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झूठे तथ्यों के आधार पेश जनहित याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर HC ने लगाया दस हजार रुपए का जुर्माना

राजस्थान उच्च न्यायालय ने गलत तथ्यों के आधार पर दायर की गई जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की.

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Published : Jan 6, 2021, 11:08 PM IST

rajasthan high court, court imposes fine on petitioner
याचिकाकर्ता पर HC ने लगाया दस हजार रुपए का जुर्माना

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने गलत तथ्यों के आधार पर दायर की गई जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद यह माना कि जनहित याचिका झूठे तथ्यों के आधार पर पेश की गई थी. उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता शंकर गुर्जर ने एक जनहित याचिका पेश करते हुए जिला कलेक्टर उदयपुर सहित अन्य को पक्षकार बनाया था.

याचिकाकर्ता का कहना था कि पेट्रोल पम्प के लिए आईओसी को खसरा नम्बर 785 गांव बडीयार मावली जिला उदयपुर के लिए एनओसी जारी की गई है, वो गलत तरीके से की गई है. विपक्षी पक्षकार की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि उनको एनओसी साल 2016 में जारी की गई है. याचिकाकर्ता स्वयं प्रतिद्वंदी पेट्रोल पम्प का कर्मचारी है. केवल द्वेष के चलते जनहित याचिका पेश की गई है.

यह भी पढ़ें- प्रदेश में जारी है बर्ड फ्लू का कहर...21 जिलों में पक्षियों की मौत के मामले आए सामने, अकेले जयपुर में 72 कौओं की मौत

वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित और रजत अरोड़ा ने पक्ष रखा. जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने भी माना कि केवल झूठे तथ्यों के आधार पर जनहित याचिका पेश की गई है. इसीलिए उसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाने के साथ उसे चार सप्ताह में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाने का आदेश दिया है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने गलत तथ्यों के आधार पर दायर की गई जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद यह माना कि जनहित याचिका झूठे तथ्यों के आधार पर पेश की गई थी. उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता शंकर गुर्जर ने एक जनहित याचिका पेश करते हुए जिला कलेक्टर उदयपुर सहित अन्य को पक्षकार बनाया था.

याचिकाकर्ता का कहना था कि पेट्रोल पम्प के लिए आईओसी को खसरा नम्बर 785 गांव बडीयार मावली जिला उदयपुर के लिए एनओसी जारी की गई है, वो गलत तरीके से की गई है. विपक्षी पक्षकार की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि उनको एनओसी साल 2016 में जारी की गई है. याचिकाकर्ता स्वयं प्रतिद्वंदी पेट्रोल पम्प का कर्मचारी है. केवल द्वेष के चलते जनहित याचिका पेश की गई है.

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वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित और रजत अरोड़ा ने पक्ष रखा. जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने भी माना कि केवल झूठे तथ्यों के आधार पर जनहित याचिका पेश की गई है. इसीलिए उसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाने के साथ उसे चार सप्ताह में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाने का आदेश दिया है.

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