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स्पेशल रिपोर्ट: जोधपुर सेंट्रल जेल में अब फिनाइल उद्योग शुरू, 17 जिलों में हो रही है सप्लाई - राजस्थान हिंदी समाचार

जोधपुर सेंट्रल जेल में कूलर बनाने के उद्योग के बाद अब फिनाइल बनाने का काम भी शुरू हो गया है. जिसकी सप्लाई जोधपुर सेंट्रल जेल सहित 17 जिलों में हो रही है. जिससे जोधपुर जेल में कैद बंदियों को रोजगार मिल रहा है. देखिए जोधपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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जोधपुर सेंट्रल जेल में अब फिनाइल उद्योग शुरू
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Published : Feb 7, 2020, 8:52 PM IST

जोधपुर. केंद्रीय कारागार जोधपुर में वैसे लंबे समय से कूलर उद्योग चल रहा है और जेल में बंद कैदियों की ओर से तैयार किए गए कूलर और स्टील फर्नीचर की बाजार में बड़ी मांग भी रहती है, लेकिन अब जोधपुर जेल प्रशासन ने एक पहल करते हुए जेल में ही फिनाइल उद्योग की शुरुआत की है. जेल में बंदी फिनाइल के साथ ही साफ-सफाई के काम आने वाली वस्तुओं का भी निर्माण कर रहे हैं.

पढ़ें- नई पहलः संदिग्ध लोगों का रिकॉर्ड रखेगी जोधपुर पुलिस, वारदातों को खोलने में होगी आसानी

ऑपरेशन आशाएं के तहत फिनाइल उद्योग शुरू
जोधपुर सेंट्रल जेल में बनने वाले फिनाइल के रोजगार को जेल प्रशासन ने ऑपरेशन आशाएं नाम दिया गया है. इससे ना केवल बंदियों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि जेल में साफ सफाई के नाम पर खर्च होने वाली राशि भी आधे से कम हो गयी है. जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी भी बाहर निकलने पर सामान्य तरीके से समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें, इसके लिए वे जेल में अपनी सजा काटने के साथ साथ हुनरमंद बन रहे हैं. जेल में कूलर उद्योग के बाद अब जेल प्रशासन ने फिनाइल उद्योग शुरू किया है.

फिनाइल के साथ बनी रही साफ-सफाई की सामग्री
जोधपुर सेंट्रल जेल प्रशासन की ओर से जेल में बनने वाले फिनाइल की पैकिंग को आशाएं नाम दिया है. जेल में बंदी जेल उद्योग में रहने वालों के साथ ही साफ-सफाई की सामग्री जैसे झाड़ू, पोछा भी तैयार कर रहे हैं. प्रारंभिक तौर पर इसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं, हालांकि अभी तक इसकी सप्लाई जोधपुर सेंट्रल जेल के साथ-साथ इसके अधीन आने वाले करीब 17 जिलों में हो रही है. जिससे बंदियों को भी अच्छा रोजगार मिल रहा है.

फिनाइल उद्योग से बंदियों में दिख रहा उत्साह
जोधपुर केंद्रीय कारागार अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी ने बताया कि जेल प्रशासन की ओर से बंदियों को रोजगार देने और जेल में साफ सफाई की सामग्री के नाम पर खर्च होने वाली राशि में कमी लाने के उद्देश्य से फिनाइल उद्योग शुरू किया गया है. फिनाइल उद्योग लगाने से बंदियों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. इससे ना केवल बंदियों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि जेल से छूटने के बाद बंदी समाज की मुख्यधारा में जुड़कर खुद का रोजगार किस तरह से चला सके, इसकी भी जानकारी उन्हें मिल रही है.

पढ़ें- जोधपुर: 'सरकारी' स्कूल को बनाया 'हैप्पी' स्कूल, जानिए कैसे...

