जोधपुर. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा है कि शवों को लेकर बैठना घिनौनी हरकत है. यह एक तरह का अपराध है. शुक्रवार को जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के मनोविकार केंद्र का निरीक्षण करने आए जस्टिस व्यास से जब पूछा गया कि अस्पतालों में शव को लेकर बैठने को आयोग किस नजरिए से देखता है. इस पर उन्होंने कहा कि जो करने वाले हैं, उनके घरों में ऐसा हो तो क्या करेंगे?
उन्होंने कहा कि मृत शरीर के पांचों तत्वों को अपने स्थान पर जाना होता है. उन्होंने कहा राजनीति ऐसे नहीं होती (Justice Vyas on protest with dead body) है. हमने पहले भी एक आर्डर निकाला है. आप ऐसा नहीं कर सकते. उनको कोई अधिकार नहीं है. यह एक तरह का अपराध है. किसी के घर वाले चाहते हैं कि अंतिम संस्कार हो जाए और शव रोकना सही बात नहीं है. मैं तो इसे घिनौनी हरकत मानता हूं. इससे पहले जस्टिस व्यास ने मनोविकार केंद्र का दौरा किया. उन्होंने बताया एनजीओ की शिकायत पर हम यहां आए हैं. निर्माण को लेकर पीडब्ल्यूडी को कहेंगे. बाकी हालात ठीक हैं. लेकिन सबसे बड़ी पेरशानी इस बात की है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के परिजन सहयोग नहीं करते हैं. उनको लेने नहीं आते. इसमें सब सहयोग करेंगे तो हालात सुधरेंगे.
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उन्होंने कहा कि अंदर एक आगरा का व्यक्ति है. उसे यह पता है कि वह आगरा का है, लेकिन कहां रहता है, यह पता नहीं है. ऐसे में परिजनों को आगे आना चाहिए. आयोग भी इसको लेकर आदेश जारी करेगा. जोधपुर में जुलाई में अस्पतालों में शव रखकर दो प्रदर्शन हो चुके हैं. सबसे पहले सीआरपीएफ के जवान नरेश जाट के आत्महत्या करने के बाद चार दिनों का शव एमजीएच की मोर्चरी में रहा. परिजन धरने पर बैठे रहे. बाद में मांगे माने जाने के बाद शव लिया. इसी तरह से सोमवार को लूणी क्षेत्र में हुई हत्या के दो शव भी दो दिन तक एमडीएम मोर्चरी में रहे. परिजन बाहर धरना देकर बैठ गए थे.