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जोधपुरः मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों को दिया जा रहा कम पैसा, सुनिए महिलाओं ने क्या कहा...

सरकार ने मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं को प्रतिदिन काम के बदले 200 से 220 रुपये देने होते हैं. लेकिन केरू ग्राम पंचायत में काम करने वाली महिलाओं को सिर्फ 50 से 70 रुपये प्रतिदिन मिल रहे हैं. जिससे कि महिलाएं काफी परेशान है.

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Published : Jun 21, 2020, 10:33 PM IST

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श्रमिकों को कम दिया जा रहा पैसा

जोधपुर. राजस्थान सरकार द्वारा मनरेगा कर्मचारियों को समय पर पैसा और काम देने की बात करने का दावा किया जाता है. हाल ही में कोरोना के दौरान बाहर से आए प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा योजना के तहत काम दिया गया, लेकिन मनरेगा योजना में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा प्रतिदिन हाजरी के रूप में तय किया गया पैसा नहीं दिया जाता.

श्रमिकों को कम दिया जा रहा पैसा

सरकार ने मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं को प्रतिदिन काम के बदले 200 से 220 रुपये देने होते हैं, लेकिन केरू ग्राम पंचायत में काम करने वाली महिलाओं को सिर्फ 50 से 70 रुपये प्रतिदिन मिल रहे हैं. जिससे महिलाएं काफी परेशान है. साथ ही पैसे कम मिलने की वजह से वह लोग काम भी नहीं कर पा रही. मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि जब सरकार ने प्रतिदिन रोजगार भत्ते के रूप में 220 रुपये तय किए हैं, लेकिन फिर भी उनके खाते में 70 रुपए प्रति दिन के हिसाब से पैसा आता है.

पढ़ेंः जब जैसलमेर कलेक्टर ने फावड़ा उठाकर की मनरेगा में मजदूरी, Video Viral

वहीं, दूसरी तरफ मनरेगा कर्मचारियों की इंचार्ज जिसे ग्रामीण इलाकों में मेड कहा जाता है. उनका कहना है कि केरू ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत काम करने वाली महिलाओं को तालाब खोदने का काम दिया गया है. एक समूह में 5 महिलाएं होती हैं. जिन्हें 10 फीट लंबाई, 10 फीट चौड़ाई और 1 फीट गहराई तक उन्हें तालाब खोदने पर पूरी हाजिरी मिलती है, लेकिन कंकड़ और मिट्टी होने के कारण वे पूरी खुदाई नहीं कर पाती और केरू ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत तालाब खोदने वाली महिलाओं को पैसा पूरा नहीं मिल रहा.

पढ़ेंः भरतपुर: SDM और विकास अधिकारी ने मनरेगा कार्यों का किया निरीक्षण

मनरेगा इंचार्ज वीणा मेघवाल का कहना है कि उनके द्वारा जैसा काम किया जाता है, वैसा ही उन्हें दाम मिलता है. साथ ही बताया कि तालाब में कंकड़ होने के कारण महिलाएं तालाब नहीं खोद पाती, जिसके चलते उन्हें कम पैसा मिलता है. मनरेगा इंचार्ज महिला ने बताया कि केरू ग्राम पंचायत में एक पारी में लगभग 120 महिलाएं काम करती है जो कि सुबह 6:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक काम पर जाती है, लेकिन पैसा कम मिलने की वजह से कई महिलाएं काम पर नहीं आ रही है.

जोधपुर में सूर्य ग्रहण से छा गया अंधेरा

साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण रविवार को दिखाई दिया. रविवार को जोधपुर में भी सूर्यग्रहण साफ तौर पर दिखाई दिया. सुबह 10:09 से शुरू हुआ सूर्य ग्रहण दोपहर 1:36 पर समाप्त हुआ. जोधपुर में भी लगभग 70% से ऊपर सूर्य ग्रहण के चलते ढका हुआ नजर आया और उस दौरान शहर में हल्का अंधेरा सा छा गया. सूर्य ग्रहण को लेकर जोधपुर के संत महात्माओं का कहना है काफी लंबे समय बाद ऐसा भारी ग्रहण देखने को मिला है और इस सूर्य ग्रहण का असर आने वाले समय में दिखाई देगा. इस सूर्य ग्रहण के बाद प्राकृतिक आपदाओं का कहर भी देखने को मिल सकता है.

