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कोटा: MBS अस्पताल में Black Fungus के 90 मरीज भर्ती, इंजेक्शन की कमी से मरीज परेशान - Kota News

कोटा के एमबीएस अस्पताल में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कमी देखने को मिल रही है. अस्पताल में 90 मरीज भर्ती हैं, जिन्हें रोज चार से पांच डोज इंजेक्शन की जरूरत होती है, लेकिन कमी के कारण उन्हें इंजेक्शन नहीं लग पा रहा है.

black fungus injection,  black fungus in rajasthan
इंजेक्शन की कमी से मरीज परेशान
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Published : Jun 5, 2021, 5:46 PM IST

कोटा. जिले में ब्लैक फंगस की दवाओं की कमी है, इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोटा के एमबीएस अस्पताल में ब्लैक फंगस के 90 मरीज भर्ती हैं. प्रत्येक मरीज को रोज चार से पांच डोज इंजेक्शन की जरूरत होती है, लेकिन मरीजों के इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है. हालात यह है कि बीते 2 दिनों से मरीजों को इंजेक्शन नहीं लग पाई है.

इंजेक्शन की कमी से मरीज परेशान

पढ़ें- Corona Vaccination पर राज्यपाल और गहलोत आमने-सामने, महेश जोशी बोले- राज्यपाल भले आदमी लेकिन...

अस्पताल प्रबंधन भी इंजेक्शन उपलब्ध करवाने में असमर्थ है. एक मरीज को अस्पताल में ऑपरेशन के बाद लाइपोसोमल एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन करीब 70 से 80 लगते हैं, लेकिन अनुपलब्धता के चलते बीते 10 दिन से जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें महज 10 से 14 इंजेक्शन की लगा है. 8 मई के बाद अस्पताल प्रशासन को सिर्फ 836 इंजेक्शन ही मिल पाया है.

एमबीएस अस्पताल की बात की जाए तो 8 मई को ब्लैक फंगस का पहला मरीज सामने आया था. उस समय 50 इंजेक्शन अस्पताल में मौजूद थे और उसके बाद और भी इंजेक्शन का जुगाड़ किया गया. जेके लोन अस्पताल और नए अस्पताल से भी इंजेक्शन मंगवाए गए. साथ ही कुछ सप्लाई भी आरएमएससीएल के जरिए हुई है, लेकिन अब तक 683 इंजेक्शन एंफोटरइसिन बी और 153 नॉर्मल एंफोटरइसिन इंजेक्शन मंगाए गए हैं.

स्थानीय खरीद की कर रहे हैं तैयारी

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि मरीजों को इंजेक्शन 2 दिन पहले मंगाकर लगवाए गए थे, लेकिन अब इंजेक्शन नहीं है. स्थानीय खरीद के लिए भी मीटिंग की गई है. उनका कहना है कि इंजेक्शन उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं. दवा विक्रेताओं को बुलाकर उनसे बातचीत की जा रही है.

14 से 21 दिन तक लगते हैं इंजेक्शन

डॉ. राजकुमार जैन ने बताया कि ऑपरेशन के बाद भी ब्लैक फंगस इंफेक्शन से पीड़ित मरीजों को एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. ऐसे में लाइपोसोमल एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन की तीन से पांच डोज रोज एक मरीज को ऑपरेशन के बाद चाहिए. इसके उपलब्ध नहीं होने पर दूसरा आने वाला बी ऑक्सिकोलेट इंजेक्शन भी लगाया जाता है. जिसकी एक डोज रोज लगाई जाती है. साथ ही यह इंजेक्शन 14 से 21 दिन तक रोज लगने होते हैं.

कोटा. जिले में ब्लैक फंगस की दवाओं की कमी है, इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोटा के एमबीएस अस्पताल में ब्लैक फंगस के 90 मरीज भर्ती हैं. प्रत्येक मरीज को रोज चार से पांच डोज इंजेक्शन की जरूरत होती है, लेकिन मरीजों के इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है. हालात यह है कि बीते 2 दिनों से मरीजों को इंजेक्शन नहीं लग पाई है.

इंजेक्शन की कमी से मरीज परेशान

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अस्पताल प्रबंधन भी इंजेक्शन उपलब्ध करवाने में असमर्थ है. एक मरीज को अस्पताल में ऑपरेशन के बाद लाइपोसोमल एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन करीब 70 से 80 लगते हैं, लेकिन अनुपलब्धता के चलते बीते 10 दिन से जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें महज 10 से 14 इंजेक्शन की लगा है. 8 मई के बाद अस्पताल प्रशासन को सिर्फ 836 इंजेक्शन ही मिल पाया है.

एमबीएस अस्पताल की बात की जाए तो 8 मई को ब्लैक फंगस का पहला मरीज सामने आया था. उस समय 50 इंजेक्शन अस्पताल में मौजूद थे और उसके बाद और भी इंजेक्शन का जुगाड़ किया गया. जेके लोन अस्पताल और नए अस्पताल से भी इंजेक्शन मंगवाए गए. साथ ही कुछ सप्लाई भी आरएमएससीएल के जरिए हुई है, लेकिन अब तक 683 इंजेक्शन एंफोटरइसिन बी और 153 नॉर्मल एंफोटरइसिन इंजेक्शन मंगाए गए हैं.

स्थानीय खरीद की कर रहे हैं तैयारी

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि मरीजों को इंजेक्शन 2 दिन पहले मंगाकर लगवाए गए थे, लेकिन अब इंजेक्शन नहीं है. स्थानीय खरीद के लिए भी मीटिंग की गई है. उनका कहना है कि इंजेक्शन उपलब्ध करवाने की कोशिश कर रहे हैं. दवा विक्रेताओं को बुलाकर उनसे बातचीत की जा रही है.

14 से 21 दिन तक लगते हैं इंजेक्शन

डॉ. राजकुमार जैन ने बताया कि ऑपरेशन के बाद भी ब्लैक फंगस इंफेक्शन से पीड़ित मरीजों को एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. ऐसे में लाइपोसोमल एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन की तीन से पांच डोज रोज एक मरीज को ऑपरेशन के बाद चाहिए. इसके उपलब्ध नहीं होने पर दूसरा आने वाला बी ऑक्सिकोलेट इंजेक्शन भी लगाया जाता है. जिसकी एक डोज रोज लगाई जाती है. साथ ही यह इंजेक्शन 14 से 21 दिन तक रोज लगने होते हैं.

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