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17 साल पेंडिंग रखने के बाद मामला खारिज करने पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता, राजस्व बोर्ड को दो माह में निपटारे का दिया आदेश - 17 years pending

17 साल पेंडिंग रखने के बाद राजस्व बोर्ड ने तकनीकी खामी बताकर खारिज कर दिया. इस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व बोर्ड को दो माह में मामला निपटाने का आदेश दिया.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व बोर्ड को दिया आदेश
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Published : Sep 9, 2021, 8:53 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती ने 17 साल तक मुकदमे को पेंडिग रखने के बाद तकनीकी कारणों के चलते खारिज करने के मामले में राजस्व बोर्ड पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामले में दो माह के अंदर मेरिट के आधार पर फैसला करें. याचिकाकर्ता 82 वर्षीय विद्या देवी की ओर से अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह बुटाटी ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

मुख्य न्यायाधीश मोहंती की एकलपीठ ने इस मामले में धारा 226 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के आदेश को निरस्त करते हुए दो माह में मेरिट आधार पर तय करने के आदेश पारित किये हैं. याचिका में बताया गया कि जमीन के विवाद के चलते दावे व काउंटर क्लेम को एक ही फैसले व एक ही डिकरी से फैसला होने पर याचिकाकर्ता ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के समक्ष अपील पेश की थी.

पढ़ें: सीमा शुल्क के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज, एक लाख रुपए का लगाया हर्जाना

इस पर बोर्ड ने करीब 17 साल मामले को पेंडिंग रखने के बाद केवल यह कह कर अपील खारिज कर दी कि ऐसे मामले में याची को दो अपील दायर करनी चाहिए थी और बोर्ड ने अपील के निर्णय मे गुण-अवगुण पर फैसला नहीं किया. मुख्य न्यायाधीश मोहंती ने इतने समय से लम्बित मामले मे तकनीकी कारणों से बोर्ड की ओर से अपील खारिज करने पर चिंता जाहिर करते हुए आदेश जारी किया है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती ने 17 साल तक मुकदमे को पेंडिग रखने के बाद तकनीकी कारणों के चलते खारिज करने के मामले में राजस्व बोर्ड पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामले में दो माह के अंदर मेरिट के आधार पर फैसला करें. याचिकाकर्ता 82 वर्षीय विद्या देवी की ओर से अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह बुटाटी ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

मुख्य न्यायाधीश मोहंती की एकलपीठ ने इस मामले में धारा 226 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के आदेश को निरस्त करते हुए दो माह में मेरिट आधार पर तय करने के आदेश पारित किये हैं. याचिका में बताया गया कि जमीन के विवाद के चलते दावे व काउंटर क्लेम को एक ही फैसले व एक ही डिकरी से फैसला होने पर याचिकाकर्ता ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के समक्ष अपील पेश की थी.

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इस पर बोर्ड ने करीब 17 साल मामले को पेंडिंग रखने के बाद केवल यह कह कर अपील खारिज कर दी कि ऐसे मामले में याची को दो अपील दायर करनी चाहिए थी और बोर्ड ने अपील के निर्णय मे गुण-अवगुण पर फैसला नहीं किया. मुख्य न्यायाधीश मोहंती ने इतने समय से लम्बित मामले मे तकनीकी कारणों से बोर्ड की ओर से अपील खारिज करने पर चिंता जाहिर करते हुए आदेश जारी किया है.

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