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Special: जोधपुर के छात्र ने बनाई वॉकिंग साइकिल, एक्सरसाइज के साथ अब राह हुई आसान

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Published : Mar 16, 2020, 7:30 PM IST

जिम में तो ट्रेडमिल पर लोग अक्सर आपको दौड़ते हुए नजर आते हैं. लेकिन वो अपनी जगह से आगे नहीं बढ़ पाते. अब जोधपुर में इंजीनियरिंग छात्र ने ऐसी वॉकिंग साइकिल का आविष्कार कर दिया है. जिसकी खासियत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.. देखिए जोधपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

walking cycle in jodhpur, jodhpur Engineering studen
जोधपुर के छात्र ने बनाई वॉकिंग साइकिल

जोधपुर. शहर में इंजीनियरिंग छात्रों ने एक ऐसी साइकलि बनाई है. जो आपकी सेहत को अच्छी रखने के साथ-साथ आपको आपकी मंजिल पर भी आसानी से ले जाएगी. इस साइकिल पर सवार शख्स एक्सरसाइज भी कर सकेगा और साथ-साथ साइकिल चलाने के साथ ही अपनी मंजिल तक भी पहुंच जाएगा.

पढ़ें: Special : मिलिए देशी 'इंजीनियर' से जिन्होंने मोटरसाइकिल को बना दिया ट्रैक्टर, इसकी खूबियां कर देंगी हैरान

सेहत के साथ मंजिल भी पहुंचाएंगी ये साइकिल

इस साइकिल के जरिए अपनी सेहत को भी बेहतर रख पाएंगे. वहीं साइकिल बनाने वाले युवा छात्र विजय निकुब ने बताया कि इस साइकिल को बनाने में उनका लगभग 35 से 40 हजार तक का खर्चा आया है. साथ ही यह साइकिल व्यक्ति खड़े-खड़े चला सकता है. इस साइकिल के नीचे एक पैनल लगा हुआ है. जिसकी सहायता से आदमी खड़े खड़े एक्सरसाइज भी कर सकेगा और चलते चलते अपनी मंजिल भी पा लेगा. जोधपुर के रहने वाले विजय निकुब ने अपने 7 साथियों के साथ मिलकर इस साइकिल का निर्माण किया है.

जोधपुर के छात्र ने बनाई वॉकिंग साइकिल

पढ़ें: Special : नैनो पार्टिकल्स के इस्तेमाल से बायोडीजल और डीजल इंजन का माइलेज हो जाएगा दोगुना...

इस साइकिल से होगी शरीर की एक्सरसाइज भी

इस ईको फ्रेंडली साइकिल की खास बात यह है कि इसके नीचे एक पावर की मोटर भी लगी है. जिससे अगर व्यक्ति चलते चलते थक जाए तो उस मोटर की सहायता से भी चला सकता है. विजय निकुब ने बताया कि वह काफी लंबे समय से सोच रहा था कि व्यक्ति जब छोटे-मोटे कार्यों के लिए इधर-उधर जाता है तो बाइक लेकर जाता है. जिससे उनका पेट्रोल भी खर्च होता है और वायु प्रदूषण भी ज्यादा होता है. जिसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसी साइकिल बनाई है, जिससे कि वह काम भी कर ले और उसके साथ साथ के शरीर की एक्सरसाइज भी हो जाए. उसी को देखते हुए पहले उन्होंने इस साइकिल का डिजाइन किया और फिर उसे बड़ी लगन से बनाया.

पढ़ें: धौलपुर की सरकारी स्कूल में मिला ज्ञान का भंडार, 115 साल से कमरे में बंद था बेशकीमती पुस्तकों का खजाना