कूलर, स्टील फर्नीचर और फिनाइल के बाद शुरू होगा मसाला उद्योग
बता दें कि जेल में चल रहे कूलर उद्योग और स्टील फर्नीचर उद्योग को लेकर भी बड़ी डिमांड है. हाल ही में एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से 15 लाख रुपए के स्टील फर्नीचर बनाने का काम मिला है. जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी ने बताया कि इसी महीने से ऑपरेशन आशाएं के तहत जेल में मसाला उद्योग भी आरंभ किया जाएगा. जिससे कि ठेकेदारों से मंगवाने वाले मसाले का उपयोग ना करके जेल में ही बनने वाले मसाले का उपयोग बंदियों के लिए किया जाएगा. देखा जाए तो उच्च अधिकारियों के निर्देशन पर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे बंदियों को किस तरह से रोजगार मिले, उसको लेकर जेल प्रशासन द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं.

जोधपुर. केंद्रीय कारागार जोधपुर में वैसे लंबे समय से कूलर उद्योग चल रहा है और जेल में बंद कैदियों की ओर से तैयार किए गए कूलर और स्टील फर्नीचर की बाजार में बड़ी मांग भी रहती है, लेकिन अब जोधपुर जेल प्रशासन ने एक पहल करते हुए जेल में ही फिनाइल उद्योग की शुरुआत की है. जेल में बंदी फिनाइल के साथ ही साफ-सफाई के काम आने वाली वस्तुओं का भी निर्माण कर रहे हैं.

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ऑपरेशन आशाएं के तहत फिनाइल उद्योग शुरू
जोधपुर सेंट्रल जेल में बनने वाले फिनाइल के रोजगार को जेल प्रशासन ने ऑपरेशन आशाएं नाम दिया गया है. इससे ना केवल बंदियों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि जेल में साफ सफाई के नाम पर खर्च होने वाली राशि भी आधे से कम हो गयी है. जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी भी बाहर निकलने पर सामान्य तरीके से समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें, इसके लिए वे जेल में अपनी सजा काटने के साथ साथ हुनरमंद बन रहे हैं. जेल में कूलर उद्योग के बाद अब जेल प्रशासन ने फिनाइल उद्योग शुरू किया है.

फिनाइल के साथ बनी रही साफ-सफाई की सामग्री
जोधपुर सेंट्रल जेल प्रशासन की ओर से जेल में बनने वाले फिनाइल की पैकिंग को आशाएं नाम दिया है. जेल में बंदी जेल उद्योग में रहने वालों के साथ ही साफ-सफाई की सामग्री जैसे झाड़ू, पोछा भी तैयार कर रहे हैं. प्रारंभिक तौर पर इसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं, हालांकि अभी तक इसकी सप्लाई जोधपुर सेंट्रल जेल के साथ-साथ इसके अधीन आने वाले करीब 17 जिलों में हो रही है. जिससे बंदियों को भी अच्छा रोजगार मिल रहा है.

फिनाइल उद्योग से बंदियों में दिख रहा उत्साह
जोधपुर केंद्रीय कारागार अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी ने बताया कि जेल प्रशासन की ओर से बंदियों को रोजगार देने और जेल में साफ सफाई की सामग्री के नाम पर खर्च होने वाली राशि में कमी लाने के उद्देश्य से फिनाइल उद्योग शुरू किया गया है. फिनाइल उद्योग लगाने से बंदियों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. इससे ना केवल बंदियों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि जेल से छूटने के बाद बंदी समाज की मुख्यधारा में जुड़कर खुद का रोजगार किस तरह से चला सके, इसकी भी जानकारी उन्हें मिल रही है.

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कूलर, स्टील फर्नीचर और फिनाइल के बाद शुरू होगा मसाला उद्योग
बता दें कि जेल में चल रहे कूलर उद्योग और स्टील फर्नीचर उद्योग को लेकर भी बड़ी डिमांड है. हाल ही में एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से 15 लाख रुपए के स्टील फर्नीचर बनाने का काम मिला है. जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी ने बताया कि इसी महीने से ऑपरेशन आशाएं के तहत जेल में मसाला उद्योग भी आरंभ किया जाएगा. जिससे कि ठेकेदारों से मंगवाने वाले मसाले का उपयोग ना करके जेल में ही बनने वाले मसाले का उपयोग बंदियों के लिए किया जाएगा. देखा जाए तो उच्च अधिकारियों के निर्देशन पर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे बंदियों को किस तरह से रोजगार मिले, उसको लेकर जेल प्रशासन द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं.

