जोधपुर. बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिकाओं पर कोर्ट द्वारा सामान्यत पुलिस को लताड़ ही सुनने को मिलती है, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट में एक मामला ऐसा भी आया कि जिसमें पुलिस ने कोर्ट के सामने जब सच्चाई उजागर की तो हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने परिवादी के खिलाफ ही जुर्माना लगाते हुए राशि पुलिस कल्याण कोष में जमा करवाने के आदेश दिए.
पत्नी ने दायर की थी याचिका
भीलवाड़ा के नामी बिल्डर रहे शिवदत्त शर्मा की पत्नी शर्मिला शर्मा ने 22 मार्च को पहले हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर कर अपील की थी कि उनके पति का एक करोड़ रुपए के लिए अपहरण हो गया है. इसकी सूचना पति ने अपने मोबाइल से टेक्सट मैसेज से उन्हें भेजी थी. मामला सुभाषनगर थाने में दर्ज है लेकिन पुलिस उन्हें ढूंढ नहीं रही है, इस पर कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा को निर्देश जारी किए थे. हालांकि भीलवाड़ा की सुभाष नगर पुलिस के इंस्पेक्टर अजयकांत इस मामले के दर्ज होने के बाद से ही इस गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रहे थे, कोर्ट के आदेश मिलने के बाद वे और ज्यादा सक्रिय हो गए.
देहरादून में धोबी के घर फोन शुरू हुआ
पुलिस को पहले से ही शक था कि शिवदत्त खुद ही गायब हुआ है क्योंकि उस पर करीब 40 करोड़ का कर्ज था, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा था. एक दिन अचानक शिवदत्त का मोबाइल नंबर देहरादून में शुरू हो गया. इसकी जानकारी मिलते ही जांच अधिकारी अजयकांत अपनी टीम के साथ पहुंचे तो पता चला कि फोन धोबी के पास था. वहां पूछताछ में सामने आया कि एक व्यक्ति अपने कपडे धुलने के लिए उनको देता है जिसकी जेब में यह मोबाइल था, जिसे धोबी के बेटे ने शुरू कर दिया. पड़ताल करने पर वह व्यक्ति शिवदत्त के रूप में सामने आया जो वहां राकेश शर्मा के नाम से रह रहा था. पुलिस उसे पकड़ कर भीलवाड़ा लाई और हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की.
पांच हजार का जुर्माना लगाया
अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंदअली खान ने बताया कि इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ने पुलिस का समय जाया किया और अधिकारियों को परेशानी भी उठानी पड़ी, क्योंकि शिवदत्त शर्मा अपने कर्जदारों से बचना चाहता था इसलिए उसने यह कहानी रची. जबकि भीलवाड़ा से निकलने से पहले उसने अपने खाते से पत्नी के एकाउंट में 20 लाख रुपए हस्तांतरित किए थे.