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प्रदेश में 1 लाख लोगों पर 115 पुलिस कर्मी, हाईकोर्ट के निर्देश पर सुधार के सुझाव तैयार

राजस्थान में लगातार बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों के समाचारों के आधार पर हाईकोर्ट की ओर से दायर की गई स्वप्रेरित जनहित याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस वीके माथुर की खंडपीठ में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के निर्देश पर अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली की ओर से पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए.

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Published : Jul 20, 2019, 8:21 AM IST

कोर्ट में पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए

जोधपुर. प्रदेश में लगातार आपराधिक गतिविधियां बढ़ती ही जा रही है. जिसके आधार पर हाईकोर्ट की ओर से दायर की गई स्वप्रेरित जनहित याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस वीके माथुर की खंडपीठ में सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली की ओर से पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए.

कोर्ट में पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए

बता दें कि हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर प्रदेशभर में पुलिस विभाग में ऊपर से नीचे तक कुल रिक्त पदों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी. राजस्थान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने कोर्ट के समक्ष कई सुझाव प्रस्तुत किए हैं.

फरजंद अली ने बताया कि यूएनओ के अनुसार 1 लाख की आबादी पर 220 पुलिस कर्मी होने चाहिए. देश में यह औसत 138 का जबकि राजस्थान में 115 का है, जो बहुत कम है. इसमें भी प्रोटोकॉल ड्यूटी के लोग शामिल हैं. उन्होंने बताया कि उनकी ओर से दिए गए सुझाव में पुलिस की नफरी को बढ़ाने, सूटेबल फंड और एलाउंस जारी करने, अत्याधुनिक हथियारों से पुलिस को लेस करने, वाहनों और अन्य संसाधनों की कमी को पूरा करने, मामलों में जांच करने वाले अनुसंधान अधिकारी को विशेष टेक्नोलॉजी के किट उपलब्ध करवाने का सुझाव दिया गया.

फरजंद अली ने अपने सुझाव में बताया कि पुलिस को चार यूनिट में बांटा जाना चाहिए. पहली यूनिट प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने, दूसरी यूनिट अनुसंधान का काम करने, तीसरी यूनिट वीआईपी विजिट के दौरान प्रोटोकोल कार्य करने का और चौथी यूनिट रिसर्व यूनिट के रूप में रहनी चाहिए.

वहीं अधिवक्ता की ओर से दिए गए सुझावों में एटीएम की तर्ज पर अलग-अलग स्थानों पर अनमैन बूथ स्थापित करने का सुझाव दिया गया है. जहां कोई भी सिटीजन अपनी शिकायत, सुझाव एवं सूचना पुलिस तक पहुंचा सके. हाई कोर्ट ने इन सभी सुझावों को होम सेक्रेटरी और डीजीपी तक भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अगली सुनवाई के दौरान पुलिस विभाग में रिक्त पदों की सूचना प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं.

जोधपुर. प्रदेश में लगातार आपराधिक गतिविधियां बढ़ती ही जा रही है. जिसके आधार पर हाईकोर्ट की ओर से दायर की गई स्वप्रेरित जनहित याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस वीके माथुर की खंडपीठ में सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली की ओर से पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए.

कोर्ट में पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए

बता दें कि हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर प्रदेशभर में पुलिस विभाग में ऊपर से नीचे तक कुल रिक्त पदों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी. राजस्थान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने कोर्ट के समक्ष कई सुझाव प्रस्तुत किए हैं.

फरजंद अली ने बताया कि यूएनओ के अनुसार 1 लाख की आबादी पर 220 पुलिस कर्मी होने चाहिए. देश में यह औसत 138 का जबकि राजस्थान में 115 का है, जो बहुत कम है. इसमें भी प्रोटोकॉल ड्यूटी के लोग शामिल हैं. उन्होंने बताया कि उनकी ओर से दिए गए सुझाव में पुलिस की नफरी को बढ़ाने, सूटेबल फंड और एलाउंस जारी करने, अत्याधुनिक हथियारों से पुलिस को लेस करने, वाहनों और अन्य संसाधनों की कमी को पूरा करने, मामलों में जांच करने वाले अनुसंधान अधिकारी को विशेष टेक्नोलॉजी के किट उपलब्ध करवाने का सुझाव दिया गया.

