जोधपुर. शहर में मुस्लिम समाज के कब्रिस्तान अतिक्रमण की भेंट चढ़ते जा रहे हैं. हालांकि हाल ही में उदय मंदिर थाने के सामने स्थित कब्रिस्तान से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी की गई लेकिन इसके बाद भी कई इलाकों में कब्रिस्तान की जमीन पर अतिक्रमण बड़ी परेशानी बनी हुई है. यही कारण है कि मुस्लिम समाज इस बात से चिंतित है कि शहर के अलग-अलग इलाकों बड़े कब्रिस्तान की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान समय में इनकी संख्या बहुत कम है. आलम यह है कि पुरानी कब्रों को एक निश्चित समय के बाद खाली कर वहां कुछ समय बाद दूसरों को दफना दिया जाता है.
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मारवाड़ मुस्लिम सोसाइटी के सचिव एव मुस्लिम समाज के प्रमुख संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मोहम्मद अतीक का कहना है कि पुराने समय में जोधपुर में 7 कब्रिस्तान हुआ करते थे लेकिन वर्तमान में चार कब्रिस्तान ही बचे हुए हैं. तीन कब्रिस्तान कहां है इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि 200 साल पहले कब्रिस्तान राजाओं ने ही दिए थे, उसके बाद से शहर में नए कब्रिस्तान बनाने के लिए जगह नहीं मिली है, जबकि बढ़ते शहर में अलग-अलग इलाकों में कब्रिस्तान की आवश्यकता है.
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जोधपुर हज हाउस के पदाधिकारी एवं नगर परिषद के पूर्व सभापति अब्दुल जब्बार का कहना है कि अतिक्रमण कब्रिस्तानों के लिए बड़ी परेशानी है. अतिक्रमण का आलम यह है कि कई प्रमुख मजारें भी हटा दी गईं हैं. इस संबंध में जिला प्रशासन के सहयोग से गत दिनों अतिक्रमण हटाए गए थे, लेकिन अभी भी कई जगह पर कब्रिस्तान की जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है.
अब्दुल जब्बार का कहना है कि हम लंबे अरसे से नए कब्रिस्तान की मांग कर रहे हैं. कब्रिस्तानों को मेंटेन करने वाली कमेटी की ओर से सरकार को कई पत्र लिखे गए हैं. हाल ही में सरकार ने नगर निगम उत्तर क्षेत्र की तरफ मोकलवास ग्राम के पास 40 बीघा जमीन कब्रिस्तान के लिए चयनित की है जिसका पत्र हमें मिला है लेकिन हमारी मांग है कि शहर के कई प्रमुख इलाकों जहां कब्रिस्तान नहीं है, वहां भी इसके लिए जगह दी जाए क्योंकि आबादी के विस्तार के साथ-साथ शहर का क्षेत्र भी फैल रहा है. ऐसे में बनाड़ रोड पर भी कब्रिस्तान के लिए जगह मिले.