कोटा. कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन नई समस्या बनकर उभर रही है. कोटा संभाग में ऐसे सैकड़ों की संख्या में केसेज सामने आ रहे हैं. इनमें से 70 के आसपास मरीज एमबीएस अस्पताल में भर्ती हुए थे, जिनमें से कुछ मरीज वापस भी चले गए हैं. कोटा मेडिकल कॉलेज में नाक, कान व गला विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमार जैन का कहना है कि एमबीएस अस्पताल में ब्लैक फंगल इंफेक्शन से पीड़ित 25 मरीजों के ऑपरेशन हो चुके हैं, जबकि 6 मरीजों के ऑपरेशन बचे हुए हैं, जो भी आने वाले दिनों में किए जाएंगे. इन सभी मरीजों के लिए एंफोटरइसिन बी दवा काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में उस दवा का इंतजाम इनके लिए समय से हो जाएगा तो 50 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं.
18 मरीज बाहर से ऑपरेशन करवा कर आए
डॉ. राजकुमार जैन का कहना है कि 18 मरीज ऐसे हैं, जो कि निजी अस्पताल से ऑपरेशन करवा कर आए हैं. वहां पर दवा नहीं मिल पा रही थी. ऐसे में सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए हैं. इनमें कुछ मरीज न्यूरो स्ट्रोक यूनिट में भर्ती हैं. इसके अलावा कुछ मेडिसिन के वार्ड में भर्ती हैं, जहां पर डेडीकेटेड ब्लैक फंगल इंफेक्शन का वार्ड संचालित किया जा रहा है. बचे हुए कुछ मरीज की ईएनटी वार्ड में भी भर्ती किए गए हैं, जबकि सरकारी अस्पताल में भी दवा का टोटा बना हुआ है. ऐसे में यह सभी मरीज परेशान हैं.
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निजी अस्पताल में ऑपरेशन कराया, नहीं मिला सुधार
एमबीएस अस्पताल में ही भर्ती नंदलाल के बेटे महेश का कहना है कि उनके पिता का ऑपरेशन निजी अस्पताल में करवा दिया था. यहां पर लाखों रुपए का खर्चा हुआ, लेकिन ब्लैक मार्केटिंग के चलते बाजार में उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल पाए. इसके बाद उन्हें एमबीएस के लिए रेफर कर दिया. जहां पर इंजेक्शन तो उनके पिता को टाइम टू टाइम मिल गए, लेकिन उनके पिता को अभी भी दिखाई नहीं दे रहा है. जबकि निजी अस्पताल में ऑपरेशन के बाद ही उनके पिता की दोनों आंखें ठीक बता दी थी.
इलाज के लिए सरकारी में रेफर
एमबीएस अस्पताल के ब्लैक फंगल इन्फेक्शन बोर्ड में भर्ती मरीज के परिजन का कहना है कि उनके मरीज निरंजन जैन को कोविड-19 संक्रमण के बाद ही ब्लैक फंगल इन्फेक्शन हो गया. जिसके बाद निजी अस्पताल में उन्होंने इसका ऑपरेशन कराया. जहां करीब 55 हजार रुपए का खर्चा आया, लेकिन जो इलाज में जरूरी इंजेक्शन होता है, वह उपलब्ध नहीं है. ऐसे में एमबीएस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. जहां पर उन्हें इंजेक्शन तो मिल गए और अब वे ठीक भी हो रहे हैं.