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बड़ी खबरः कोटा जेके लोन अस्पताल में 5 नवजात बच्चों की मौत से हड़कंप, अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

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Published : Dec 10, 2020, 12:17 PM IST

Updated : Dec 10, 2020, 12:40 PM IST

जिले के जेके लोन अस्पताल में एक रात में 5 नवजात शिशुओं की मौत का मामला सामने आया है. परिजनों ने जेके लोन अस्पताल के स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

JK Lone Hospital children died cases, kota news
जेके लोन अस्पताल में 5 नवजात शिशुओं की मौत....

कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल में एक रात में 5 नवजात शिशुओं की मौत का मामला सामने आया है. पहले भी इस तरह का मामला सामने आने पर काफी हंगामा हुआ था और जेके लोन अस्पताल देशभर में सुर्खियों में छा गया था. हैरानी की बात ये है कि अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि बच्चों की मौत क्यों हुई, इसकी जानकारी लेंगे और उनके कारणों का भी पता लगाएंगे. वहीं, परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

एक साथ 5 नवजातों की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया...

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल का स्टाफ रात भर सोता रहा. परिजन बार-बार जाकर स्टाफ को जगाते रहे और बच्चे की तबीयत गंभीर थी. फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया. जानकारी के अनुसार, बुधवार रात में ही 5 नवजातों की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया और मेडिकल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया. यहां तक कि परिजन दो नवजात के शव को लेकर अस्पताल परिसर में ही बैठे रहे. वहां पर उनकी सुनवाई करने वाला भी कोई भी नहीं था. परिजनों का कहना है कि रात को रहने वाला स्टाफ सो जाता है. जब बच्चे की तबीयत बिगड़ी तो वे उनके पास लेकर गए, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की कोई सुनवाई करने से मना कर दिया और कहा कि सुबह जब चिकित्सक आएंगे तब ही दिखाना.

यहां तक कि वे लोग कहते हैं कि बच्चा नार्मल ही है. केवल इसी तरह से रोते हैं. बच्चे के रोने पर हम लोग चिंतित है. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन में किसी भी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया और आखिर में बच्चे की मौत हो गई. जिन पांच बच्चों की मौत हुई है, उनमें गावडी सिविल लाइंस कोटा, कापरेन बूंदी, कैथून रोड रायपुरा कोटा के दो नवजात शामिल है. इनमें से तीन प्रसव जेके लोन में ही हुए थे.

पढ़ें: बड़ा हादसाः कोटा में निर्माणाधीन फ्लाई ओवर की स्लैब गिरी, करीब 18 मजदूर घायल

अधीक्षक को जानकारी ही नहीं

बच्चों की मौत पर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा का साफ कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. वह शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमृत लाल बैरवा से जानकारी लेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत कितनी संख्या में हो रही है. यह जरूरी नहीं है. यह जाना ज्यादा जरूरी है कि बच्चों की मौत किस कारण से हो रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल में पूरे संभाग से गंभीर बीमार रेफर होकर बच्चे आते हैं. मामले पर उन्होंने कहा विभागाध्यक्ष जांच रिपोर्ट लेंगे.

चिकित्सकों पर डांट कर भगा देने का आरोप

परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में उनके नवजात की पूरी केयर नहीं की जा रही है. बार-बार कहने के बावजूद स्टाफ और चिकित्सक लापरवाही बरतते हैं. पूरी तरह से उपचार नहीं करते हैं. इसके चलते ही उनकी मौत हुई है. एक परिजन का तो यह भी कहना है कि वह रात को कई बार चिकित्सक को बुलाने गया. लेकिन, चिकित्सक नहीं आए. इसके चलते ही उसके नवजात की मौत हुई है. यहां पर लगा हुआ स्टाफ और चिकित्सक उन्हें डांट कर हमेशा भगा देते हैं.

