जोधपुर. राजस्थान में पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों से आ रहे दूषित जल को लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बड़ा बयान दिया है. शेखावत ने कहा है कि हमने पंजाब सरकार, राजस्थान सरकार, नमामि गंगे टीम को साथ लेकर चर्चा की थी. अब हमने एक संयुक्त टीम बनाई है. यह संयुक्त टीम अगले सप्ताह तक रिपोर्ट देगी, उसी रिपोर्ट के आधार पर आगे का शेष काम होगा. इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की टीम भी अपनी रिपोर्ट बना रही है. साथ ही भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को अपशिष्ट जल का प्रबंधन करने की योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
रविवार को जोधपुर में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा कि आसपास के क्षेत्र से सीवरेज और औद्योगिक कचरा दोनों बहकर नदी में डाले जाते हैं. जो हरिके बैराज से राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में पीने के पानी और खेती- सिंचाई के लिए आने वाले पानी को प्रदूषित करता है. पिछले 20 वर्षों से संघर्ष चल रहा था. अनेक बार मामला न्यायालयों में भी गया है. हमने 2019 में इस मामले को टेकअप किया. पंजाब की सरकार के ऊपर न्यायालय ने भी जुर्माना लगाया था.
शेखावत ने कहा कि फिर जब हमने इस विषय को टेकअप किया तो पंजाब के मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से आकर कहा था कि आप इन फैक्ट्रियों को बंद न करें, हम इस मसले के लिए जो भी जरूरी कदम हैं उठाएंगे. लेकिन कोरोना के चलते कुछ विलंब हुआ है. अबकी बार 70 दिन का नहर क्लोजर था. इस क्लोजर में जो सीवरेज का पानी एकत्रित हुआ था, उसने और ज्यादा चुनौती पैदा हो गई. हरिके बैराज से काला दूषित पानी छोड़े जाने से राजस्थान की इंदिरा गांधी नहर, गंग नहर और भाखड़ा-नांगल सिंचाई तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि पंजाब से जो दूषित जल नहरों के माध्यम से राजस्थान पहुंच रहा है वो जो जन-धन दोनों के लिए हानिप्रद है. इंदिरा गांधी नहर से करीब 2 करोड़ की आबादी जुड़ी हुई है.