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आसमान छूने लगे सब्जियों के दाम, रसोई तक पहुंची महंगाई की मार

देश में फैले कोरोना के कारण पहले ही लोगों के काम बंद पड़े हुए है. जिसके कारण कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति बनी हुई है. वहीं, सब्जियों के आसमान छूते दामों ने भी लोगों की जेबों पर असर डालना शुरू कर दिया है. सब्जियों में टमाटर के दाम भी आसमान छू रहे हैं. थोक से खुदरा दुकानदार पेट्रोल और डीजल के बढ़ें दामों को इस मंंहगाई का कारण बता रहे हैं.

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
सब्जियों के दाम हो रहे महंगे
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Published : Jul 25, 2020, 2:15 PM IST

जोधपुर. कोरोना काल में पहले ही लॉकडाउन के दौरान लोगों की जेब काम धंधे बंद होने के कारण खाली हो गई हैं. वहीं, अब महंगाई दिनों दिन लोगों का दिवाला निकाल रही है. सब्जियों के भाव दिनों दिन आसमान छू रहे हैं. जिसके चलते महंगाई की आग रसोई तक पहुंच गई है.

सब्जियों के दाम हो रहे महंगे

थोक से लेकर खुदरा दुकानदार, खानपान के ठेले, ढाबा, रेस्टोरेंट के खुलने के बाद सब्जियों की अधिक खपत और हाल में बढ़े पेट्रोल-डीजल के दामों को सब्जियों के बढे़ दाम का कारण बताया जा रहा है. अनलॉक होने के बाद बीते दिनों में सबसे ज्यादा महंगा टमाटर हुआ है. करीब 1 माह से 80 से 100 रुपए किलो जा पहुंचा है. जबकि लॉकडाउन के दौरान 15 से 20 रुपए किलो तक बिके हैं.

पढ़ें- जोधपुर: शुक्रवार को 158 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले, 2 बुजुर्गों की उपचार के दौरान मौत

वहीं, अभी बाजार में सभी सब्जी विक्रेताओं के पास अधिकांश टमाटर भी नहीं है. होल सेल विक्रेताओं के पास टमाटर उपलब्ध रहता है. टमाटर के बिना सब्जी अधूरी रहती है, ऐसे में टमाटर की बिक्री होती है चाहे उसकी कीमत सौ रुपए किलो ही क्यों ना हो जाए. टमाटर के दाम बढ़ने के बाद लोग 1 किलो की जगह मात्र 250 ग्राम खरीदने लग गये है, जबकि शहर के आस-पास क्षेत्र से टमाटर 1 माह तक नहीं आएंगे. तो ऐसे में दाम घटने वाले नहीं है, ऐसे में तो महंगे टमाटर ही खरीदने पड़ेंगे.

आवक घटी, दाम बढ़ें

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
लगातार बढ़ रहे सब्जियों के रेट

हरी सब्जियों के दाम दिनों दिन आसमान छूने लगे हैं. ऐसी स्थिति लॉकडाउन में भी नहीं थी. लॉकडाउन में टमाटर 15 से 20 रुपए किलो टमाटर अब 80 से 100 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है. वहीं, 10 रुपए किलो आलू आज 30 रुपए किलो तक पहुंच गया है. इन दिनों सब्जी मंडी में हरी सब्जी की अलग एकदम से घट गई है. इसका सीधा असर भाव पर पड़ा है.

बाजार में भिडीं 80 से 90 रुपए किलो, हरी मिर्च 60 से 80 रुपए किलो, प्याज 15 से 20 रुपए किलो, खीरा ककड़ी 70 से 80 रुपए किलो, गवार फली 70 से 80 रुपए किलो, तोरु 80 से 90 रुपए किलो. लहसुन 140 से 160 रुपए किलो बेचा जा रहा है. सबसे सस्ती सब्जी के रूप में फिलहाल परमल 20 से 25 रुपए किलो, लौकी 25 से 30 रुपए किलो है जबकि पालक और चंदलाई 40 से 50 किलो हैं.

सब्जी की महंगाई ने गरीबों का छीना स्वाद

बढ़ती सब्जी की महंगाई से हालात यह हो गए हैं कि जिस परिवार में प्रतिदिन 30 रुपए तक की सब्जी आती थी. अब उस परिवार में 100 से 150 रुपए की सब्जी आने लग गई है. कई परिवारों को एक समय की सब्जी भी नहीं बनाते हैं. दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है, जबकि सब्जी के दामों में इतना उछाल आया है कि गरीब की थाली से गायब ही हो गई है. जहां दालें 100 रुपए के पार और सब्जियों के दामों में आग लगने से घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ चुका है. बरसात में मौसम का मिजाज ठंडा होता है. वहीं, कोरोना काल में सब्जियों के तेवर गर्म हो गए हैं.