पढ़ें: दबंगों ने दूल्हे को घोड़ी से नीचे उतारकर पीटा, शिकायत पर तीन आरोपी गिरफ्तार

देश भर में सुर्खियों में था जेके लोन अस्पताल

आपको बता दें कि बीते 2019 में जेके लोन अस्पताल में पूरे साल में 963 बच्चों की मौत हुई थी. वहीं, दिसंबर में यह आंकड़ा 100 पहुंच गया. हालांकि, नवंबर में 101 बच्चों की मौत हुई थी. वहीं, 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश भर में सुर्खियां बन गया था और काफी हंगामा हुआ था. इसके बाद राजस्थान सरकार को भी बार-बार सफाई देनी पड़ी. यहां तक कि चिकित्सा मंत्री और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी कोटा दौरे पर आए थे.

कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल में एक रात में 5 नवजात शिशुओं की मौत का मामला सामने आया है. पहले भी इस तरह का मामला सामने आने पर काफी हंगामा हुआ था और जेके लोन अस्पताल देशभर में सुर्खियों में छा गया था. हैरानी की बात ये है कि अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि बच्चों की मौत क्यों हुई, इसकी जानकारी लेंगे और उनके कारणों का भी पता लगाएंगे. वहीं, परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

एक साथ 5 नवजातों की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया...

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल का स्टाफ रात भर सोता रहा. परिजन बार-बार जाकर स्टाफ को जगाते रहे और बच्चे की तबीयत गंभीर थी. फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया. जानकारी के अनुसार, बुधवार रात में ही 5 नवजातों की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया और मेडिकल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया. यहां तक कि परिजन दो नवजात के शव को लेकर अस्पताल परिसर में ही बैठे रहे. वहां पर उनकी सुनवाई करने वाला भी कोई भी नहीं था. परिजनों का कहना है कि रात को रहने वाला स्टाफ सो जाता है. जब बच्चे की तबीयत बिगड़ी तो वे उनके पास लेकर गए, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की कोई सुनवाई करने से मना कर दिया और कहा कि सुबह जब चिकित्सक आएंगे तब ही दिखाना.

यहां तक कि वे लोग कहते हैं कि बच्चा नार्मल ही है. केवल इसी तरह से रोते हैं. बच्चे के रोने पर हम लोग चिंतित है. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन में किसी भी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया और आखिर में बच्चे की मौत हो गई. जिन पांच बच्चों की मौत हुई है, उनमें गावडी सिविल लाइंस कोटा, कापरेन बूंदी, कैथून रोड रायपुरा कोटा के दो नवजात शामिल है. इनमें से तीन प्रसव जेके लोन में ही हुए थे.

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अधीक्षक को जानकारी ही नहीं

बच्चों की मौत पर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा का साफ कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. वह शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमृत लाल बैरवा से जानकारी लेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत कितनी संख्या में हो रही है. यह जरूरी नहीं है. यह जाना ज्यादा जरूरी है कि बच्चों की मौत किस कारण से हो रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल में पूरे संभाग से गंभीर बीमार रेफर होकर बच्चे आते हैं. मामले पर उन्होंने कहा विभागाध्यक्ष जांच रिपोर्ट लेंगे.

चिकित्सकों पर डांट कर भगा देने का आरोप

परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में उनके नवजात की पूरी केयर नहीं की जा रही है. बार-बार कहने के बावजूद स्टाफ और चिकित्सक लापरवाही बरतते हैं. पूरी तरह से उपचार नहीं करते हैं. इसके चलते ही उनकी मौत हुई है. एक परिजन का तो यह भी कहना है कि वह रात को कई बार चिकित्सक को बुलाने गया. लेकिन, चिकित्सक नहीं आए. इसके चलते ही उसके नवजात की मौत हुई है. यहां पर लगा हुआ स्टाफ और चिकित्सक उन्हें डांट कर हमेशा भगा देते हैं.

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देश भर में सुर्खियों में था जेके लोन अस्पताल

आपको बता दें कि बीते 2019 में जेके लोन अस्पताल में पूरे साल में 963 बच्चों की मौत हुई थी. वहीं, दिसंबर में यह आंकड़ा 100 पहुंच गया. हालांकि, नवंबर में 101 बच्चों की मौत हुई थी. वहीं, 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश भर में सुर्खियां बन गया था और काफी हंगामा हुआ था. इसके बाद राजस्थान सरकार को भी बार-बार सफाई देनी पड़ी. यहां तक कि चिकित्सा मंत्री और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी कोटा दौरे पर आए थे.

Last Updated : Dec 10, 2020, 12:40 PM IST
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