जोधपुर. राजस्थान सरकार द्वारा मनरेगा कर्मचारियों को समय पर पैसा और काम देने की बात करने का दावा किया जाता है. हाल ही में कोरोना के दौरान बाहर से आए प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा योजना के तहत काम दिया गया, लेकिन मनरेगा योजना में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा प्रतिदिन हाजरी के रूप में तय किया गया पैसा नहीं दिया जाता.

श्रमिकों को कम दिया जा रहा पैसा

सरकार ने मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं को प्रतिदिन काम के बदले 200 से 220 रुपये देने होते हैं, लेकिन केरू ग्राम पंचायत में काम करने वाली महिलाओं को सिर्फ 50 से 70 रुपये प्रतिदिन मिल रहे हैं. जिससे महिलाएं काफी परेशान है. साथ ही पैसे कम मिलने की वजह से वह लोग काम भी नहीं कर पा रही. मनरेगा योजना के तहत काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि जब सरकार ने प्रतिदिन रोजगार भत्ते के रूप में 220 रुपये तय किए हैं, लेकिन फिर भी उनके खाते में 70 रुपए प्रति दिन के हिसाब से पैसा आता है.

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वहीं, दूसरी तरफ मनरेगा कर्मचारियों की इंचार्ज जिसे ग्रामीण इलाकों में मेड कहा जाता है. उनका कहना है कि केरू ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत काम करने वाली महिलाओं को तालाब खोदने का काम दिया गया है. एक समूह में 5 महिलाएं होती हैं. जिन्हें 10 फीट लंबाई, 10 फीट चौड़ाई और 1 फीट गहराई तक उन्हें तालाब खोदने पर पूरी हाजिरी मिलती है, लेकिन कंकड़ और मिट्टी होने के कारण वे पूरी खुदाई नहीं कर पाती और केरू ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत तालाब खोदने वाली महिलाओं को पैसा पूरा नहीं मिल रहा.

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मनरेगा इंचार्ज वीणा मेघवाल का कहना है कि उनके द्वारा जैसा काम किया जाता है, वैसा ही उन्हें दाम मिलता है. साथ ही बताया कि तालाब में कंकड़ होने के कारण महिलाएं तालाब नहीं खोद पाती, जिसके चलते उन्हें कम पैसा मिलता है. मनरेगा इंचार्ज महिला ने बताया कि केरू ग्राम पंचायत में एक पारी में लगभग 120 महिलाएं काम करती है जो कि सुबह 6:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक काम पर जाती है, लेकिन पैसा कम मिलने की वजह से कई महिलाएं काम पर नहीं आ रही है.

जोधपुर में सूर्य ग्रहण से छा गया अंधेरा

साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण रविवार को दिखाई दिया. रविवार को जोधपुर में भी सूर्यग्रहण साफ तौर पर दिखाई दिया. सुबह 10:09 से शुरू हुआ सूर्य ग्रहण दोपहर 1:36 पर समाप्त हुआ. जोधपुर में भी लगभग 70% से ऊपर सूर्य ग्रहण के चलते ढका हुआ नजर आया और उस दौरान शहर में हल्का अंधेरा सा छा गया. सूर्य ग्रहण को लेकर जोधपुर के संत महात्माओं का कहना है काफी लंबे समय बाद ऐसा भारी ग्रहण देखने को मिला है और इस सूर्य ग्रहण का असर आने वाले समय में दिखाई देगा. इस सूर्य ग्रहण के बाद प्राकृतिक आपदाओं का कहर भी देखने को मिल सकता है.

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