Intro:जोधपुर
जोधपुर के केंद्रीय कारागार में वैसे लंबे समय से कूलर उद्योग चल रहा है और जेल में बंद कैदियों द्वारा तैयार किए गए कूलर ओर स्टील फर्नीचर की मार्केट में बड़ी मांग रहती है। लेकिन अब जोधपुर जेल प्रशासन ने एक पहल करते हुए जेल में ही फिनायल उद्योग की शुरुआत की है जेल में बंदी फिनायल के साथ ही साफ-सफाई के काम आने वाली सामग्री भी तैयार कर रहे हैं। जेल में बनने वाले फिनाइल के रोजगार को जेल प्रशासन द्वारा आशाएं नाम दिया गया है। इससे ना केवल बंदियों को रोजगार मिल रहा है बल्कि जेल में साफ सफाई के नाम पर खर्च होने वाली राशि से भी आधे से कम हो गयी है। जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी भी बाहर निकलने पर सामान्य तरीके से समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें इसके लिए वे जेल में अपनी सजा काटने के साथ साथ हुनरमंद बन रहे हैं जेल में कूलर उद्योग के बाद अब जेल प्रशासन ने फिनायल उद्योग शुरू किया है।


Body:जोधपुर सेंट्रल जेल प्रशासन द्वारा जेल में बनने वाले फिनायल की पैकिंग को आशाएं नाम दिया है जेल में बंदी जेल उद्योग में रहने वालों के साथ ही साफ-सफाई की सामग्री जैसे झाड़ू ,पोछा इत्यादि तैयार कर रहे हैं प्रारंभिक तौर पर इसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं हालांकि अभी तक इसकी सप्लाई जोधपुर सेंट्रल जेल के साथ-साथ इसके अधीन आने वाली करीब 17 जिलों में हो रही है जिससे बंदियों को भी अच्छा रोजगार मिल रहा है। जोधपुर जेल सुप्रिडेंट कैलाश त्रिवेदी ने बताया कि जेल प्रशासन द्वारा बंधुओं को रोजगार देने और जेल में साफ सफाई की सामग्री के नाम पर खर्च होने वाली राशि में कमी लाने के उद्देश्य से फिनायल उद्योग शुरू किया गया है फिनायल उद्योग लगाने से बंधुओं में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है इससे ना केवल बंदियों को रोजगार मिल रहा है बल्कि जेल से छूटने के बाद बंदी समाज की मुख्यधारा में जुड़कर खुद का रोजगार किस तरह से चला सके इसकी भी जानकारी उन्हें मिल रही है। जेल शुक्ला ने बताया कि जेल में चल रहे कूलर उद्योग और स्टील फर्नीचर उद्योग को लेकर भी बड़ी डिमांड है हाल ही में एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से 15 लाख रुपए के स्टील फर्नीचर बनाने का काम मिला है। जेल सुप्रिडेंट कैलाश त्रिवेदी ने बताया कि इसी महीने से ऑपरेशन आशाएं के तहत जेल में मसाला उद्योग भी आरंभ किया जाएगा जिससे कि ठेकेदारों से मंगवाने वाले मसाले का उपयोग ना करके जेल में ही बनने वाले मसाले का उपयोग बंदियों के लिए किया जाएगा। लिखा जाए तो उच्च अधिकारियों के निर्देशन पर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे बंदियों को किस तरह से रोजगार मिले उसको लेकर जेल प्रशासन द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं।


Conclusion:बाईट कैलाश त्रिवेदी जेल सुप्रिडेंट जोधपुर सेंट्रल जेल
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