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Ventriculostomy Done in Jodhpur : डॉक्टरों को मिली बड़ी कामयाबी, पहली बार न्यूरो सर्जरी में किया ये बड़ा काम...

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Published : Dec 22, 2021, 2:04 PM IST

जोधपुर में चिकित्सकों की टीम को बड़ी उपलब्धी मिली है. डॉक्टरों ने जिले में पहली बार न्यूरो सर्जरी में दूरबीन (एंडोस्कोप) के जरीए दिमाग की पानी की थैली की रूकावट दूर करने में (Ventriculostomy done for the first time in MDM neurosurgery) सफलता पाई है. पढ़ें पूरी खबर...

Ventriculostomy Done In Jodhpur
Ventriculostomy Done In Jodhpur

जोधपुर. डॉक्टरों की टीम को नई सफलता हासिल हुई है. मथुरादास माथुर अस्पताल (Mathuradas Mathur Hospital Jodhpur) के न्यूरोसर्जरी विभाग में जिस परेशानी के लिए मरीजों के सिर में जीवन भर के लिए स्टंट लगाया जाता था, उसका उपचार पहली बार महज 2 CM का छेद बनाकर किया गया है. इससे मरीज को आगे किसी तरह के कॉम्पलीकेशन भी नहीं होंगे.

पहली बार की गई वेंट्रिकुलोस्टॉकी : विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गर्ग ने बताया कि मोहम्मद नाम के मरीज को सर दर्द और उल्टी होने की तकलीफ लंबे समय से थी. उसकी एमआरआई करने पर पता चला कि उसके थर्ड वेंट्रिकुलर पानी की थैली में रूकावट थी. जिसके चलते उसे यह परेशानी हो रही थी. सामान्यत इस तरह की परेशानी में स्टेंट लगाया जाता है, लेकिन इसमें संक्रमण और रुकावट की समस्या हमेशा रहती है.

लेकिन इस बार तय किया गया कि वेंट्रिकुलोस्टॉकी की जाए. ​डॉ. गर्ग के नेतृत्व में सहायक आचार्य डॉ. दिव्यम शर्मा, डॉ पंकज गुप्ता व डॉ. अखिलेश कुमार की टीम ने यह ​जटिल ऑपरेशन किया. जिसमें दिमाग के बीचों बीच स्थित थर्ड वेंट्रीकल में एंडोस्कॉपी के माध्यम आधे सेंटीमीटर का छेद करके पानी की थेली की रूकावट खोली गई.

यह भी पढ़ें - सरिस्का में बाघ का इलाज : टाइगर ST-6 को किया ट्रेंकुलाइज, इलाज के लिए देहरादून से आए डॉक्टर

क्लॉट आब्जर्वर होता है पानी : डॉ. गर्ग के मुताबिक दिमाग की थैली में जो पानी बनता है वह हर मिनट 0.3 एमएल बनता है. इसे सीएसएफ सेलिब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड कहा जाता है. जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी से रोटेट होता है. इसे क्लॉट ऑब्जर्वर कहते हैं. यानी की इसमें रूकावट से दिमाग में थक्के बनने की परेशानी के संकेत होते हैं. इस पानी की रूकावट से मरीज को सिर दर्द महसूस होने लगता है. उससे उल्टियां भी होती है. लंबे समय तक अनदेखी करने से आंखें की रोशनी भी धीरे धीरे जाने का खतरा रहता है.

यह भी पढ़ें - Omicron Cases in Rajasthan : राजस्थान में ओमीक्रोन के 4 नए मामले, स्वास्थ्य मंत्री बोले- घातक नहीं है यह Virus...

न्यूरो सर्जरी में दूरबीन सर्जरी क्रांति : डॉ. शर्मा ने बताया कि न्यूरो सर्जरी में दूरबीन (एंडोस्कोप) जैसी नई तकनीक की वजह से इस बिमारी के इलाज में नई उमीद की लहर आई है. जिसमें दूरबीन से पानी की थैली का रास्ते की रुकावट को खोलना संभव हो गया है. यह ऑपरेशन को भारत में बहुत ही कम जगह किया जाता है. डॉ. शर्मा ने बताया की मरीज की ​सिर में एक 1/2 सेमी के छेद से दूरबीन को डाला गया और बैलून से पानी का रास्ता खोला गया. मरीज अब बिलकुल स्वस्थ है और उसके सर दर्द में भी आराम है.