साइकिल बनाने में लगा लगभग दो महीने का वक्त

छात्र विजय निकुब ने बताया की वॉकिंग साइकिल को बनाने के लिए प्रेरणा उनको कॉलेज के मनीष बोहरा सर से मिली, जो उनके टीचर है और उन्होंने भी उनकी काफी मदद की, साथ ही बताया कि उन्हें इस साइकिल को बनाने में लगभग दो महीने का समय लगा. निकुब ने बताया की वो ऐसी साइकिलें और भी बनाएंगे और मार्केट में उतारेंगे. इस के साथ ही उनके द्वारा आने वाले समय में इस साइकिल में सोलर प्लेट भी लगाई जाएगी, जिससे सूर्य की किरणों से भी चार्ज होकर चलेगी और लोगों के पेट्रोल का खर्च बचेगा और प्रदूषण में भी कमी आएगी. डिजिटल युग में भारत में रहने वाले सभी युवाओं में टैलेंट की कमी नहीं हैं, यहां के युवा आये दिन नए-नए आविष्कार करते रहते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण आपके सामने जोधपुर का. जिसने ईको फ्रेंडली वॉकिंग साइकिल का आविष्कार कर दिया.

जोधपुर. शहर में इंजीनियरिंग छात्रों ने एक ऐसी साइकलि बनाई है. जो आपकी सेहत को अच्छी रखने के साथ-साथ आपको आपकी मंजिल पर भी आसानी से ले जाएगी. इस साइकिल पर सवार शख्स एक्सरसाइज भी कर सकेगा और साथ-साथ साइकिल चलाने के साथ ही अपनी मंजिल तक भी पहुंच जाएगा.

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सेहत के साथ मंजिल भी पहुंचाएंगी ये साइकिल

इस साइकिल के जरिए अपनी सेहत को भी बेहतर रख पाएंगे. वहीं साइकिल बनाने वाले युवा छात्र विजय निकुब ने बताया कि इस साइकिल को बनाने में उनका लगभग 35 से 40 हजार तक का खर्चा आया है. साथ ही यह साइकिल व्यक्ति खड़े-खड़े चला सकता है. इस साइकिल के नीचे एक पैनल लगा हुआ है. जिसकी सहायता से आदमी खड़े खड़े एक्सरसाइज भी कर सकेगा और चलते चलते अपनी मंजिल भी पा लेगा. जोधपुर के रहने वाले विजय निकुब ने अपने 7 साथियों के साथ मिलकर इस साइकिल का निर्माण किया है.

जोधपुर के छात्र ने बनाई वॉकिंग साइकिल

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इस साइकिल से होगी शरीर की एक्सरसाइज भी

इस ईको फ्रेंडली साइकिल की खास बात यह है कि इसके नीचे एक पावर की मोटर भी लगी है. जिससे अगर व्यक्ति चलते चलते थक जाए तो उस मोटर की सहायता से भी चला सकता है. विजय निकुब ने बताया कि वह काफी लंबे समय से सोच रहा था कि व्यक्ति जब छोटे-मोटे कार्यों के लिए इधर-उधर जाता है तो बाइक लेकर जाता है. जिससे उनका पेट्रोल भी खर्च होता है और वायु प्रदूषण भी ज्यादा होता है. जिसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसी साइकिल बनाई है, जिससे कि वह काम भी कर ले और उसके साथ साथ के शरीर की एक्सरसाइज भी हो जाए. उसी को देखते हुए पहले उन्होंने इस साइकिल का डिजाइन किया और फिर उसे बड़ी लगन से बनाया.

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साइकिल बनाने में लगा लगभग दो महीने का वक्त

छात्र विजय निकुब ने बताया की वॉकिंग साइकिल को बनाने के लिए प्रेरणा उनको कॉलेज के मनीष बोहरा सर से मिली, जो उनके टीचर है और उन्होंने भी उनकी काफी मदद की, साथ ही बताया कि उन्हें इस साइकिल को बनाने में लगभग दो महीने का समय लगा. निकुब ने बताया की वो ऐसी साइकिलें और भी बनाएंगे और मार्केट में उतारेंगे. इस के साथ ही उनके द्वारा आने वाले समय में इस साइकिल में सोलर प्लेट भी लगाई जाएगी, जिससे सूर्य की किरणों से भी चार्ज होकर चलेगी और लोगों के पेट्रोल का खर्च बचेगा और प्रदूषण में भी कमी आएगी. डिजिटल युग में भारत में रहने वाले सभी युवाओं में टैलेंट की कमी नहीं हैं, यहां के युवा आये दिन नए-नए आविष्कार करते रहते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण आपके सामने जोधपुर का. जिसने ईको फ्रेंडली वॉकिंग साइकिल का आविष्कार कर दिया.

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