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लोगों की जेब पर महंगाई का असर

आलू और टमाटर के दामों से लेकर दलों के भी दाम बढ़ने से महिलाएं अपनी रसोई का बजट बिगड़ने से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने जब लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि टमाटर और अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमत से रसोई का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है जिसकी भरपाई के लिए अन्य राशन के सामान में कटौती करनी पड़ती है.

ग्रहणी मनीषा जैन ने बताया कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों में टमाटर के तड़के के बिना स्वाद नहीं आता है, लेकिन मुश्किल ये है कि कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान जो टमाटर 15 रुपए किलो मिल रहा था अब उसकी कीमत 80 से 100 रुपए किलो तक हो गई है. इस मामले को लेकर जब हमने व्यापारियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले दिनों में पेट्रोल डीजल के दामों में पूरी वर्दी और स्थानीय आवक कम होने के कारण सब्जियां महंगी हो गई है.

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सब्जियां हुई महंगी

पढ़ें- पति ने पत्नी के पीहर जाकर बोला तलाक...तलाक...तलाक, मामला दर्ज

वहीं, स्थानीय विक्रेता ओम देवड़ा का कहना है कि डीजल के दामों में हुई वृद्धि से ट्रांसपोर्ट के किराए में वृद्धि हुई है जिसका असर सब्जी पर भी पड़ा है. कोरोना महामारी के दौर में सब्जियों पर हुई महंगाई के कारण पहले की तुलना में बिक्री आधी से भी कम रह रही है. लॉकडाउन के दौरान एक परिवार की ओर से दो से तीन किलो सब्जी खरीदी जाती थी, आज उस परिवार को आधा किलो सब्जी खरीदनी भारी पड़ रही हैं. जिसके कारण सब्जी बेचने वालों के सामने भी अपने परिवार का भरण पोषण करने का संकट खड़ा हो गया है.

साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान टमाटर जयपुर, जालौर, पुष्कर सहित विभिन्न क्षेत्रों से आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब बैंगलोंर और नासिक से ही टमाटर आ रहे हैं. जिसकी खपत ज्यादा होने से मंडियों में भाव दिनों दिन आसमान छू रहे हैं.

जोधपुर. कोरोना काल में पहले ही लॉकडाउन के दौरान लोगों की जेब काम धंधे बंद होने के कारण खाली हो गई हैं. वहीं, अब महंगाई दिनों दिन लोगों का दिवाला निकाल रही है. सब्जियों के भाव दिनों दिन आसमान छू रहे हैं. जिसके चलते महंगाई की आग रसोई तक पहुंच गई है.

सब्जियों के दाम हो रहे महंगे

थोक से लेकर खुदरा दुकानदार, खानपान के ठेले, ढाबा, रेस्टोरेंट के खुलने के बाद सब्जियों की अधिक खपत और हाल में बढ़े पेट्रोल-डीजल के दामों को सब्जियों के बढे़ दाम का कारण बताया जा रहा है. अनलॉक होने के बाद बीते दिनों में सबसे ज्यादा महंगा टमाटर हुआ है. करीब 1 माह से 80 से 100 रुपए किलो जा पहुंचा है. जबकि लॉकडाउन के दौरान 15 से 20 रुपए किलो तक बिके हैं.

पढ़ें- जोधपुर: शुक्रवार को 158 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले, 2 बुजुर्गों की उपचार के दौरान मौत

वहीं, अभी बाजार में सभी सब्जी विक्रेताओं के पास अधिकांश टमाटर भी नहीं है. होल सेल विक्रेताओं के पास टमाटर उपलब्ध रहता है. टमाटर के बिना सब्जी अधूरी रहती है, ऐसे में टमाटर की बिक्री होती है चाहे उसकी कीमत सौ रुपए किलो ही क्यों ना हो जाए. टमाटर के दाम बढ़ने के बाद लोग 1 किलो की जगह मात्र 250 ग्राम खरीदने लग गये है, जबकि शहर के आस-पास क्षेत्र से टमाटर 1 माह तक नहीं आएंगे. तो ऐसे में दाम घटने वाले नहीं है, ऐसे में तो महंगे टमाटर ही खरीदने पड़ेंगे.