फरजंद अली ने अपने सुझाव में बताया कि पुलिस को चार यूनिट में बांटा जाना चाहिए. पहली यूनिट प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने, दूसरी यूनिट अनुसंधान का काम करने, तीसरी यूनिट वीआईपी विजिट के दौरान प्रोटोकोल कार्य करने का और चौथी यूनिट रिसर्व यूनिट के रूप में रहनी चाहिए.

वहीं अधिवक्ता की ओर से दिए गए सुझावों में एटीएम की तर्ज पर अलग-अलग स्थानों पर अनमैन बूथ स्थापित करने का सुझाव दिया गया है. जहां कोई भी सिटीजन अपनी शिकायत, सुझाव एवं सूचना पुलिस तक पहुंचा सके. हाई कोर्ट ने इन सभी सुझावों को होम सेक्रेटरी और डीजीपी तक भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अगली सुनवाई के दौरान पुलिस विभाग में रिक्त पदों की सूचना प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं.

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प्रदेश में 1 लाख लोगों पर 115 पुलिस कर्मी, हाइकोर्ट के निर्देश पर सुधार के सुझाव तैयार
जोधपुर।
राजस्थान प्रदेश में लगातार बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों के समाचारों के आधार पर हाईकोर्ट की ओर से दायर की गई स्वप्रेरित जन हित याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस संगीत लोढ़ा एवं जस्टिस वीके माथुर की खंडपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के निर्देश पर अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली की ओर से पुलिस विभाग में किए जा सकने वाले सुधारों को लेकर सुझाव दिए गए , वहीं हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर प्रदेशभर में पुलिस विभाग में ऊपर से नीचे तक कुल रिक्त पदों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को की जाएगी। राजस्थान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने कोर्ट के समक्ष कई सुझाव प्रस्तुत किए। फरजंद अली ने बताया कि यूएनओ के मुताबिक 1 लाख की आबादी पर 220 पुलिस कर्मी होने चाहिए, देश मे यह औसत 138 का जबकि राजस्थान में 115 का है, जो बहुत कम है इसमे भी प्रोटोकॉल ड्यूटी के लोग शामिल है। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से दिए गए सुझाव में पुलिस की नफरी को बढ़ाने, सूटेबल फंड एवं एलाउंस जारी करने, अत्याधुनिक हथियारों से पुलिस को लेस करने, वाहनों एवं अन्य संसाधनों की कमी को पूरा करने, मामलों में जांच करने वाले अनुसंधान अधिकारी को विशेष टेक्नोलॉजी के किट उपलब्ध करवाने का सुझाव दिया गया। वहीं फरजंद अली ने अपने सुझाव में बताया कि पुलिस को चार यूनिट में बांटा जाना चाहिए। पहली यूनिट प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने, दूसरी यूनिट अनुसंधान का काम करने, तीसरी यूनिट वीआईपी विजिट के दौरान प्रोटोकोल कार्य करने का और चौथी यूनिट रिसर्व यूनिट के रूप में रहनी चाहिए। वही अधिवक्ता की ओर से दिए गए सुझावों में एटीएम की तर्ज पर अलग-अलग स्थानों पर अनमैन बूथ स्थापित करने का सुझाव दिया गया जहां कोई भी सिटीजन अपनी शिकायत, सुझाव एवं सूचना पुलिस तक पहुंचा सके। हाई कोर्ट ने इन सभी सुझावों को होम सेक्रेटरी ओर डीजीपी तक भेजने के निर्देश दिए हैं साथ ही अगली सुनवाई के दौरान पुलिस विभाग में रिक्त पदों की सूचना प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं ।

बाइट- फरजंद अली
अतिरिक्त महाधिवक्ता , राजस्थान उच्च न्यायालय ,जोधपुरConclusion:
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