कोटा. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले की खबरें सुर्खियां बनती हैं. ऐसे में सरकार भी लगातार अस्पताल में सुधार के प्रयास करती है. पिछले साल जो प्रयास किए गए थे, वे नाकाफी ही रहे और इस बार नवजातों की मौत जेके लोन अस्पताल में हुई है. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन से लेकर राज्य सरकार तक सतर्क नजर आ रही है. लगातार अस्पताल में सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अब 30 बेड का डेडिकेटेड एनआईसीयू तैयार कर रहा है, जहां पर कमजोर पैदा हुए, गंभीर रूप से बीमार और जन्मजात बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को रखा जाएगा. यह बच्चे हाड़ौती के अन्य जिले और मध्यप्रदेश से रेफर्ड होकर आने वाले बच्चे भी होंगे.
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि 30 बेड का एक नया एनआईसीयू तैयार करवाया जा रहा है, जिसमें सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन होगी. साथ ही सेंट्रलाइज सक्शन सिस्टम भी लगाया जाएगा. इसके अलावा 30 वार्मर के साथ-साथ 30 वेंटिलेटर भी इसमें होंगे, ताकि नवजात शिशु को जरूरत पड़ने पर तुरंत उपयोग में किया जा सके. वहीं फॉल सीलिंग और बिजली के अलावा अन्य उपकरण भी यहां पर स्थापित किए जाएंगे. यह पूरा डेडिकेटेड एनआईसीयू होगा, जो कि गंभीर बीमार नवजात शिशु के उपचार के लिए प्रयोग में लिया जाएगा
RUHS में बनाया था 15 दिन में आईसीयू...
मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंस के कॉलेज में कोविड-19 मरीजों को रखने के लिए आईसीयू तैयार किया गया था. वह 15 दिन में ही बना दिया गया था. उसको जिस टीम ने तैयार किया था, उसे ही कोटा बुलाया गया है. जिसमें कृष्णकांत पारीक और धीरज शर्मा शामिल हैं. इन लोगों ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य के साथ पूरा दौरा भी कर लिया है.
इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इसको राज्य सरकार को भेजा जाएगा और तुरंत अनुमति के साथ 30 दिन के भीतर ही इसे तैयार करने का प्लान बनाया जा रहा है. इसके लिए उदयपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. लाखन पोसवाल भी कोटा है. उन्होंने भी इस संबंध में व्यवस्थाओं के लिए चर्चा की.