जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता ने एक आपराधिक विविध याचिका की सुनवाई के दौरान अफीम की मात्रा के प्रावधानों को लेकर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए केन्द्र और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. अधिनियम 1985 की धारा 18 में सजा के प्रावधान दिए गए हैं.
पढ़ें- सौम्या गुर्जर के बाद तीनों पार्षदों ने निलंबन को हाईकोर्ट में दी चुनौती, कल होगी सुनवाई
खेती के लिए सजा को भी अफीम की मात्रा के अनुरूप बनाया गया है. केंद्र सरकार की एक अधिसूचना दिनांक 19 अक्टूबर 2001 में पेरा संख्या तीन जो कि प्रथम दृष्टया अधिनियम की धारा 18 के प्रावधनों के विपरीत है. अफीम पोस्त की खेती भी उतना ही गंभीर अपराध है, जितना निर्माण, प्रसंस्करण, उत्पादन, बिक्री और खरीद आदि से है.
न्यायालय ने केन्द्र सरकार से स्पष्टीकरण के लिए कॉल करना आवश्यक है. पौधों की मात्रा छोटी और वाणिज्यक तय करना आवश्यक है. ऐसे में न्यायालय ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर केन्द्र सरकार के सहायक सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित और राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.