ये ऑपरेशन काफी जटिल था और एक 2 MM की चूक से मरीज की जान को खतरा भी हो सकता था. इस ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग से डॉ. शोभा उज्जवल, डॉ. मोनिका, डॉ. अभास छाबड़ा और ओटी तकनीशियन रेखा सुनील युवराज ने सहयोग दिया. इस सफलता पर डॉ. एसएस राठौर प्राचार्य मेडिकल कॉलेज और डॉ. एमके आसेरी अधीक्षक द्वारा पुरी टीम को बधाई दी गई.

जोधपुर. डॉक्टरों की टीम को नई सफलता हासिल हुई है. मथुरादास माथुर अस्पताल (Mathuradas Mathur Hospital Jodhpur) के न्यूरोसर्जरी विभाग में जिस परेशानी के लिए मरीजों के सिर में जीवन भर के लिए स्टंट लगाया जाता था, उसका उपचार पहली बार महज 2 CM का छेद बनाकर किया गया है. इससे मरीज को आगे किसी तरह के कॉम्पलीकेशन भी नहीं होंगे.

पहली बार की गई वेंट्रिकुलोस्टॉकी : विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गर्ग ने बताया कि मोहम्मद नाम के मरीज को सर दर्द और उल्टी होने की तकलीफ लंबे समय से थी. उसकी एमआरआई करने पर पता चला कि उसके थर्ड वेंट्रिकुलर पानी की थैली में रूकावट थी. जिसके चलते उसे यह परेशानी हो रही थी. सामान्यत इस तरह की परेशानी में स्टेंट लगाया जाता है, लेकिन इसमें संक्रमण और रुकावट की समस्या हमेशा रहती है.

लेकिन इस बार तय किया गया कि वेंट्रिकुलोस्टॉकी की जाए. ​डॉ. गर्ग के नेतृत्व में सहायक आचार्य डॉ. दिव्यम शर्मा, डॉ पंकज गुप्ता व डॉ. अखिलेश कुमार की टीम ने यह ​जटिल ऑपरेशन किया. जिसमें दिमाग के बीचों बीच स्थित थर्ड वेंट्रीकल में एंडोस्कॉपी के माध्यम आधे सेंटीमीटर का छेद करके पानी की थेली की रूकावट खोली गई.

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क्लॉट आब्जर्वर होता है पानी : डॉ. गर्ग के मुताबिक दिमाग की थैली में जो पानी बनता है वह हर मिनट 0.3 एमएल बनता है. इसे सीएसएफ सेलिब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड कहा जाता है. जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी से रोटेट होता है. इसे क्लॉट ऑब्जर्वर कहते हैं. यानी की इसमें रूकावट से दिमाग में थक्के बनने की परेशानी के संकेत होते हैं. इस पानी की रूकावट से मरीज को सिर दर्द महसूस होने लगता है. उससे उल्टियां भी होती है. लंबे समय तक अनदेखी करने से आंखें की रोशनी भी धीरे धीरे जाने का खतरा रहता है.

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न्यूरो सर्जरी में दूरबीन सर्जरी क्रांति : डॉ. शर्मा ने बताया कि न्यूरो सर्जरी में दूरबीन (एंडोस्कोप) जैसी नई तकनीक की वजह से इस बिमारी के इलाज में नई उमीद की लहर आई है. जिसमें दूरबीन से पानी की थैली का रास्ते की रुकावट को खोलना संभव हो गया है. यह ऑपरेशन को भारत में बहुत ही कम जगह किया जाता है. डॉ. शर्मा ने बताया की मरीज की ​सिर में एक 1/2 सेमी के छेद से दूरबीन को डाला गया और बैलून से पानी का रास्ता खोला गया. मरीज अब बिलकुल स्वस्थ है और उसके सर दर्द में भी आराम है.

ये ऑपरेशन काफी जटिल था और एक 2 MM की चूक से मरीज की जान को खतरा भी हो सकता था. इस ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग से डॉ. शोभा उज्जवल, डॉ. मोनिका, डॉ. अभास छाबड़ा और ओटी तकनीशियन रेखा सुनील युवराज ने सहयोग दिया. इस सफलता पर डॉ. एसएस राठौर प्राचार्य मेडिकल कॉलेज और डॉ. एमके आसेरी अधीक्षक द्वारा पुरी टीम को बधाई दी गई.

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