी इस पानी का उपयोग करते हैं.

ज्यादातर हादसे रामगंजमंडी एरिया मेंः

ज्यादातर खानों में डूबने या दुर्घटनाग्रस्त होने के हादसे रामगंजमंडी एरिया में ही होते हैं. जबकि खनन कोटा शहर के आसपास तो अनंतपुरा, लखावा, मंडाना और कसार में हो रही है. इसके अलावा पीपल्दा एरिया में कालीसिंध, ढिबरी-चंबल के आसपास हो रही है. वहीं, दीगोद में पुराना पांचड़ा और कालीसिंध नदी के नजदीक की जा रही है. इंदरगढ़ लाखेरी एरिया भी कोटा जिले में आता है. ऐसे में वहां भी खनन हो रही है.

कोटा में अवैध खनन, Illegal mining in Kota
कई लोग इन हादसों में अपनी जान खो देते हैं

पढ़ेंः Special: लॉकडाउन के दौरान खिलाड़ियों ने घर और खेत को बनाया मैदान, बरकरार रखी अपनी फिटनेस

अवैध खनन रावतभाटा एरिया में भी हो रही है. जबकि रामगंज मंडी एरिया में सबसे ज्यादा 60 खाने है. कोटा जिले में बूंदी का डाबी बुधपुरा एरिया भी आता है, वहां भी इस तरह के हादसे आम है. क्योंकि कोटा स्टोन की जो खान है उसमें पत्थर निकलना बंद हो जाता है, जिसके बाद मालिक उसे ऐसी ही छोड़ देते हैं. माइनिंग विभाग भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है.

फैक्ट्स

  • कोटा जिले में करीब 150 खान हो रही है संचालित
  • सर्वाधिक रामगंज मंडी एरिया में है 60 खदानें
  • करीब 30 खदानें ही अधिकारिक रूप से हुई है सरेंडर
  • अवैध रूप से भी करीब वन विभाग और यूआईटी के साथ-साथ राजस्व विभाग की जमीन पर हो रहा है खनन
  • अवैध रूप से सैंकड़ो जगह है गहरी खाई
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