जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ में देवस्थान विभाग के तहत आने वाले धार्मिक स्थलों और उनसे प्राप्त होने वाली आय, प्रॉपर्टीज को किराए और लीज पर देने के लिए सरकारी पॉलिसी को लेकर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ की सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने अप्रार्थीगण की ओर से पेश अतिरिक्त शपथ पत्र और एक आवेदन का जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिए जाने का अनुरोध किया. जिसे स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 6 अगस्त को तय की गई.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 5 नवंबर 2019 को एक आदेश पारित करते हुए अप्रार्थी देवस्थान विभाग को उसकी प्रदेश से बाहर की संपत्ति की सूची पेश करने के निर्देश दिए थे. अप्रार्थी देवस्थान विभाग ने उक्त सूची पेश की थी लेकिन उस सूची में संपत्ति के बारे में वर्तमान स्थिति का ब्योरा नहीं दिया था.
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जिसके बाद खंडपीठ ने अप्रार्थी विभाग से अतिरिक्त शपथ पत्र के साथ संपूर्ण सूची और वर्तमान स्थिति पेश करने के अलावा उक्त संपत्ति पर यदि किसी ने अनाधिकृत तरीके से कब्जा किया हो तो उसकी डिटेल भी पेश करने के निर्देश दिए थे.
वहीं, इन संपत्तियों की ओर से होने वाली आय का भी ब्योरा दिए जाने के निर्देश दिए थे. इसके बाद 24 जनवरी 2020 को अतिरिक्त महाअधिवक्ता मनीष व्यास की ओर से देवस्थान की संपत्ति सूची पेश की गई. जिसकी प्रति न्यायमित्र भावित शर्मा को भी मुहैया कराई गई. जिस पर सही स्थिति को वेरिफाई करने के लिए समय दिए जाने की मांग की थी.
जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 17 मार्च 2020 को रखी. लेकिन कोविड-19 के फैसले के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. अब राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई होने पर न्यायमित्र की ओर से चार सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया गया. जिस पर मामले की सुनवाई 6 अगस्त को तय की गई है.