जोधपुर. शहर में डेंगू का डंक लगातार लोगों को लील रहा है. जिसके चलते हर दिन एक से दो दर्जन डेंगू रोगी सामने आ रहे हैं. आलम यह है कि इस सीजन में डेंगू रोगियों का आंकड़ा 400 के पार हो गया है. यह सिर्फ सरकारी आंकड़ा है. निजी अस्पतालों के वो ही मरीज इसमें शामिल है. जिनका दोबारा सरकारी टेस्ट हुआ हो.
अगर डेंगू के मामलों की साल 2017 और 2018 के मुकाबले की बात करें तो इस बार डेंगू रोगियों की संख्या में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2017 में जहां 123 रोगी सामने आए थे. जबकि 2018 में सिर्फ 60 रोगी थे. वहीं साल 2019 में यह आंकड़ा 426 तक जा पहुंचा है.
घर-घर सर्वे जारी, एंटी लार्वा दवाइयों का छिड़काव
डेंगू के बढ़ते प्रकोप के चलते अब स्वास्थ्य विभाग को जोधपुर शहर में घर-घर सर्वे करवाना पड़ रहा है. जिसके तहत डॉक्टर में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम गली-मोहल्ले जाकर जमा साफ पानी में एंटी लार्वा दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं. साथ ही लोगों के कूलर अन्य जगह जहां पानी भरा है वह खाली करवा रहे हैं. वहीं एसएन मेडिकल कॉलेज के पीएसएम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुमन भंसाली बताते हैं कि जोधपुर में इस बार डेंगू रोग ज्यादा फैल रहा है, जो नहीं होना चाहिए था. उन्होंने यह भी बताया कि हम हर दिन आने वाले डेंगू रोगियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को भेज रहे हैं. जिससे कि समय रहते हुए बचाव के उपाय करवाए जा सकें. डॉक्टर बंसल के अनुसार डेंगू से बचने का एक ही तरीका है घरों में साफ पानी एकत्र नहीं हो, वहीं पीड़ित को तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए.
पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: कोटा में 7 दिन में सामने आए 105 डेंगू रोगी...कहीं 2017 जैसी भयावह स्थिति नहीं बन जाए
शहर में फॉगिंग सरकारी व सेवार्थ
जोधपुर में मच्छर जनित रोगों से लोगों को बचाने के लिए फॉगिंग का जिम्मा पूरी तरह से नगर निगम के पास है. नगर निगम की टीमें लोगों की शिकायत व जानकारी के आधार पर क्षेत्रों में जाकर मच्छर खत्म करने के लिए फॉगिंग कर रही है. इसके अलावा कैलाश की करुणा नामक संस्थान के लोग भी निशुल्क रूप से लोगों को फॉगिंग की सेवाएं दे रहे हैं.
पढ़ें- जोधपुरः डेंगू सर्वे में ड्यूटी लगाए जाने को लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मीयों का विरोध प्रदर्शन
मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इंतजाम
डेंगू के गंभीर रोगियों के उपचार के लिए डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज से संबंध मथुरादास माथुर अस्पताल एवं महात्मा गांधी अस्पताल में अलग से वार्ड में बेड की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा आईसीयू में भी पलंग रखे गए हैं. जिससे कि गंभीर मरीज आने पर उसका उपचार समय पर किया जा सकें.