जोधपुर. भारतीय मानक ब्यूरो की तरफ से जारी एक परिपत्र को राजस्थान हाईकोर्ट में रिट याचिका के जरिये चुनौती दी गई है. राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई ने अंतरिम रोक लगाते हुए आठ सप्ताह में जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट के समक्ष जेके सीमेंट लिमिटेड की ओर से याचिका पेश कर भारतीय मानक ब्यूरो के परिपत्र को चुनौती दी थी.
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भारतीय मानक ब्यूरो ने 28 अगस्त 2020 को परिपत्र जारी कर देशभर कि सभी सीमेंट उत्पादक कम्पनियों को दिशा-निर्देश जारी कर आदेश दिया था कि सीमेंट कम्पनी पंजियत ट्रेडमार्क में जो सूपर, अल्ट्रा और वेधर शील्ड आदि को समिलित किया गया है, वह उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवता से भ्रमित करता है. इस प्रकार के शब्दों का उपयोग ट्रेडमार्क में तुरंत प्रभाव से बंद किया जाये.
याची कम्पनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि भंसाली, रमित मेहता, सौरभ माहेश्वरी ने न्यायालय के सामने बहस के दौरान तर्क रखा की ट्रेडमार्क कम्पनी की तरफ से व्यवसाय के लिए उपयोगी है और सभी ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत पंजिकृत हैं. भारतीय मानक ब्यूरो ने इसको लेकर मानक स्थापित कर रखे हैं. और इस सम्बंध में ब्यूरो लाइसेंस भी जारी करता है. उत्पाद के मानक बताने के लिए कम्पनी की तरफ से भारतीय मानक ब्यूरो से अलग से लाइसेंस ले रखा है. जो कानूनी रूप से वैध है.
भारतीय मानक ब्यूरो का अधिकार क्षेत्र मानक को संचालन करने का ही है तथा परिपत्र द्वारा दिशा-निर्देश बिना किसी कानूनी अनुमोदन के हैं. ट्रेडमार्क के उपयोग को सुचारु करना ब्यूरो के कानूनी प्रदत शक्तियों के दायरे में नहीं है. इस प्रकार ब्यूरो को ट्रेडमार्क के उपयोग में हस्तक्षेप करने का कोई कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं हैं.
यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से उपस्थित एएसजी मुकेश राजपुरोहित और ब्यूरो की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कम्पनी के अधिवक्ता के तर्क का भरसक विरोध किया. न्यायालय ने बहस सुन अंतरिम आदेश पारित कर ब्यूरो को निर्देशित किया कि परिपत्र के अनुसरण में याची कम्पनी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाए और कम्पनी को ट्रेडमार्क के उपयोग के लिए रोका ना जाए.