आवक घटी, दाम बढ़ें

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लगातार बढ़ रहे सब्जियों के रेट

हरी सब्जियों के दाम दिनों दिन आसमान छूने लगे हैं. ऐसी स्थिति लॉकडाउन में भी नहीं थी. लॉकडाउन में टमाटर 15 से 20 रुपए किलो टमाटर अब 80 से 100 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है. वहीं, 10 रुपए किलो आलू आज 30 रुपए किलो तक पहुंच गया है. इन दिनों सब्जी मंडी में हरी सब्जी की अलग एकदम से घट गई है. इसका सीधा असर भाव पर पड़ा है.

बाजार में भिडीं 80 से 90 रुपए किलो, हरी मिर्च 60 से 80 रुपए किलो, प्याज 15 से 20 रुपए किलो, खीरा ककड़ी 70 से 80 रुपए किलो, गवार फली 70 से 80 रुपए किलो, तोरु 80 से 90 रुपए किलो. लहसुन 140 से 160 रुपए किलो बेचा जा रहा है. सबसे सस्ती सब्जी के रूप में फिलहाल परमल 20 से 25 रुपए किलो, लौकी 25 से 30 रुपए किलो है जबकि पालक और चंदलाई 40 से 50 किलो हैं.

सब्जी की महंगाई ने गरीबों का छीना स्वाद

बढ़ती सब्जी की महंगाई से हालात यह हो गए हैं कि जिस परिवार में प्रतिदिन 30 रुपए तक की सब्जी आती थी. अब उस परिवार में 100 से 150 रुपए की सब्जी आने लग गई है. कई परिवारों को एक समय की सब्जी भी नहीं बनाते हैं. दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है, जबकि सब्जी के दामों में इतना उछाल आया है कि गरीब की थाली से गायब ही हो गई है. जहां दालें 100 रुपए के पार और सब्जियों के दामों में आग लगने से घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ चुका है. बरसात में मौसम का मिजाज ठंडा होता है. वहीं, कोरोना काल में सब्जियों के तेवर गर्म हो गए हैं.

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
लोगों की जेब पर महंगाई का असर

आलू और टमाटर के दामों से लेकर दलों के भी दाम बढ़ने से महिलाएं अपनी रसोई का बजट बिगड़ने से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने जब लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि टमाटर और अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमत से रसोई का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है जिसकी भरपाई के लिए अन्य राशन के सामान में कटौती करनी पड़ती है.

ग्रहणी मनीषा जैन ने बताया कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों में टमाटर के तड़के के बिना स्वाद नहीं आता है, लेकिन मुश्किल ये है कि कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान जो टमाटर 15 रुपए किलो मिल रहा था अब उसकी कीमत 80 से 100 रुपए किलो तक हो गई है. इस मामले को लेकर जब हमने व्यापारियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले दिनों में पेट्रोल डीजल के दामों में पूरी वर्दी और स्थानीय आवक कम होने के कारण सब्जियां महंगी हो गई है.

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
सब्जियां हुई महंगी

पढ़ें- पति ने पत्नी के पीहर जाकर बोला तलाक...तलाक...तलाक, मामला दर्ज

वहीं, स्थानीय विक्रेता ओम देवड़ा का कहना है कि डीजल के दामों में हुई वृद्धि से ट्रांसपोर्ट के किराए में वृद्धि हुई है जिसका असर सब्जी पर भी पड़ा है. कोरोना महामारी के दौर में सब्जियों पर हुई महंगाई के कारण पहले की तुलना में बिक्री आधी से भी कम रह रही है. लॉकडाउन के दौरान एक परिवार की ओर से दो से तीन किलो सब्जी खरीदी जाती थी, आज उस परिवार को आधा किलो सब्जी खरीदनी भारी पड़ रही हैं. जिसके कारण सब्जी बेचने वालों के सामने भी अपने परिवार का भरण पोषण करने का संकट खड़ा हो गया है.

साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान टमाटर जयपुर, जालौर, पुष्कर सहित विभिन्न क्षेत्रों से आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब बैंगलोंर और नासिक से ही टमाटर आ रहे हैं. जिसकी खपत ज्यादा होने से मंडियों में भाव दिनों दिन आसमान छू रहे हैं.

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