जोधपुर : जानलेवा रोग कैंसर यूं तो किसी को भी ही सकता है, लेकिन गरीब इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. इसका पता देश में कैंसर उपचार में बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो रहे जोधपुर एम्स में आने वाले रोगियों से पता चलता है. यहां आने वाले कैंसर रोगियों में 80 फीसदी तक केंद्र की आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत निशुल्क उपचार प्राप्त कर रहे हैं. यह रोगी राजस्थान के अलावा गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से आ रहे हैं. इस योजना के पात्र रोगियों को कैंसर का महंगा से महंगा उपचार निशुल्क मिल रहा है. थेरेपी हो या रोबोटिक सर्जरी, सब पूरी तरह से निशुल्क हो रहा है.
एम्स के ओंको सर्जरी विभाग के डॉ. जीवनराम विश्नोई ने बताया कि रोगी तो लगातार बढ़ रहे हैं. इसमें कमी नहीं हो रही है. इसके अनुरूप एम्स में कैंसर की चिकित्सा सुविधा भी बढ़ाई गई है. यहां एक साल में एक हजार से ज्यादा कैंसर की बड़ी जटिल सर्जरी होती है, जिसमें एडवांस मिनिमल इनवेसिव, रोबोटिक सर्जरी तक शामिल हैं, जिनमें महंगे इम्प्लांट और कार्टरी भी शामिल हैं. इसमें 70 से 80 फीसदी से अधिक आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का निशुल्क इलाज होता है.
मुंह, गर्भाशय और आहार नली के मामले ज्यादा : डॉ. विश्नोई ने बताया कि हमारे पास जो कैंसर के मामले आ रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर बहुतायत हैं. इसकी बड़ी वजह तंबाकू है. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर कॉमन है. महिलाओं में गर्भाशय और बच्चे दानी में कैंसर के भी केस बढ़ रहे हैं. इसके अतिरिक्त आहार नली यानि इसोफेगस में कैंसर के केस ज्यादा आ रहे हैं. ज्यादातर मामले देरी से आते हैं तो उनका उपचार जटिल होता है. बहुत कम मरीज शुरुआती दौर में पहुंच पाते हैं.
कैंसर उपचार का बन रहा बड़ा केंद्र : कैंसर के इलाज में जोधपुर AIIMS लगातार आगे बढ़ रहा है. यहां पर HIPEC (हाइपरथर्मिक इन्ट्रापेरिटोनेल कीमोथेरेपी) मशीन से कैंसर के मरीजों का उपचार भी हो रहा है. इस तकनीक से शरीर में जहां पर कैंसर की गांठ होती है, दवाई का सीधा असर वहां होता है. ऐसी अन्य तकनीक भी यहां उपलब्ध है.
रीजनल सेंटर के लिए डॉक्टर नहीं उपलब्ध : वहीं, दूसरी ओर जोधपुर स्थित मथुरादास माथुर अस्पताल के समीप रीजनल कैंसर सेंटर में पेट स्कैन और लीनियर एक्सीरीलेटर जैसी उपकरण लग चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार इस केंद्र को डॉक्टर उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. इसकी वजह से पूरे पश्चिमी राजस्थान के मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है. एम्स में पूरे देश से मरीज आने से सबको अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.